Anta By Election 2025: अंता उपचुनाव: कांग्रेस ने प्रमोद जैन भाया को बनाया उम्मीदवार, त्रिकोणीय मुकाबले के आसार

Anta By Election 2025 - अंता उपचुनाव: कांग्रेस ने प्रमोद जैन भाया को बनाया उम्मीदवार, त्रिकोणीय मुकाबले के आसार
| Updated on: 08-Oct-2025 08:16 PM IST
बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। यह कदम कांग्रेस ने भाजपा से पहले उठाया है, जिससे उपचुनाव में रणनीतिक बढ़त लेने का प्रयास दिख रहा है और प्रमोद जैन भाया को 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के कंवर लाल मीणा से हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन पार्टी ने उन पर फिर से भरोसा जताया है।

त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना

इस उपचुनाव में मुकाबला दिलचस्प होने वाला है और नरेश मीणा पहले ही अंता से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं और 14 अक्टूबर को नामांकन दाखिल करेंगे। इससे यह सीट त्रिकोणीय मुकाबले की ओर बढ़ रही है। भाजपा भी जल्द ही अपने उम्मीदवार की घोषणा करने की तैयारी में है।

भाजपा में दावेदार और रणनीति

भाजपा में पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी सबसे प्रबल दावेदारों में से हैं और इसके अलावा पार्टी कंवरलाल मीणा के परिवार से भी टिकट देने पर विचार कर रही है, जिसमें उनकी पत्नी भगवती मीणा का नाम भी सामने आ रहा है। वहीं, बाहरी उम्मीदवार का विरोध करते हुए अंता से पूर्व जिलाध्यक्ष। आनंद गर्ग और नंदलाल सुमन भी टिकट की दावेदारी जता रहे हैं। भाजपा ने अंता विधानसभा चुनाव में सांसद दामोदर अग्रवाल को प्रभारी बनाया है। टिकट की रायशुमारी के लिए कोर कमेटी की बैठक बुलाई जाएगी, जिसके बाद सीईसी प्रत्याशी के नाम पर अंतिम मुहर लगाएगी।

वोटर लिस्ट और पिछले उपचुनावों का रिकॉर्ड

अंता विधानसभा क्षेत्र में कुल 2,26,227 वोटर थे, जो अब अपडेशन के बाद 1336 वोटर बढ़कर 2,27,563 हो गए हैं। बीजेपी सरकार बनने के बाद 7 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं, जिनमें से भाजपा ने 5 सीटें जीती हैं, जबकि कांग्रेस को केवल एक सीट मिली। यह अंता उपचुनाव भाजपा के लिए अपनी जीत की लकीर को जारी रखने का अवसर होगा।

सरकार के परसेप्शन पर असर

अंता सीट पर उपचुनाव का परिणाम सीधे तौर पर सरकार की स्थिरता पर असर नहीं डालेगा, लेकिन यह जनता के बीच सरकार के कामकाज की धारणा (परसेप्शन) को तय करेगा। यदि भाजपा जीतती है, तो इसे सरकार के प्रति जनता के विश्वास की मुहर के रूप में देखा जाएगा और हारने पर विपक्ष को सरकार पर हमलावर होने का मौका मिलेगा। आरएलपी भी नरेश मीणा को अपने साथ लाकर नए समीकरण बना सकती है।

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