Aravalli Mining: कांग्रेस ने अरावली में नए खनन की नहीं दी थी मंज़ूरी' जूली बोले- गुमराह कर रही है भाजपा सरकार
Aravalli Mining - कांग्रेस ने अरावली में नए खनन की नहीं दी थी मंज़ूरी' जूली बोले- गुमराह कर रही है भाजपा सरकार
अरावली पर्वतमाला को लेकर देश भर में एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है, जिसने सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक लोगों को आंदोलित कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने सोशल मीडिया पर अरावली के संरक्षण की अपील करते हुए केंद्र और राज्य सरकारों पर निशाना साधा है। इस बढ़ते जन आक्रोश के बीच, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने अलवर स्थित अपने कार्यालय में एक प्रेस वार्ता आयोजित कर भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार अपने चहेते लोगों को लाभ पहुँचाने के लिए अरावली। को बर्बाद करने पर तुली हुई है, जो कि चार राज्यों के लिए जीवनरेखा समान है।
कांग्रेस का अरावली खनन पर स्पष्ट रुख
टीकाराम जूली ने अपनी प्रेस वार्ता में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान अरावली खनन पर अपना रुख स्पष्ट किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस सरकार ने अरावली में किसी भी नए खनन को मंज़ूरी देने का कोई प्रस्ताव तैयार नहीं किया था। उनके अनुसार, कांग्रेस सरकार ने अपने प्रस्ताव में केवल उन खानों को जारी रखने की बात कही थी जो अरावली क्षेत्र में पहले से ही संचालित थीं और यह एक महत्वपूर्ण अंतर है जिसे जूली ने रेखांकित किया, क्योंकि उनका मानना है कि भाजपा सरकार की वर्तमान योजना इससे बिल्कुल विपरीत है। कांग्रेस का मानना था कि मौजूदा खनन गतिविधियों को नियंत्रित तरीके से जारी रखा जा सकता है, लेकिन नए खनन से अरावली के पारिस्थितिक संतुलन को अपूरणीय क्षति होगी।भाजपा की कथित नई खनन योजना और उसके प्रभाव
चार राज्यों के लिए जीवनरेखा अरावली
जूली ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि उसने एक नई योजना तैयार की है जिसके तहत अरावली में नए खनन को मंज़ूरी दी जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी कि यह कदम अरावली पर्वतमाला को पूरी तरह से समाप्त कर देगा। जूली के अनुसार, यह नया प्रस्ताव सरकार की एक समिति द्वारा तैयार किया गया है और इसका मुख्य उद्देश्य कुछ 'चहेते' लोगों को आर्थिक लाभ पहुँचाना है, भले ही इसकी कीमत पर्यावरण को चुकानी पड़े। उन्होंने कहा कि यह योजना न केवल अरावली के भूवैज्ञानिक स्वरूप को। बदलेगी, बल्कि इसके प्राकृतिक संसाधनों और जैव विविधता पर भी विनाशकारी प्रभाव डालेगी। नए खनन से होने वाला प्रदूषण, भूजल स्तर में गिरावट और। मिट्टी का कटाव इस क्षेत्र के लिए गंभीर खतरा पैदा करेगा।
अरावली पर्वतमाला केवल एक भौगोलिक संरचना नहीं है, बल्कि यह गुजरात, राजस्थान, दिल्ली और हरियाणा जैसे चार राज्यों के लिए एक महत्वपूर्ण जीवनरेखा है। जूली ने इस बात पर जोर दिया कि अरावली रेगिस्तान के विस्तार को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, विशेषकर राजस्थान में थार रेगिस्तान को पूर्वी क्षेत्रों में फैलने से रोकती है। इसके अलावा, यह पर्वतमाला भूजल पुनर्भरण का भी काम करती है, जिससे इन राज्यों के लाखों लोगों को पीने और सिंचाई के लिए पानी मिलता है। अरावली की पहाड़ियाँ और वन क्षेत्र वर्षा जल को सोखकर भूमिगत जल स्तर को बनाए रखने में मदद करते हैं। यदि अरावली को खनन से नुकसान पहुँचता है, तो इन राज्यों को गंभीर जल संकट और मरुस्थलीकरण का सामना करना पड़ सकता है, जिससे कृषि और जनजीवन बुरी तरह प्रभावित होगा।वन्यजीवों और टाइगर रिजर्व का घर
अरावली क्षेत्र हजारों वन्यजीवों का घर है और इसमें कई महत्वपूर्ण टाइगर रिजर्व और वन क्षेत्र भी शामिल हैं। सरिस्का, रणथंभौर और मुकुंदरा जैसे प्रसिद्ध टाइगर रिजर्व अरावली पर्वतमाला के भीतर ही स्थित हैं, जो बाघों और अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए एक सुरक्षित आश्रय प्रदान करते हैं। जूली ने चिंता व्यक्त की कि सरकार की नई खनन योजना इन सभी वन्यजीवों और उनके आवासों को समाप्त करने पर तुली हुई है। खनन गतिविधियों से वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो जाएगा, उनके भोजन और पानी के स्रोत प्रभावित होंगे, और वे मानव बस्तियों की ओर पलायन करने को मजबूर होंगे, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ सकता है। यह न केवल स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित करेगा, बल्कि भारत की वन्यजीव संरक्षण प्रयासों के लिए भी एक बड़ा झटका होगा।जनता को गुमराह करने के आरोप
टीकाराम जूली ने भाजपा सरकार और उसके मंत्रियों पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार जनता को यह विश्वास दिलाने की कोशिश कर रही है कि अरावली में खनन आवश्यक है या यह कि उनकी योजनाएँ पर्यावरण के अनुकूल हैं, जबकि वास्तविकता कुछ और है और जूली ने यह भी उल्लेख किया कि राजस्थान की गहलोत सरकार ने जो प्रस्ताव तैयार किया था, उसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था। उन्होंने संकेत दिया कि भाजपा सरकार इस तथ्य का उपयोग जनता को भ्रमित करने के लिए कर सकती है, यह दर्शाने के लिए कि पिछली सरकार की नीतियाँ भी त्रुटिपूर्ण थीं, जबकि वर्तमान प्रस्ताव की प्रकृति और प्रभाव बिल्कुल अलग हैं। यह गुमराह करने वाली रणनीति जनता को अरावली के वास्तविक खतरे से भटका सकती है।सड़क से संसद तक विरोध प्रदर्शन की तैयारी
अरावली को बचाने के अभियान को अब कांग्रेस सड़कों पर उतारने की तैयारी कर रही है। टीकाराम जूली ने घोषणा की कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर 'सड़क से संसद तक' विरोध प्रदर्शन करेगी। उन्होंने कहा कि यह केवल एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण और लाखों लोगों के जीवन से जुड़ा एक गंभीर मामला है। कांग्रेस का लक्ष्य है कि वह इस मुद्दे पर व्यापक जन समर्थन जुटाए और सरकार पर अपनी नई खनन योजना को वापस लेने का दबाव बनाए। सोशल मीडिया पर पहले से ही चल रही मुहिम और लोगों का सड़कों पर उतरना इस बात का संकेत है कि यह आंदोलन आने। वाले दिनों में और तेज होगा, जिससे सरकार पर दबाव बढ़ेगा और अरावली के भविष्य पर एक बड़ा राजनीतिक और पर्यावरणीय संघर्ष देखने को मिलेगा।