Assam Partition Claim: असम को पाकिस्तान को सौंपने के दावे पर विवाद: कांग्रेस ने पीएम मोदी के बयान को बताया 'ऐतिहासिक रूप से गलत'

Assam Partition Claim - असम को पाकिस्तान को सौंपने के दावे पर विवाद: कांग्रेस ने पीएम मोदी के बयान को बताया 'ऐतिहासिक रूप से गलत'
| Updated on: 21-Dec-2025 02:04 PM IST
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक हालिया बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, जिसमें उन्होंने दावा किया कि भारत के विभाजन के समय कांग्रेस पार्टी असम को पाकिस्तान को सौंपना चाहती थी. यह बयान उन्होंने असम के गुवाहाटी में गोपीनाथ बरदोलोई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के नए टर्मिनल के उद्घाटन के अवसर पर दिया था, जहां उन्होंने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला. पीएम मोदी के इस आरोप पर कांग्रेस ने तत्काल और कड़ा खंडन किया है. कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट के जरिए प्रधानमंत्री के दावे को 'ऐतिहासिक रूप से गलत' बताया. टैगोर ने जोर देकर कहा कि तथ्य मायने रखते हैं और इस तरह के 'झूठ' को बंद होना चाहिए. उन्होंने स्पष्ट किया कि असम को पाकिस्तान को सौंपने का कोई प्रस्ताव कभी नहीं था, क्योंकि असम एक हिंदू-बहुल प्रांत था और विभाजन की योजना के तहत इसे कभी भी पाकिस्तान के लिए निर्धारित नहीं किया गया था.

सिलहट जिले का जनमत संग्रह

मणिकम टैगोर ने ऐतिहासिक संदर्भ देते हुए बताया कि विवाद केवल असम के सिलहट जिले पर था, जो उस समय मुस्लिम-बहुल इलाका था. उन्होंने कहा कि जुलाई 1947 में, ब्रिटिश सरकार के तहत, एक जनमत संग्रह (रेफरेंडम) आयोजित किया गया था. इस जनमत संग्रह में, सिलहट ने पूर्वी बंगाल (जो बाद में पूर्वी पाकिस्तान बना) में शामिल होने के लिए मतदान किया था और टैगोर ने स्पष्ट किया कि यह कांग्रेस का फैसला नहीं था, बल्कि आजादी से पहले हुआ एक वोट था, जो ब्रिटिश प्रशासन के तहत हुआ था.

गोपीनाथ बोरदोलोई की भूमिका

टैगोर ने आगे बताया कि असम के तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री गोपीनाथ बोरदोलोई के अथक प्रयासों के कारण ही करीमगंज सबडिवीजन को भारत में बनाए रखा जा सका था और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह तथ्य इतिहास में स्पष्ट रूप से दर्ज है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. बोरदोलोई की दूरदर्शिता और दृढ़ संकल्प ने असम के एक महत्वपूर्ण. हिस्से को भारत का अभिन्न अंग बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

ऐतिहासिक साक्ष्य का अभाव

कांग्रेस सांसद ने इस बात पर भी जोर दिया कि इस दावे का कोई ऐतिहासिक सबूत नहीं है कि कांग्रेस ने एक पार्टी के तौर पर असम को पाकिस्तान को देने की साजिश की थी और उन्होंने कहा कि विभाजन इसलिए हुआ, क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने जल्दबाजी की और मुस्लिम लीग लगातार इसकी मांग कर रहा था. उस समय देश में गृह युद्ध का डर था, जिसके चलते विभाजन एक जटिल और दुखद वास्तविकता बन गया.

अभियान के नारों से इतिहास का अपमान

मणिकम टैगोर ने प्रधानमंत्री के बयान को 'एक मुश्किल, दुखद इतिहास को कैंपेन के नारे में बदलना' करार दिया. उन्होंने कहा कि ऐसा करना तथ्यों, स्वतंत्रता सेनानियों और खुद असम की बेइज्जती है. टैगोर ने यह भी कहा कि 'झूठ बंद होना चाहिए' लेकिन 'संघी'. ऐसा कैसे करेंगे, क्योंकि उन्हें फैलाने वाला ही झूठ पर जीता है. यह टिप्पणी राजनीतिक बयानबाजी की तीखी प्रकृति को दर्शाती है और इतिहास की व्याख्या पर चल रहे विवाद को रेखांकित करती है.

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