बड़ा खुलासा: गलवान वैली झड़प से पहले ही चीन ने तिब्बत में तैनात कर दिए थे T-15 टैंक

बड़ा खुलासा - गलवान वैली झड़प से पहले ही चीन ने तिब्बत में तैनात कर दिए थे T-15 टैंक
| Updated on: 12-Aug-2020 06:50 AM IST
नई दिल्ली: साल जून में भारत और चीन के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख की गलवान वैली में हुई हिंसक भिड़ंत केवल एक इत्तेफाक नहीं था, बल्कि चीन ने इसकी योजना काफी पहले से बनाई थी। अमेरिकी और भारतीय इंटेलीजेंस एंजेंसियों की अलग-अलग खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने फिंगर 4 से गलवान और हॉट स्प्रिंग इलाकों में घुसपैठ करने से पहले काफी तैयारी की थी।

चीन ने पहले से ही कई इलाकों में अत्याधुनिक तकनीक से लैस हथियारों को तैनात कर दिया था। हालांकि पिछले साल इन टैंकों की तिब्बत में तैनाती की खबर कुछ पब्लिकेशंस ने दी थी। फिर भी, चीन के इरादे एकदम स्पष्ट थे, जब इसने एलएसी से सटे हुए भारतीय इलाकों में घुसपैठ करना शुरू कर दिया था।

टी 15 टैंक (ZTPQ)  का वजन 30 टन होता है और 105 एमएम की उसकी गन होती है, जिसकी वजह से उसे आसानी से पहाड़ी इलाकों में तैनात किया जा सकता है। ये भी दावा किया जा रहा है कि इन टैंकों को आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर हैलीकॉप्टर से ले जाया जा सकता है। हालांकि इस रिपोर्ट की पुष्टि होनी अभी बाकी है।

सिक्योरिटी एजेंसियों के मुताबिक, चीन की टी-15 टैंकों की तैनाती की खबरों के बाद, भारतीय सेना ने भी एलएसी पर टी-90 टैंकों की तैनाती कर दी है, जिन्हें काफी आधुनिक माना जाता है।

सुरक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक कम वजन के चलते टी-15 को आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है, जबकि इन टैंकों के मुकाबले टी-90 टैकों का वजन 45 टन होता है। इसी बीच भारतीय सरकार ने सेना से चीन की किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा है, और टी-15 जैसे हल्के टैंकों की खरीद के लिए भी रजामंदी दे दी है।

ये बात भी जानने लायक है कि भारतीय सेना में टी-72, टी-90 और अर्जुन टैंक भी शामिल हैं, लेकिन वो मैदान में ज्यादा प्रभावशाली हैं। हालांकि यह भी मामला नहीं है कि भारत के पास एलएसी पर चीनी सेना द्वारा तैनात टी 15 टैंकों का कोई तोड़ नहीं है। हाल ही में भारत ने अरुणाचल प्रदेश से लेकर लद्दाख तक एम-777 गन्स तैनात की हैं। ये हथियार अमेरिका से मंगाए गए हैं और हाल ही में भारतीय सेना में शामिल किए गए हैं।

भारत ने 145 एम-777 गन मंगाई हैं, जिनको सेना की अलग अलग 7 रेजीमेंट्स में शामिल किया जा रहा है। हर रेजीमेंट को 18 गन मिलनी हैं। इस गन के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इन्हें आसानी से हैलीकॉप्टर के जरिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जा सकता है।

भारत ने एलएसी पर अपने सर्वश्रेष्ठ चिनूक हैलीकॉप्टर्स की भी तैनाती कर दी है, इस स्थिति में ये कहा जा सकता है कि चीनी टी-15 टैंकों से निपटने के लिए भारत पूरी तरह से तैयार है। 

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।