Indian GDP Growth Rate: भारतीय GDP में दूसरी तिमाही में 8.2% की जोरदार वृद्धि- यह पिछली 6 तिमाही में सबसे ज्यादा
Indian GDP Growth Rate - भारतीय GDP में दूसरी तिमाही में 8.2% की जोरदार वृद्धि- यह पिछली 6 तिमाही में सबसे ज्यादा
भारत की अर्थव्यवस्था ने एक बार फिर अपनी मजबूत पकड़ दिखा दी है, जिसने चालू वित्त वर्ष FY26 की दूसरी तिमाही में 8. 2% की तेज रफ्तार से वृद्धि दर्ज की है और यह आंकड़ा पिछले छह तिमाहियों का सबसे ऊंचा स्तर है, जो देश की आर्थिक मजबूती और लचीलेपन को दर्शाता है। यह वृद्धि न केवल अनुमान से कहीं अधिक रही, बल्कि इसने घरेलू मांग, ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार और सरकारी खर्च की निरंतर मजबूती को भी स्पष्ट रूप से उजागर किया है। यह प्रदर्शन ऐसे समय में आया है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही है, जो भारत की आंतरिक शक्ति का प्रमाण है।
उम्मीदों से बेहतर GDP ग्रोथ
पिछली तिमाही में GDP की वृद्धि दर 7 और 8% रही थी, लेकिन Q2 में यह बढ़कर प्रभावशाली 8. 2% तक पहुंच गई, जो अर्थशास्त्रियों के 7. 3% और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 7% के अनुमानों से काफी अधिक है। इस अप्रत्याशित उछाल के पीछे कई महत्वपूर्ण कारक रहे हैं। सरकार द्वारा GST दरों में की गई कटौती, त्योहारों से पहले बाजार में स्टॉकिंग गतिविधियों का बढ़ना और ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ता मांग का फिर से मजबूत होना इस उल्लेखनीय वृद्धि के प्रमुख कारण बनकर सामने आए हैं। इन कारकों ने मिलकर अर्थव्यवस्था को एक नई गति प्रदान। की है, जिससे उत्पादन और खपत दोनों में वृद्धि हुई है।GST कटौती का प्रभाव
22 सितंबर से आवश्यक वस्तुओं पर GST की दरों में कमी की गई थी, जिसका सीधा और सकारात्मक प्रभाव बाजार पर पड़ा और इस कदम से FMCG (फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स) उत्पादों, जैसे घरेलू उपयोग की वस्तुएं और किराने का सामान, की बिक्री में उल्लेखनीय तेजी देखी गई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस संदर्भ में कहा था कि GST में दी। गई राहत से लोगों के पास लगभग 2 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त बचत होगी। यह अतिरिक्त बचत सीधे तौर पर बाजार में खर्च को बढ़ाएगी और अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा का संचार करेगी। दूसरी तिमाही के आंकड़े इस सुधार की पुष्टि करते हैं और दिखाते। हैं कि सरकारी नीतियों का अर्थव्यवस्था पर कितना गहरा प्रभाव पड़ सकता है।प्राइमरी सेक्टर का प्रदर्शन
कृषि और माइनिंग जैसे प्राइमरी सेक्टर ने कुल मिलाकर 3. 1% की सालाना ग्रोथ दर्ज की और कृषि क्षेत्र ने 3. 5% की रफ्तार से वृद्धि की, जो पिछले साल की तुलना में थोड़ी धीमी रही, लेकिन फिर भी एक महत्वपूर्ण योगदान दिया। माइनिंग सेक्टर में लगभग स्थिरता रही, जहां केवल 0 और 04% की मामूली गिरावट दर्ज हुई, जो इसे लगभग सपाट प्रदर्शन की श्रेणी में रखता है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार और अनुकूल मानसून की स्थिति ने खेती से जुड़ी गतिविधियों में मजबूती लाई है, जिससे प्राइमरी सेक्टर को एक स्थिर आधार मिला है। यह ग्रामीण भारत की आर्थिक रीढ़ की हड्डी को मजबूत करने में सहायक रहा है।मैन्युफैक्चरिंग और बिजली सेक्टर में दमदार रफ्तार
इसी दौरान, सेकेंडरी सेक्टर, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग और बिजली उत्पादन जैसे महत्वपूर्ण उद्योग शामिल हैं, ने शानदार प्रदर्शन किया। पूरी इंडस्ट्री ने 8. 1% की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने अकेले ही 9. 1% की उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की। यह आंकड़ा पिछले साल की मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ (जो केवल 2. 2% थी) की तुलना में एक बड़ा उछाल है और अर्थव्यवस्था के लिए काफी राहत देने वाला है। मैन्युफैक्चरिंग में यह तेजी उत्पादन क्षमता में वृद्धि, नई निवेश और मजबूत मांग का परिणाम है, जो रोजगार सृजन और समग्र आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।सर्विस सेक्टर का मजबूत योगदान
सर्विस सेक्टर, जिसे टर्शियरी सेक्टर भी कहा जाता है, ने भी इस तिमाही में मजबूत प्रदर्शन किया है। इस सेक्टर ने कुल मिलाकर 9. 2% की वृद्धि दर्ज की, जो इसकी गतिशीलता को दर्शाता है। इसके भीतर, ट्रेड, होटल और ट्रांसपोर्ट जैसे उप-क्षेत्रों में 7 और 4% की वृद्धि देखी गई, जो यात्रा और वाणिज्यिक गतिविधियों में सुधार का संकेत है। फाइनेंशियल और रियल एस्टेट सर्विस सेक्टर ने 10. 2% की प्रभावशाली ग्रोथ हासिल की, जो वित्तीय बाजारों और संपत्ति क्षेत्र में विश्वास को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन और डिफेंस सेक्टर में भी 9. 7% की मजबूत वृद्धि दर्ज की गई, जो सरकारी खर्च और सेवाओं में विस्तार को दर्शाता है।ग्रोथ के प्रमुख कारण
भारत की मजबूत GDP वृद्धि के पीछे तीन प्रमुख वजहें सामने आई हैं। पहला, ग्रामीण अर्थव्यवस्था में निरंतर सुधार, जिसने उपभोक्ता खर्च और कृषि उत्पादन को बढ़ावा दिया है। दूसरा, सरकारी कैपिटल खर्च में वृद्धि, जिसने बुनियादी ढांचे के विकास और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। तीसरा, एक्सपोर्ट में वृद्धि, जिसने वैश्विक बाजारों में भारतीय उत्पादों की मांग को दर्शाया है। हालांकि, निजी निवेश और शहरी मांग अभी भी कुछ हद तक धीमी बनी हुई है, लेकिन घरेलू खपत GDP में लगभग 60% का महत्वपूर्ण योगदान दे रही है, जो अर्थव्यवस्था की स्थिरता और आंतरिक शक्ति का एक मजबूत संकेत है। यह दर्शाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था बाहरी झटकों के प्रति अधिक प्रतिरोधी है।
**GDP क्या है?
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का उपयोग किसी भी देश की इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक के रूप में किया जाता है। यह देश की भौगोलिक सीमाओं के भीतर एक निश्चित समय अवधि (आमतौर पर एक तिमाही या एक वर्ष) में उत्पादित सभी अंतिम गुड्स और सर्विस के कुल मौद्रिक मूल्य को दर्शाता है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां उत्पादन करती हैं, उन्हें भी शामिल किया जाता है, जिससे यह देश की कुल आर्थिक गतिविधि का एक व्यापक माप प्रदान करता है।दो तरह की होती है GDP
GDP मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है: रियल GDP और नॉमिनल GDP और रियल GDP में गुड्स और सर्विस की वैल्यू का कैलकुलेशन एक 'बेस ईयर' की वैल्यू या स्थिर कीमतों पर किया जाता है। वर्तमान में, भारत में GDP को कैलकुलेट करने के लिए बेस ईयर 2011-12 है। रियल GDP मुद्रास्फीति के प्रभावों को हटाकर आर्थिक विकास की वास्तविक तस्वीर प्रस्तुत करती है। वहीं, नॉमिनल GDP का कैलकुलेशन मौजूदा बाजार कीमतों पर किया जाता है, जिसमें मुद्रास्फीति का प्रभाव शामिल होता है और यह वर्तमान आर्थिक स्थिति को दर्शाता है लेकिन वास्तविक उत्पादन वृद्धि को सटीक रूप से नहीं दिखाता है।
कैसे कैलकुलेट की जाती है GDP?
GDP को कैलकुलेट करने के लिए एक मानक फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे व्यय दृष्टिकोण (Expenditure Approach) कहा जाता है और यह फॉर्मूला है: GDP = C + G + I + NX। यहां 'C' का मतलब है प्राइवेट कंजम्प्शन (निजी उपभोग), जिसमें परिवारों द्वारा वस्तुओं और सेवाओं पर किया गया खर्च शामिल है। 'G' का मतलब है गवर्नमेंट स्पेंडिंग (सरकारी खर्च), जिसमें सरकार द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की खरीद पर किया गया खर्च शामिल है।'I' का मतलब है इन्वेस्टमेंट (निवेश), जिसमें व्यवसायों द्वारा पूंजीगत वस्तुओं पर किया गया खर्च और घरों द्वारा नए आवासों पर किया गया खर्च शामिल है। और 'NX' का मतलब है नेट एक्सपोर्ट (शुद्ध निर्यात), जो कुल। एक्सपोर्ट में से कुल इम्पोर्ट को घटाकर प्राप्त किया जाता है।
GDP की घट-बढ़ के लिए जिम्मेदार कौन है?
GDP को घटाने या बढ़ाने के लिए चार महत्वपूर्ण इंजन होते हैं, जो अर्थव्यवस्था की गतिशीलता को निर्धारित करते हैं। पहला इंजन 'आप और हम' हैं, यानी उपभोक्ता। आप जितना खर्च करते हैं, वह हमारी इकोनॉमी में सीधे तौर पर योगदान देता है। दूसरा इंजन प्राइवेट सेक्टर की बिजनेस ग्रोथ है, जो GDP में लगभग 32% का महत्वपूर्ण योगदान देती है। तीसरा इंजन सरकारी खर्च है, जिसका मतलब है कि गुड्स और सर्विसेस प्रोड्यूस करने में सरकार कितना खर्च कर रही है। इसका GDP में लगभग 11% योगदान है। चौथा और अंतिम इंजन नेट डिमांड है, जिसके लिए भारत के कुल एक्सपोर्ट को कुल इम्पोर्ट से घटाया जाता है। चूंकि भारत में एक्सपोर्ट के मुकाबले इम्पोर्ट ज्यादा है, इसलिए इसका इम्पैक्ट GPD पर अक्सर निगेटिव ही पड़ता है, लेकिन यह वैश्विक व्यापार में देश की स्थिति को भी दर्शाता है।