Indo-China: भूटान के बहाने भारत को घेरना चाह रहा चीन, पर उल्टा पड़ा दांव

Indo-China - भूटान के बहाने भारत को घेरना चाह रहा चीन, पर उल्टा पड़ा दांव
| Updated on: 26-Jul-2020 08:32 PM IST
Indo-China: भारत और चीन के बीच लद्दाख से लगी सीमा (एलएसी) पर तनाव जारी है। इस बीच चीन ने भारत को घेरने और दबाव बढ़ाने के लिए कुछ ही समय पहले भूटान के भी एक हिस्से पर दावा ठोक दिया था। अब चीन का यह दांव उल्टा पड़ता नजर आ रहा है। इसकी एक वजह यह है कि चीन के ताजा दावों ने भूटान को भारत के और नजदीक कर दिया है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि भूटान के पहले ही भारत के साथ अच्छे रिश्ते हैं। जबकि चीन के साथ उसकी सीमा विवाद सुलझाने की कई कोशिशें नाकाम साबित हो चुकी हैं। इस बीच चीनी शासन के एक नए दावे के बीच अब भूटान का झुकाव क भारत की तरफ बढ़ रहा है।

नई दिल्ली और थिंपू के एक्सपर्ट्स के मुताबिक, पिछले महीने ही चीन ने ग्लोबल एनवॉयरमेंट फैसिलिटी की बैठक में भूटान की साकतेंग वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी पर जो दावा किया है, उसके बाद से ही भूटान चीन को लेकर सतर्क हो गया है। दरअसल, भूटान की तरफ से बैठक के दौरान सैंक्चुरी के लिए फंड्स की मांग की गई थी। हालांकि, चीन ने इस पर आपत्ति जताते हुए इसे दोनों देशों के बीच विवादित क्षेत्र करार दे दिया था, जबकि भूटान का कहना है कि उसका चीन से कभी इस क्षेत्र को लेकर विवाद नहीं रहा।

अब भूटान में यह आमराय बन रही है कि वह किसी भी मामले के निपटारे के लिए अपने से 250 गुना बड़े साम्राज्यवादी पड़ोसी चीन पर निर्भर नहीं रह सकता। भूटान के ही एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि अगर भूटान अब चीन के किसी क्षेत्रीय दावे के आगे झुक जाता है, तो वह आगे भी झुकता रहेगा। बता दें कि चीन के सैंक्चुरी पर दावे के ठीक बाद भूटान ने आधिकारिक तौर पर दिल्ली स्थित चीनी मिशन को डिमार्च जारी किया था। इसके अलावा भूटान ने बयान जारी कर कहा था कि चीन के साथ उसकी जो भी सीमा तय नहीं है, उन पर अगली कुछ बैठकों में ही चर्चा होगी।

गौरतलब है कि चीन से बढ़ते सीमा विवाद के बीच भारत ने मदद के लिए भूटान को सैंक्चुरी से ही सड़क बनाने का प्रस्ताव दिया है। इससे गुवाहाटी और अरुणाचल प्रदेश में स्थित तवांग के बीच दूरी 450 किमी की दूरी तकरीबन एक-तिहाई कम हो जाएगी। हालांकि, भूटा की तरफ से अभी इस पर जवाब आना बाकी है। माना जा रहा है कि भारत इस प्रस्ताव को जोर-शोर से रख रहा है, ताकि वह अपने साथ साथी देश के बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी मजबूती प्रदान कर सके।

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