Cyclone Montha: चक्रवाती तूफान 'मोन्था' ने आंध्र प्रदेश में मचाई भारी तबाही, जनजीवन अस्त-व्यस्त
Cyclone Montha - चक्रवाती तूफान 'मोन्था' ने आंध्र प्रदेश में मचाई भारी तबाही, जनजीवन अस्त-व्यस्त
बंगाल की खाड़ी में उठे चक्रवाती तूफान 'मोन्था' ने सोमवार देर रात आंध्र प्रदेश के तट से टकराते ही भीषण तबाही मचाई। मछलीपट्टनम के पास लैंडफॉल के दौरान 100 से 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चली तेज हवाओं ने कई इलाकों में जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्थिति का जायजा लेने के लिए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से फोन पर बात की और केंद्र की ओर से हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। राज्य के कई जिलों में सोमवार से ही भारी बारिश हो रही है, जिससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। यह तूफान अब ओडिशा की ओर बढ़ रहा है, जहाँ बुधवार सुबह तक इसके पहुँचने की संभावना है।
परिवहन पर भारी असर
चक्रवात 'मोन्था' का सबसे अधिक प्रभाव आंध्र प्रदेश पर पड़ा है, जहाँ प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, 38,000 हेक्टेयर खड़ी फसलें और 1. 38 लाख हेक्टेयर बागवानी फसलें पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं। तेज हवाओं और लगातार बारिश ने राज्य के कृषि क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचाया है। मंगिनापुड़ी बीच पर तूफान का पहला निशाना बना, जहाँ तेज हवाओं ने पेड़ों को जड़ से उखाड़ फेंका और सड़कें अवरुद्ध हो गईं। मछलीपट्टनम में बिजली व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई क्योंकि तेज हवाओं और बारिश से बिजली के तार टूट गए और खंभे गिर गए, जिससे पूरा शहर अंधेरे में डूब गया और समुद्र किनारे के कई घर ऊंची समुद्री लहरों की चपेट में आकर ढह गए। भारतीय सेना और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीमें लगातार बचाव और राहत कार्यों में जुटी हुई हैं।
चक्रवात 'मोन्था' के कारण परिवहन व्यवस्था पर भी गंभीर असर पड़ा है और दक्षिण मध्य रेलवे ज़ोन ने सोमवार और मंगलवार को कुल 120 ट्रेनें रद्द कर दीं। हवाई यात्रा भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। विशाखापट्टनम हवाई अड्डे से सभी 32 उड़ानें रद्द कर दी गईं, जबकि विजयवाड़ा हवाई अड्डे से 16 और तिरुपति हवाई अड्डे से 4 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं और इन रद्दीकरणों से हजारों यात्री फंसे हुए हैं और उन्हें भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारियों ने यात्रियों से यात्रा शुरू करने से पहले अपनी उड़ान या ट्रेन की स्थिति की जांच करने की अपील की है।सरकारी और राहत प्रयास
केंद्र और राज्य सरकारें स्थिति पर बारीकी से नजर रख रही हैं। आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों से 50 हजार से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। ओडिशा में, मुख्यमंत्री मोहन माझी ने 'जीरो कैजुअल्टी' (शून्य हताहत) का लक्ष्य रखा है और राज्य में दो हजार से अधिक शरणालय स्थापित किए गए हैं। 6,000 से अधिक बचावकर्मी, जिनमें एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें शामिल हैं, तैनात किए गए हैं। समुद्री तटों को बंद कर दिया गया है और मछुआरों। को समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है।व्यापक क्षेत्रीय प्रभाव
आंध्र प्रदेश के अलावा, चक्रवात 'मोन्था' का असर ओडिशा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भी देखा जा रहा है, जहाँ 80-90 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही हैं और भारी बारिश हो रही है। ओडिशा के मलकानगिरी, कोरापुट, रायगढ़ा, गजपति और गंजाम सहित 15 जिलों में भूस्खलन और पेड़ गिरने की घटनाएं सामने आई हैं। गजपति जिले में एक व्यक्ति की मौत और एक के घायल होने की खबर है और कई जगहों पर सड़कों पर बड़े पत्थर गिरने से रास्ते बंद हो गए हैं।अप्रत्याशित पहुँच: राजस्थान और मध्य भारत
दिलचस्प बात यह है कि चक्रवात 'मोन्था' का असर देश के मध्य और पश्चिमी हिस्सों में भी महसूस किया जा रहा है और मौसम विभाग के अनुसार, राजस्थान के कई इलाकों में भारी बारिश हुई है। बूंदी जिले में पिछले 24 घंटे में सबसे ज्यादा 130 मिमी बारिश दर्ज की गई और उदयपुर, कोटा और आसपास के जिलों में भी भारी बारिश की संभावना है, जबकि अजमेर, जयपुर, भरतपुर और जोधपुर संभाग के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश और गरज-चमक के आसार हैं। मौसम विभाग ने केरल, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और झारखंड। में भी अगले तीन दिनों तक बारिश का अनुमान लगाया है।'मोन्था' नाम का उद्गम
यह चक्रवाती तूफान 'मोन्था' नाम थाइलैंड ने दिया है। थाई भाषा में 'मोन्था' का अर्थ 'सुगंधित फूल' होता है। हालांकि, अपने नाम के विपरीत, इस तूफान ने भारत के पूर्वी तट पर भारी तबाही और नुकसान पहुंचाया है। अधिकारी और बचाव दल लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और प्रभावित क्षेत्रों में जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल करने का प्रयास कर रहे हैं।