दिल्ली: DCW ने ऑनर किलिंग का शिकार होने से लड़की को बचाया, डर की वजह से पति छिपा

दिल्ली - DCW ने ऑनर किलिंग का शिकार होने से लड़की को बचाया, डर की वजह से पति छिपा
| Updated on: 21-Aug-2020 08:08 AM IST
नई दिल्ली: दिल्ली महिला आयोग (DCW) ने सोशल मीडिया के ज़रिए एक महिला को ऑनर किलिंग का शिकार होने से बचाया। आयोग के ट्विटर एकाउंट पर श्रुति (नाम बदला गया) नाम की 20 वर्षीय लड़की ने अपने दोस्त का फोन इस्तेमाल करते हुए ट्वीट कर सहायता मांगी। श्रुति ने बताया कि उसने अपने पंसद के लड़के से शादी की थी, जिसके बाद से उसके परिवार वाले उसकी शादी का विरोध कर रहे हैं और बात इतनी बढ़ चुकी है कि अब उसकी हत्या की कोशिश भी कर रहे हैं। ट्विटर पर मदद मांगने के कुछ ही मिनट बाद आयोग ने ट्विटर पर महिला से संपर्क साधने की कोशिश की। 

दिल्ली महिला आयोग की विज्ञप्ति के मुताबिक, लड़की ने बताया कि वो अपने घर से बचकर निकली है और उसके परिवार वालों ने उसका फोन रख लिया है। लड़की पिछले 3 दिन से दर दर भटक रही थी और छुप छुपकर किसी तरह गुज़ारा कर रही थी। पीड़िता शुरुआत में अपना पता बताने मे भी घबरा रही थी। आयोग के पीआरओ ने पीड़िता को हिम्मत देते हुए आयोग के ITO स्थित दफ्तर आकर तुरंत आयोग की मेम्बर से मिलने को कहा। श्रुति आयोग के दफ्तर पहुंची। 

पीड़िता ने बताया कि उसकी उम्र 20 साल है और 12 अगस्त को उसने अपने प्रेमी से दिल्ली में एक मंदिर में विवाह किया था, जिसकी जानकारी मिलते ही उसके परिवार वालों ने उसे मिलने के बहाने वापस बुलाया और उसके घर आने पर उसे बुरी तरह मारपीट कर दादरी ले गए जहां उसे मारने की साज़िश की जा रही थी। पीड़िता किसी तरह वहां से भाग निकली और वापस दिल्ली आई। दिल्ली आकर वो 2 दिन जगह जगह छुपती रही और उसके बाद उसने आयोग से मदद मांगी।  

विज्ञप्ति में कहा गया है कि लड़की के अनुसार, उसका पति अभी भी डर की वजह से कहीं छुपा हुआ है और उससे संपर्क नहीं हो पा रहा है। आयोग के दख़ल के बाद मामले में IPC की धारा 323/365/506/34 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। इसमें कहा गया है कि लड़की के परिवार के 50 लोगों ने आयोग का दफ़्तर भी घेर लिया और आयोग के स्टाफ़ को लड़की के परिवार वालों ने धमकाया भी, जिसकी कम्प्लेंट पुलिस में दर्ज करायी गयी है। 

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा, "बड़े दुख की बात है कि 2020 के भारत में भी ऑनर किलिंग जैसा सामाजिक कलंक जीवित है। किस प्रकार परिवार वाले अपने ही बच्चों की जान लेने को उतारू हो जाते हैं। आज के ज़माने में सोशल मीडिया की ज़रूरत बहुत ज़्यादा है।"

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