Madhya Pradesh Congress: कांग्रेस के अंदर MP में हार के बाद बढ़ा मतभेद, पार्टी की बैठक में नहीं पहुंचे शीर्ष नेता

Madhya Pradesh Congress - कांग्रेस के अंदर MP में हार के बाद बढ़ा मतभेद, पार्टी की बैठक में नहीं पहुंचे शीर्ष नेता
| Updated on: 23-Nov-2024 09:27 AM IST
Madhya Pradesh Congress: मध्य प्रदेश में कांग्रेस की दो दिवसीय कार्यसमिति की बैठक शुक्रवार को मतभेदों और विवादों के बीच समाप्त हुई। यह बैठक न केवल पार्टी के संगठनात्मक मुद्दों को सुलझाने की कोशिश थी, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति बनाने का भी उद्देश्य रखती थी। हालांकि, प्रमुख नेताओं की अनुपस्थिति ने पार्टी में गहराते असंतोष और अंदरूनी मतभेदों को और उजागर कर दिया।

प्रमुख नेताओं की अनुपस्थिति ने खड़े किए सवाल

बैठक के पहले दिन पार्टी के कई बड़े नामों ने भाग नहीं लिया। अनुपस्थित नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, प्रवीण पाठक, कमलेश्वर पटेल, और दिग्विजय सिंह शामिल थे। इन अनुपस्थितियों ने पार्टी की एकता और समन्वय पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।

पार्टी के वरिष्ठ नेता उमंग सिंघार ने भी बैठक में हिस्सा नहीं लिया। हालांकि, मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इसे सिंघार की स्वास्थ्य समस्याओं से जोड़ा। पटवारी ने मीडिया में अपने रोने की खबरों को खारिज करते हुए कहा, "मैं एक योद्धा हूं और यह सिर्फ मीडिया की कल्पना है।"

पार्टी में मतभेद और असंतोष

कई नेताओं की अनुपस्थिति को विश्लेषक पार्टी में गहरे असंतोष और अंदरूनी खींचतान के संकेत के रूप में देख रहे हैं। पिछले साल के विधानसभा चुनावों में बीजेपी से करारी हार के बाद से कांग्रेस के भीतर मतभेद बढ़ते हुए दिखाई दिए हैं।

एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि बैठक में शामिल न होने वाले कई नेता अगले सप्ताह विधानसभा के घेराव जैसे बड़े कदम उठाने के पक्ष में थे। लेकिन इन असहमति भरे संकेतों के बावजूद, पार्टी ने संगठनात्मक स्तर पर कई महत्वपूर्ण फैसले लिए।

संगठनात्मक सुधार के प्रयास

बैठक के दौरान पार्टी ने आगामी चुनावों के मद्देनजर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए:

  1. वार्ड, मोहल्ला और ग्राम समितियों का गठन: पार्टी ने नए सिरे से इन समितियों के गठन की प्रक्रिया शुरू की है, जो जमीनी स्तर पर पार्टी की पहुंच बढ़ाने का प्रयास है।
  2. 230 विधानसभा क्षेत्रों में प्रभारी नियुक्ति: प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए प्रभारी नेताओं की नियुक्ति का फैसला लिया गया, ताकि चुनावी तैयारियों को और मजबूत किया जा सके।
इन फैसलों से यह स्पष्ट है कि कांग्रेस आने वाले चुनावों को लेकर सक्रिय है, लेकिन अंदरूनी विवादों के चलते इन प्रयासों की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

चुनौतियों का सामना

मध्य प्रदेश कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी की एकता और नेतृत्व में विश्वास को बहाल करना है। हालांकि, जीतू पटवारी ने बैठक की सकारात्मक तस्वीर पेश करने की कोशिश की, लेकिन नेताओं की अनुपस्थिति और मतभेदों को नजरअंदाज करना मुश्किल है।

पार्टी को आगामी चुनावों में बीजेपी का सामना करने के लिए एकजुटता और स्पष्ट रणनीति की जरूरत होगी। संगठनात्मक सुधार और जमीनी स्तर पर मजबूती के प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन जब तक नेताओं के बीच मतभेद सुलझाए नहीं जाते, तब तक इन सुधारों का पूरा प्रभाव नहीं देखा जा सकेगा।

निष्कर्ष

मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक पार्टी के भीतर के विरोधाभासों को उजागर करती है। एक तरफ, पार्टी आगामी चुनावों के लिए तैयारियों में जुटी है, वहीं दूसरी तरफ, बड़े नेताओं की अनुपस्थिति असंतोष को दर्शाती है। कांग्रेस के लिए यह महत्वपूर्ण समय है, जहां एकता और स्पष्ट रणनीति के बिना सफलता मुश्किल होगी। आने वाले महीनों में पार्टी का प्रदर्शन यह तय करेगा कि वह इन चुनौतियों से कैसे उभरती है।

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