Air Defense System: भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 23 अगस्त 2025 को ओडिशा के तट पर एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (Integrated Air Defence Weapon System - IADWS) का पहला सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण दोपहर लगभग 12:30 बजे किया गया, जिसमें मिसाइलों ने हवा में ही अपने लक्ष्य को सफलतापूर्वक नष्ट किया। यह प्रणाली पूरी तरह से स्वदेशी है और इसमें तीन प्रकार की उन्नत मिसाइलें शामिल हैं:
त्वरित प्रतिक्रिया सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (QRSAM): यह मिसाइल त्वरित प्रतिक्रिया के लिए डिज़ाइन की गई है और हवाई खतरों को तेजी से नष्ट करने में सक्षम है।
उन्नत अति लघु दूरी वायु रक्षा प्रणाली (VSHORADS): यह प्रणाली निकट दूरी के खतरों, जैसे ड्रोन और हेलिकॉप्टर, को नष्ट करने के लिए प्रभावी है।
उच्च शक्ति वाली लेजर आधारित निर्देशित ऊर्जा हथियार (DEW): यह अत्याधुनिक तकनीक ऊर्जा आधारित हथियारों का उपयोग करके लक्ष्यों को नष्ट करती है।
यह बहुस्तरीय प्रणाली भारतीय रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर ले जाती है और इसे विशेष रूप से पड़ोसी देशों, जैसे पाकिस्तान और चीन, से उत्पन्न होने वाले खतरों को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है।
भारत की वायु रक्षा प्रणाली दुनिया की सबसे उन्नत और मजबूत प्रणालियों में से एक है। यह बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों, लड़ाकू विमानों, ड्रोनों और हेलिकॉप्टरों जैसे हवाई खतरों से निपटने में सक्षम है। यह मल्टी-लेयर्ड सिस्टम उन्नत रडार, मिसाइल सिस्टम, और कमांड-एंड-कंट्रोल सेंटरों के एकीकृत नेटवर्क पर आधारित है, जो इसे अत्यंत प्रभावी बनाता है।
रूस से प्राप्त यह प्रणाली भारत की रक्षा शक्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। 2018 में 35,000 करोड़ रुपये के सौदे के तहत भारत ने पांच स्क्वाड्रन खरीदे। इसकी विशेषताएँ:
रेंज: 400 किमी तक लक्ष्य को नष्ट करने की क्षमता।
ट्रैकिंग: 600 किमी तक लक्ष्य का पता लगाने और एक साथ 80 लक्ष्यों को ट्रैक करने की क्षमता।
हमला: एक साथ 36 लक्ष्यों पर निशाना साध सकता है।
तैनाती: पंजाब, राजस्थान और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में पाकिस्तान और चीन से खतरों को रोकने के लिए तैनात।
डीआरडीओ और भारत डायनामिक्स लिमिटेड द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित, यह प्रणाली मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से सुसज्जित है। इसकी विशेषताएँ:
रेंज: आकाश नेक्स्ट जेनरेशन की रेंज 70-80 किमी, जो 150 किमी तक 60 से अधिक लक्ष्यों को ट्रैक कर सकती है।
क्षमता: एक बैटरी 64 लक्ष्यों को ट्रैक और 12 पर हमला कर सकती है।
लक्ष्य: लड़ाकू विमान, क्रूज मिसाइलें, और बैलिस्टिक मिसाइलें।
भारत और इजरायल द्वारा संयुक्त रूप से विकसित, यह प्रणाली नौसेना और थलसेना दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। इसकी विशेषताएँ:
रेंज: 70-100 किमी, 16 किमी की ऊंचाई तक लक्ष्य नष्ट करने की क्षमता।
क्षमता: एक साथ 16 लक्ष्यों पर 24 मिसाइलें दाग सकता है।
तैनाती: भटिंडा जैसे रणनीतिक ठिकानों पर तैनात।
यह प्रणाली वायुमंडल के बाहर 80 किमी की ऊंचाई पर बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है। इसकी रेंज 2000 किमी तक है, जो इसे लंबी दूरी के खतरों से निपटने में प्रभावी बनाती है।