PM Modi In Ethiopia: इथियोपिया में गूंजा 'वंदे मातरम्', पीएम मोदी ने बजाई तालियां, बताया भावुक पल

PM Modi In Ethiopia - इथियोपिया में गूंजा 'वंदे मातरम्', पीएम मोदी ने बजाई तालियां, बताया भावुक पल
| Updated on: 18-Dec-2025 08:22 AM IST
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इथियोपिया दौरे के दौरान, एक असाधारण और हृदयस्पर्शी घटना ने दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक सेतु को और मजबूत किया। इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद अली द्वारा आयोजित एक भव्य बैंक्वेट डिनर में, इथियोपियाई कलाकारों ने भारत के राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम्' का शानदार गायन प्रस्तुत किया। यह क्षण न केवल भारतीय प्रतिनिधिमंडल के लिए, बल्कि स्वयं प्रधानमंत्री मोदी के लिए भी बेहद भावुक कर देने वाला था, जिन्होंने इस प्रस्तुति पर हाथ उठाकर तालियां बजाईं और अपनी खुशी व्यक्त की और यह घटना अफ्रीका की धरती पर भारत की सांस्कृतिक विरासत की गूंज का एक प्रबल प्रतीक बन गई।

इथियोपिया में वंदे मातरम् की गूंज

इथियोपिया की राजधानी में आयोजित इस राजकीय भोज का मुख्य आकर्षण इथियोपियाई गायकों द्वारा 'वंदे मातरम्' का गायन था और यह एक ऐसा दृश्य था जिसने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। विदेशी धरती पर, विशेष रूप से अफ्रीकी महाद्वीप में, भारत के राष्ट्रीय गीत का इतनी श्रद्धा और कुशलता के साथ गाया जाना, दोनों देशों के बीच गहरे सांस्कृतिक सम्मान और संबंधों को दर्शाता है और यह प्रस्तुति केवल एक संगीतमय प्रदर्शन नहीं थी, बल्कि यह भारत और इथियोपिया के बीच साझा मूल्यों और एक-दूसरे की संस्कृतियों के प्रति गहरी समझ का प्रतीक थी। इस तरह की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां कूटनीतिक संबंधों को एक नया आयाम देती। हैं, जहां कला और संगीत सीमाओं को पार कर लोगों को जोड़ते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी का भावुक पल

इस प्रस्तुति के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भावुक होते देखा गया और उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर इस पल को साझा करते हुए लिखा कि यह क्षण बेहद भावुक करने वाला था। उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि यह घटना तब हुई जब भारत 'वंदे मातरम्' के 150 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है। यह टिप्पणी इस गीत के ऐतिहासिक महत्व और भारतीय राष्ट्रवाद में इसकी भूमिका को रेखांकित करती है। प्रधानमंत्री का यह बयान दर्शाता है कि कैसे एक सांस्कृतिक आदान-प्रदान राष्ट्रीय गौरव और ऐतिहासिक स्मरणोत्सव के साथ जुड़ सकता है। उनकी तालियां और उनके शब्द इस बात का प्रमाण हैं कि कैसे संगीत और संस्कृति कूटनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, जिससे देशों के बीच भावनात्मक संबंध मजबूत होते हैं।

'एक पेड़ मां के नाम' पहल को मिला समर्थन

अपनी इथियोपिया यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने केवल कूटनीतिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान तक ही। सीमित नहीं रहे, बल्कि उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित किया। उन्होंने 'एक पेड़ मां के नाम' की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए इथियोपिया की 'ग्रीन लेगेसी' पहल के तहत एक पौधा भी लगाया। यह पहल पर्यावरण संरक्षण के वैश्विक प्रयासों में भारत की सक्रिय भागीदारी को दर्शाती है। 'एक पेड़ मां के नाम' एक प्रतीकात्मक अभियान है जो प्रकृति के प्रति सम्मान और भावी पीढ़ियों के लिए एक हरित भविष्य सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर देता है और इथियोपिया की 'ग्रीन लेगेसी' पहल के साथ इसका जुड़ाव यह दर्शाता है कि कैसे दोनों देश साझा वैश्विक चुनौतियों, जैसे जलवायु परिवर्तन, से निपटने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।

इथियोपियाई संसद में वंदे मातरम् का जिक्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इथियोपियाई संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए भी 'वंदे मातरम्' का विशेष रूप से जिक्र किया। अपने संबोधन में, उन्होंने भारत के राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम्' और इथियोपिया के राष्ट्रगान के बीच एक गहरा संबंध स्थापित किया। उन्होंने बताया कि दोनों ही गीत अपनी-अपनी भूमि को 'मां' कहते हैं। यह समानता दोनों देशों की सांस्कृतिक और भावनात्मक जड़ों में निहित मातृभूमि के प्रति गहरे सम्मान को उजागर करती है। पीएम मोदी ने कहा कि ये गीत हमें अपनी विरासत, संस्कृति, सुंदरता पर गर्व करने और अपनी मातृभूमि की रक्षा करने के लिए प्रेरित करते हैं। यह बयान न केवल दोनों देशों के बीच एक भावनात्मक पुल का निर्माण करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे राष्ट्रीय प्रतीक साझा मानवीय मूल्यों को प्रतिबिंबित कर सकते हैं।

भारत और इथियोपिया के मजबूत संबंध

भारत और इथियोपिया के संबंध अफ्रीका-एशिया सहयोग की एक मजबूत मिसाल पेश करते हैं। इन संबंधों की जड़ें केवल आधुनिक कूटनीति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक स्तर पर गहराई से जुड़ी हुई हैं। सदियों से दोनों देशों के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान होता रहा है, जिसने एक मजबूत नींव तैयार की है और यह दोस्ती केवल सरकारों के बीच नहीं, बल्कि लोगों के बीच भी है, जो एक-दूसरे की परंपराओं और जीवन शैली का सम्मान करते हैं। इन मजबूत संबंधों ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी दोनों देशों को एक। साथ खड़ा किया है, जिससे वैश्विक शांति और विकास में उनका योगदान बढ़ा है।

व्यापारिक और कूटनीतिक साझेदारी

इथियोपिया भारत का अफ्रीका में एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है। दोनों देशों के बीच व्यापार लगातार बढ़ रहा है, जो आर्थिक सहयोग की बढ़ती गहराई को दर्शाता है। भारतीय निवेश इथियोपिया के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जिससे रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल रहा है और यह आर्थिक साझेदारी केवल वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, क्षमता निर्माण और संयुक्त उद्यम भी शामिल हैं। कूटनीतिक स्तर पर भी, दोनों देश एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं, जिससे क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता को बढ़ावा मिलता है। यह साझेदारी दक्षिण-दक्षिण सहयोग के सिद्धांतों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जहां विकासशील देश एक-दूसरे के विकास में योगदान करते हैं।

वैश्विक मंचों पर सहयोग

भारत और इथियोपिया दोनों ही गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) के प्रमुख सदस्य रहे हैं, जो शीत युद्ध के दौरान एक महत्वपूर्ण वैश्विक शक्ति के रूप में उभरा था और गुटनिरपेक्ष आंदोलन के सिद्धांतों के प्रति उनकी साझा प्रतिबद्धता ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक साथ काम करने के लिए प्रेरित किया है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दोनों देशों के विचार अक्सर समान रहे हैं, खासकर 'ग्लोबल साउथ' के मुद्दों पर। वे विकासशील देशों के हितों की वकालत करते हैं और एक अधिक न्यायसंगत और संतुलित विश्व व्यवस्था के लिए प्रयासरत हैं। भारत ने अफ्रीकी संघ (African Union) के साथ अपने रिश्तों। को मजबूत करने में इथियोपिया को एक अहम साझेदार माना है। अफ्रीकी संघ का मुख्यालय इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा में स्थित है, जो इथियोपिया को अफ्रीका में भारत के लिए एक रणनीतिक प्रवेश द्वार बनाता है। यह सहयोग न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करता है, बल्कि अफ्रीका और एशिया के बीच व्यापक सहयोग के लिए भी मार्ग प्रशस्त करता है।

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