Samudrayaan Mission: पहले आकाश और अब भारत की पाताल को भेदने की तैयारी, आ रहा है का समुद्रयान

Samudrayaan Mission - पहले आकाश और अब भारत की पाताल को भेदने की तैयारी, आ रहा है का समुद्रयान
| Updated on: 04-Aug-2023 08:04 PM IST
Samudrayaan Mission: आकाश के बाद अब भारत पाताल को भेदने की तैयारी कर रहा है. यह मुमकिन होने जा रहा है समुद्रयान से. यह भारत का दूसरा महासागर मिशन है, जिसके तहत एक मानवयुक्त पनडुब्बी को गहरे समुद्र में भेजा जाएगा. मेगा प्रोजेक्ट समुद्रयान के तहत भारत ‘मत्स्य 6000’ पनडुब्बी को तैयार कर रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि मार्च 2024 तक इसका काम पूरा हो जाएगा और 2026 तक इसका ऑपरेशनल प्रयोग शुरू कर दिया जाएगा. इस पूरे मिशन का नाम समुद्रयान है, जिसमें तीन लोगों को समुद्र के 6000 मीटर नीचे भेजा जाएगा.

समुद्र के रहस्यों को खंगालना उद्देश्य

अक्टूबर 2021 में अद्वितीय महासागर मिशन ‘समुद्रयान’ के लॉन्च के साथ भारत अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस और चीन जैसे देशों के एलीट क्लब में शामिल हो चुका है, जिनके पास समुद्र में कई तरह की गतिविधियों को अंजाम देने की विशिष्ट तकनीक और वाहन हैं. अब भारत ने मेगा महासागर मिशन समुद्रयान शुरू किया है, इसका उद्देश्य 6 हजार मीटर नीचे गहरे पानी में उतरकर उसका अध्ययन करना और समुद्र के रहस्यों को खंगालना है. इसके लिए समुद्र में विशेषज्ञों की एक टीम भेजी जाएगी, जिसमें 3 लोग शामिल होंगे.

क्या है मिशन का उद्देश्य?

समुद्रयान मिशन का उद्देश्य गहरे समुद्र के रहस्यों को खंगालना है, इसके लिए वैज्ञानिक सेंसर और उपकरणों के एक सेट के साथ समुद्र में 6000 मीटर की गहराई तक जाएंगे, इसके लिए एक स्वचालित और मानव चालित पनडुब्बी विकसित की जा रही है, जो आम तौर पर 12 घंटे पानी के अंतर रहेगी और इमरजेंसी में 96 घंटे तक पानी में ही रह सकेगी.

समुद्रयान मिशन क्यों जरूरी

महासागर दुनिया के 70 प्रतिशत हिस्से को कवर करते हैं, खास बात ये है कि इनमें से गहरे महासागरों का तकरीबन 95 प्रतिशत हिस्सा अज्ञात है. भारत के लिए ये इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत तीन तरफ से समुद्र से घिरा है. यहां की 30 प्रतिशत आबादी तटीय क्षेत्रों में ही रहती है. इसके अलावा मत्स्य पालन, जलीय कृषि, पर्यटन, आजीविका और नीले व्यापार की निर्भरता भी समुद्र पर ही टिकी है.

भारत को इससे क्या फायदा होगा?

भारत सरकार का ‘न्यू इंडिया’ का दृष्टिकोण नीली अर्थव्यवस्था को विकास के प्रमुख दस आयामों में से एक मानता है. इसीलिए भारत ने जो तैयारी की है, उसके हिसाब से मानवयुक्त पनडुब्बी वैज्ञानिको को सीधे समुद्र की गहराइयों में लेकर जाएगी और यह अनछुए तत्वों, खनिजों और मिनरल्स की जानकारी देगी जो इससे पहले नहीं खोजे गए हैं.

क्या है लागत

भारत महासागर मिशन समुद्रयान की लागत तकरीबन 4077 करोड़ रुपये है, इसमें 3 वर्षों यानी 2021 से 2024 के लिए अनुमानित लागत तकरीबन 2834 करोड़ रुपये आंकी गई है.

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