बीकानेर। राजस्थान के राजनीतिक क्षितिज से एक दुखद खबर सामने आई है। कांग्रेस के वरिष्ठ जाट नेता और राजस्थान विधानसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष
रामेश्वर डूडी का शुक्रवार देर रात करीब 12:30 बजे निधन हो गया। वे 62 वर्ष के थे।उनका निधन एक लंबी बीमारी के बाद हुआ, जिसने पिछले 25 महीनों से उन्हें जकड़ रखा था। उन्हें लगभग
25 महीने पहले ब्रेन स्ट्रोक हुआ था, जिसके बाद से वे लगातार
कोमा में थे। उनका इलाज दिल्ली और जयपुर के अस्पतालों में चला, लेकिन पिछले कुछ दिनों से उन्हें बीकानेर स्थित उनके आवास पर लाया गया था। उनके भतीजे अतुल डूडी ने शनिवार सुबह उनके निधन की पुष्टि की, जिसके बाद से पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है।
राजनीतिक सफर: छात्र राजनीति से संसद तक
रामेश्वर लाल डूडी का जन्म 1 जुलाई
1963 को बीकानेर जिले के नोखा क्षेत्र में हुआ था। उन्होंने छात्र राजनीति (NSUI) से अपना सफर शुरू किया और जल्द ही राजस्थान की राजनीति में एक मजबूत किसान नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई।
- स्थानीय राजनीति में उदय: उन्होंने 1995 में पंचायत समिति सदस्य बनकर नोखा के प्रधान (Panchayati Raj Pradhan) के रूप में कार्य किया।
- संसद का सफर: डूडी की लोकप्रियता का आलम यह था कि प्रधान रहते हुए ही उन्होंने 1999 में बीकानेर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और सांसद बने।
- नेता प्रतिपक्ष: 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बावजूद वे नोखा सीट से विधायक बने। इसके बाद, उन्हें 23 जनवरी 2013 से 13 दिसंबर 2018 तक राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष (Leader of Opposition) की जिम्मेदारी सौंपी गई। वसुंधरा राजे की सरकार के दौरान उन्होंने विपक्ष की भूमिका को मुखरता के साथ निभाया और ग्रामीण तथा किसान हितों के मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाया।
- अन्य पद: वे दो बार जिला प्रमुख भी रहे और निधन के समय राजस्थान राज्य कृषि उद्योग विकास बोर्ड के अध्यक्ष (कैबिनेट मंत्री का दर्जा) के रूप में कार्यरत थे।
डूडी को उत्तर-पश्चिमी राजस्थान के किसानों की एक मजबूत आवाज माना जाता था। उनकी सादगी, किसानों के प्रति समर्पण और जुझारू तेवर ने उन्हें आम लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय बना दिया था।
आज 11 बजे अंतिम संस्कार
दिवंगत नेता रामेश्वर डूडी का अंतिम संस्कार आज
(शनिवार) सुबह 11 बजे बीकानेर में
पूगल फांटे के पास स्थित श्मशान घाट पर किया जाएगा। उनकी अंतिम यात्रा उनके निजी आवास से शुरू होगी, जिसमें कांग्रेस और अन्य दलों के वरिष्ठ नेताओं, कार्यकर्ताओं और उनके हजारों समर्थकों के शामिल होने की संभावना है।डूडी के निधन को कांग्रेस पार्टी और राजस्थान की राजनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति माना जा रहा है। उनके निधन की खबर सुनते ही राजनीतिक गलियारों से लेकर आमजन तक में शोक व्याप्त हो गया है। मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, और विभिन्न दलों के नेताओं ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है।रामेश्वर डूडी का लंबा राजनीतिक करियर संघर्ष, समर्पण और जनता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक रहा है। उनका खालीपन लंबे समय तक महसूस किया जाता रहेगा।