Gold Price Crash: धड़ाम से गिरा सोना: 12 साल की सबसे बड़ी गिरावट, निवेशक कर रहे मुनाफावसूली

Gold Price Crash - धड़ाम से गिरा सोना: 12 साल की सबसे बड़ी गिरावट, निवेशक कर रहे मुनाफावसूली
| Updated on: 22-Oct-2025 04:29 PM IST
सोना, जिसे हमेशा से ही सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता रहा है, इस समय भारी उथल-पुथल के दौर से गुज़र रहा है। रिकॉर्ड तोड़ ऊंचाइयों को छूने के बाद, सोने की कीमतों में पिछले 12 सालों की सबसे भीषण एक दिनी गिरावट दर्ज की गई है। यह तेज बिकवाली मंगलवार को शुरू हुई और बुधवार को। भी जारी रही, जिससे निवेशकों में चिंता का माहौल है।

रिकॉर्ड स्तर पर हुई जमकर मुनाफावसूली

बाज़ार में अचानक आई इस घबराहट का मुख्य कारण निवेशकों द्वारा की जा रही भारी मुनाफावसूली (Profit-Taking) है। इस साल सोने और चांदी की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई थी, जिससे यह चिंता बढ़ रही थी कि कहीं यह एक ‘बबल’ तो नहीं बनता जा रहा। अब वही निवेशक, जो ऊंचे दामों पर बैठे थे, अपना मुनाफा समेटने के लिए बाज़ार में टूट पड़े हैं, जिससे कीमतों का यह क्रैश देखने को मिला है। केसीएम ट्रेड के मुख्य बाज़ार विश्लेषक टिम वॉटरर के अनुसार, “मुनाफावसूली का सिलसिला एक ‘स्नोबॉल’ (बर्फ के गोले) की तरह बढ़ता गया। ”

आंकड़ों में गिरावट की भयावहता

मंगलवार को सोने की कीमतों में 6. 3% तक की भारी गिरावट आई थी, जो पिछले 12 साल में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है और यह सिलसिला थमा नहीं और बुधवार को सोना एक समय 2. 9% और टूटकर $4,004 और 26 प्रति औंस पर आ गया। चांदी की हालत तो और भी खराब रही। पिछले सत्र में 7. 1% लुढ़कने के बाद, चांदी बुधवार को 2% से ज़्यादा गिरकर $47. 6 के आसपास पहुंच गई।

अन्य बाज़ारों पर असर और अमेरिकी शटडाउन

सोने-चांदी की इस भारी गिरावट का असर दुनिया भर के अन्य बाज़ारों पर भी देखने को मिल रहा है, हालांकि शेयर बाज़ारों में वैसी घबराहट नहीं है। अमेरिकी शेयर बाज़ार इस उठापटक से ज़्यादातर अछूते रहे, जबकि एशियाई बाज़ारों में मिला-जुला रुख रहा। इस पूरी उथल-पुथल के बीच अमेरिकी सरकार का ‘शटडाउन’ एक बड़ा पेंच बना हुआ है। इसके कारण कमोडिटी फ्यूचर्स ट्रेडिंग कमीशन (CFTC) की साप्ताहिक रिपोर्ट जारी नहीं हो। पा रही है, जिससे कमोडिटी व्यापारियों को अहम डेटा नहीं मिल पा रहा है। एएनज़ेड ग्रुप होल्डिंग्स लिमिटेड के विश्लेषकों का अनुमान है कि बाज़ार में खरीदारी की पोजीशन बहुत ज़्यादा बन गई थी, जिसने बिकवाली को ट्रिगर किया।

क्या सोने की चमक फीकी पड़ गई?

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या सोने का सुनहरा दौर खत्म हो गया है? बाज़ार के ज़्यादातर विशेषज्ञ ऐसा नहीं मानते। उनका कहना है कि कीमतों में आई यह गिरावट एक ‘करेक्शन’ (सुधार) है, जो इतने बड़े उछाल के बाद स्वाभाविक है। सिटी इंडेक्स के फवाद रज़ाकज़ादा के अनुसार, सोने की हालिया रैली ‘असाधारण’ थी, जिसे गिरती ब्याज दरों और केंद्रीय बैंकों की खरीदारी ने बल दिया था। विश्लेषकों का मानना है कि सोने को समर्थन देने वाले दीर्घकालिक कारक अभी भी मौजूद हैं, और कई निवेशक इस गिरावट को खरीदारी के एक अवसर के तौर पर देख सकते हैं।

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