Russia-Ukraine War: रूसी सेना में शामिल होने को मजबूर गुजराती छात्र, यूक्रेन से भेजा मदद का SOS वीडियो

Russia-Ukraine War - रूसी सेना में शामिल होने को मजबूर गुजराती छात्र, यूक्रेन से भेजा मदद का SOS वीडियो
| Updated on: 22-Dec-2025 09:52 AM IST
हाल ही में एक भारतीय छात्र का मार्मिक वीडियो सामने आया है, जिसने भारत सरकार से अपनी सुरक्षित घर वापसी के लिए भावुक अपील की है. यह छात्र गुजरात के मोरबी का रहने वाला साहिल मोहम्मद हुसैन है, जो छात्र वीजा पर उच्च शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से रूस गया था और हालांकि, उसकी पढ़ाई की यात्रा ने एक अप्रत्याशित और खतरनाक मोड़ ले लिया, जब उसे कथित तौर पर रूसी सेना में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया. अब यूक्रेन से जारी किए गए इस वीडियो में, साहिल ने अपनी आपबीती सुनाई है और भारत सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की गुहार लगाई है.

रूस में पढ़ाई और अप्रत्याशित मोड़

साहिल मोहम्मद हुसैन 2024 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए रूस पहुंचा था. रूस में रहते हुए, उसने अपनी आर्थिक और वीजा संबंधी समस्याओं को. दूर करने के लिए एक कूरियर कंपनी में पार्ट-टाइम काम करना शुरू किया. यह एक सामान्य छात्र का जीवन था, जब तक कि वह कुछ ऐसे रूसियों के संपर्क में नहीं आया, जो बाद में नशीले पदार्थों के कारोबार से जुड़े पाए गए. साहिल का आरोप है कि उसे एक झूठे ड्रग्स मामले में फंसाया गया, जिससे उसकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई. उसने जोर देकर कहा कि उसने कुछ भी गलत नहीं. किया था, लेकिन उसे इस गंभीर आरोप का सामना करना पड़ा.

सेना में शामिल होने के लिए दबाव

साहिल के अनुसार, रूसी पुलिस ने उसे झूठे ड्रग्स मामले में फंसाने के बाद एक भयावह विकल्प दिया. उसे धमकी दी गई कि यदि वह रूसी सेना में सेवा नहीं करेगा, तो उसे जेल में डाल दिया जाएगा. इस दबाव के आगे झुकते हुए और झूठे आरोपों से छुटकारा पाने की. उम्मीद में, साहिल ने रूसी सेना में शामिल होने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया. उसने बताया कि रूस में कम से कम 700 अन्य लोगों को भी ड्रग्स के आरोप में जेल में डाला गया था, और जेल अधिकारियों ने उन्हें भी रूसी सेना में शामिल होने का विकल्प दिया था ताकि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप हटा दिए जाएं. यह एक ऐसी स्थिति थी जहां छात्रों और अन्य व्यक्तियों को अपनी स्वतंत्रता और जीवन के बीच चयन करने के लिए मजबूर किया जा रहा था.

फ्रंटलाइन पर तैनाती और आत्मसमर्पण

रूसी सेना में शामिल होने के बाद, साहिल मोहम्मद हुसैन को केवल 15 दिनों का प्रशिक्षण दिया गया. इस संक्षिप्त प्रशिक्षण अवधि के तुरंत बाद, उसे सीधे यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध की फ्रंटलाइन पर भेज दिया गया. यह एक बेहद खतरनाक स्थिति थी, जहां उसे दुश्मन सेना का सामना करना था. हालांकि, फ्रंटलाइन पर पहुंचते ही साहिल ने एक साहसिक निर्णय लिया. उसने तुरंत यूक्रेनी सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. यह कदम उसकी जान बचाने और युद्ध में शामिल होने से बचने के लिए उठाया गया था, जिसमें वह अपनी इच्छा के विरुद्ध फंसाया गया था.

यूक्रेन से SOS वीडियो और भारत से अपील

यूक्रेनी बलों द्वारा पकड़े जाने के बाद, साहिल मोहम्मद हुसैन को यूक्रेन में रखा गया है और यहीं से उसने एक वीडियो मैसेज रिकॉर्ड किया है, जिसमें वह ऑलिव ग्रीन जैकेट पहने हुए दिख रहा है. इस वीडियो में, उसने भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपनी सुरक्षित घर वापसी के लिए भावुक अपील की है और उसने अन्य भारतीय युवाओं को भी चेतावनी दी है कि वे रूस में ठगों से सावधान रहें, जो उन्हें झूठे ड्रग्स मामलों में फंसा सकते हैं और उन्हें रूसी सेना में शामिल होने के लिए मजबूर कर सकते हैं. यूक्रेनी अधिकारियों ने भी इस वीडियो को गुजरात में साहिल की मां को भेजा है और उनसे रूसी सेना में भारतीयों की धोखे से भर्ती के बारे में जागरूकता फैलाने को कहा है.

मां की कानूनी लड़ाई और सरकार का हस्तक्षेप

साहिल की मां ने अपने बेटे की सुरक्षित वापसी के लिए दिल्ली की एक अदालत में याचिका दायर की है और इस मामले की अगली सुनवाई फरवरी में होनी है, जो परिवार के लिए उम्मीद की एक किरण है. भारत सरकार भी इस मामले को गंभीरता से ले रही है. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 5 दिसंबर को कहा था कि भारत रूसी सशस्त्र बलों. में शामिल हुए अपने नागरिकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए कोशिश कर रहा है. उन्होंने आगे किसी भी तरह की भर्ती से बचने की चेतावनी भी दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की राजकीय यात्रा के दौरान यह मुद्दा उनके सामने उठाया था और इस बात पर जोर दिया था कि रूसी सेना से भारतीय नागरिकों की जल्द ही रिहाई सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त प्रयास नियमित रूप से जारी हैं और यह दर्शाता है कि भारतीय सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा और वापसी के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है, खासकर ऐसे संवेदनशील मामलों में जहां उन्हें युद्ध में धकेला गया है.

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