Japan India Trade: चीन से छुट्टी और भारत से प्यार.. जापान की धांसू पॉलिसी से झूमेगा बाजार

Japan India Trade - चीन से छुट्टी और भारत से प्यार.. जापान की धांसू पॉलिसी से झूमेगा बाजार
| Updated on: 17-Feb-2025 06:00 AM IST

Japan India Trade: कोविड-19 महामारी के बाद जापानी कंपनियां भारत को अपने एक प्रमुख उत्पादन केंद्र के रूप में देख रही हैं। इसका मुख्य कारण चीन पर निर्भरता कम करने और अपनी मैन्यूफैक्चरिंग व सप्लाई चेन में विविधता लाने की रणनीति है, जिसे 'चीन प्लस वन' पॉलिसी कहा जाता है। वित्तीय परामर्श कंपनी डेलॉयट के विशेषज्ञों के अनुसार, इस नीति के तहत जापानी कंपनियां वैकल्पिक देशों में उत्पादन सुविधाएं स्थापित कर रही हैं, जिसमें भारत एक महत्वपूर्ण लाभार्थी के रूप में उभर रहा है।

डेलॉयट जापान के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) केनिची किमुरा ने कहा कि कोविड-19 के बाद जापानी कंपनियां सक्रिय रूप से 'चीन-प्लस' सप्लाई चेन रणनीतियों की खोज कर रही हैं, जिसमें भारत एक प्रमुख गंतव्य के रूप में उभर रहा है। भारत में निवेश करने से कंपनियों को कई फायदे मिल सकते हैं, जैसे कि व्यापक घरेलू बाजार, प्रतिस्पर्धी श्रम लागत और पश्चिम एशिया व अफ्रीका जैसे हाई ग्रोथ वाले बाजारों तक पहुंच।

भारत के प्रमुख लाभ:

  1. विशाल घरेलू बाजार: भारत की विशाल जनसंख्या और बढ़ती क्रय शक्ति कंपनियों को स्थिर मांग का आश्वासन देती है।

  2. प्रतिस्पर्धी श्रम लागत: तुलनात्मक रूप से कम श्रम लागत कंपनियों के लिए उत्पादन लागत को नियंत्रित रखने में सहायक होती है।

  3. रणनीतिक भौगोलिक स्थिति: भारत का स्थान इसे पश्चिम एशिया, अफ्रीका और अन्य उभरते बाजारों के लिए एक व्यापारिक केंद्र बनाता है।

  4. मजबूत व्यापार और प्रतिभा नेटवर्क: भारत में पहले से ही स्थापित व्यापारिक पारिस्थितिकी तंत्र और प्रतिभा नेटवर्क कंपनियों को आसानी से परिचालन विस्तार करने में मदद करता है।

जापान सरकार भी इस बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। सरकार ने कंपनियों को घरेलू स्तर पर या दक्षिण-पूर्व एशिया में उत्पादन स्थानांतरित करने के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता प्रदान की है। जापानी कंपनियां भारत के बड़े बाजार और श्रम संसाधनों का लाभ उठाने के लिए रणनीतिक साझेदारियों का निर्माण कर रही हैं। डेलॉयट दक्षिण एशिया के सीईओ रोमल शेट्टी के अनुसार, 'चीन प्लस वन' रणनीति ने जापानी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए प्रेरित किया है, जिससे उनकी सप्लाई चेन अधिक विविध और मजबूत बन सके।

इस रणनीति के तहत, जापान और भारत के बीच व्यापार और निवेश संबंधों में और मजबूती आने की संभावना है। जापानी कंपनियों के भारत में बढ़ते निवेश से न केवल भारत के औद्योगिक विकास को गति मिलेगी, बल्कि इससे दोनों देशों के आर्थिक सहयोग को भी बढ़ावा मिलेगा।

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