India GDP Growth: साल 2026 में 6.7% की रफ्तार से बढ़ेगी देश की GDP! अमेरिकी फर्म Goldman Sachs ने जताया भरोसा
India GDP Growth - साल 2026 में 6.7% की रफ्तार से बढ़ेगी देश की GDP! अमेरिकी फर्म Goldman Sachs ने जताया भरोसा
वैश्विक आर्थिक सुस्ती के बावजूद, भारत की अर्थव्यवस्था एक मजबूत और स्थिर गति से आगे बढ़ रही है, जैसा कि प्रमुख वैश्विक निवेश बैंक Goldman Sachs ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में बताया है और बैंक के अनुमानों के अनुसार, भारत 2025 में 7. 6 प्रतिशत की प्रभावशाली सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर दर्ज कर सकता है, जिसके बाद 2026 में यह दर 6. 7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। ये आंकड़े भारत को दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ने वाले देश के रूप में स्थापित करते हैं, जो वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में इसकी बढ़ती प्रमुखता को दर्शाता है। यह अनुमान ऐसे समय में आया है जब दुनिया के कई बड़े देश आर्थिक चुनौतियों। का सामना कर रहे हैं, जिससे भारत की स्थिति और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
वैश्विक तुलना में भारत की स्थिति
Goldman Sachs की रिपोर्ट में भारत की वृद्धि दर की तुलना अन्य प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं से की गई है, जिससे भारत की असाधारण स्थिति स्पष्ट होती है और रिपोर्ट के अनुसार, इसी अवधि में चीन की आर्थिक वृद्धि 5 प्रतिशत से नीचे रहने का अनुमान है, जो भारत की अनुमानित दर से काफी कम है। वहीं, संयुक्त राज्य अमेरिका (अमेरिका) और यूरो जोन जैसे विकसित क्षेत्रों की वृद्धि दर 3 प्रतिशत से काफी कम रहने की संभावना है। विशेष रूप से, 2026 में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद की औसत वृद्धि 2. 8 प्रतिशत आंकी गई है, जो भारत की अनुमानित 6. 7 प्रतिशत की रफ्तार से काफी पीछे है। यह तुलनात्मक विश्लेषण भारत की आर्थिक लचीलापन और विकास क्षमता को रेखांकित करता है।भारत की वृद्धि के प्रमुख चालक
भारत की इस मजबूत आर्थिक रफ्तार के पीछे कई महत्वपूर्ण कारक काम कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, देश में मजबूत घरेलू मांग एक प्रमुख प्रेरक शक्ति है, जो खपत और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दे रही है। इसके साथ ही, इंफ्रास्ट्रक्चर में लगातार हो रहा निवेश भी आर्थिक विकास को गति दे रहा है, जिससे रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं और उत्पादकता बढ़ रही है। अपेक्षाकृत स्थिर मैक्रो-इकोनॉमिक हालात भी भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रहे हैं, जिससे निवेशकों का विश्वास बना हुआ है। Goldman Sachs की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि यही कारक भारत को चीन और पश्चिमी देशों से अलग स्थिति में खड़ा करते हैं, जिससे यह वैश्विक आर्थिक मंदी के प्रभावों से अपेक्षाकृत अछूता रहता है।चीन की अर्थव्यवस्था: एक मिश्रित तस्वीर
Goldman Sachs की रिपोर्ट में चीन की अर्थव्यवस्था को एक मिश्रित तस्वीर के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिसमें कुछ मजबूत पहलू और कुछ कमजोरियां दोनों शामिल हैं। 2026 में चीन की GDP ग्रोथ 4. 8 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो भारत से कम है लेकिन फिर भी एक महत्वपूर्ण दर है। बैंक के अनुसार, चीन का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर अब भी मज़बूती से बढ़ रहा है और कम कीमत पर बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पाद बनाने की उसकी क्षमता बरकरार है। बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री Jan Hatzius ने इस बात पर जोर दिया कि ऊंचे टैरिफ के बावजूद चीन ने निर्यात पर पड़ने वाले असर को काफी हद तक संतुलित किया है, जो उसकी औद्योगिक क्षमता का प्रमाण है।
हालांकि, रिपोर्ट यह भी बताती है कि चीन की घरेलू अर्थव्यवस्था के कई हिस्सों में कमजोरी बनी हुई है। विशेष रूप से, प्रॉपर्टी सेक्टर 2026 में GDP ग्रोथ पर करीब 1 और 5 प्रतिशत अंक का नकारात्मक असर डाल सकता है, जो इस क्षेत्र में चल रही चुनौतियों को दर्शाता है। मजबूत मैन्युफैक्चरिंग और कमजोर घरेलू मांग के चलते चीन का करंट अकाउंट सरप्लस बढ़ने का अनुमान है और goldman Sachs के अनुसार, यह बढ़ता हुआ सरप्लस आने वाले वर्षों में वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर डाल सकता है, क्योंकि यह वैश्विक व्यापार असंतुलन को बढ़ा सकता है।विकसित अर्थव्यवस्थाओं का परिदृश्य
वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में, Goldman Sachs ने विकसित देशों के लिए भी अनुमान जारी किए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 2026 में अमेरिका की GDP ग्रोथ 2. 6 प्रतिशत तक पहुंच सकती है, जो पिछली अवधि की तुलना में बेहतर है लेकिन भारत की तुलना में काफी कम है। वहीं, यूरो क्षेत्र की अर्थव्यवस्था 1. 3 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान है, जो अपेक्षाकृत धीमी वृद्धि दर को दर्शाता है। रिपोर्ट यह भी संकेत देती है कि विकसित देशों में महंगाई के दबाव में कमी आ रही है, और इसके परिणामस्वरूप आने वाले समय में ब्याज दरों में कटौती की संभावना बन रही है। यह कदम इन अर्थव्यवस्थाओं को कुछ राहत प्रदान कर सकता है और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दे सकता है।