देश: भारत बना रहा लेजर हथियार, इनसे छूट जाएंगे PAK और चीन के पसीने

देश - भारत बना रहा लेजर हथियार, इनसे छूट जाएंगे PAK और चीन के पसीने
| Updated on: 14-Sep-2020 02:38 PM IST
नई दिल्ली | युद्ध के तरीके बदल रहे हैं और हथियार भी। अब पारंपरिक हथियारों की जगह दूर से हमला करने वाले हथियार विकसित हो रहे हैं। भविष्य में युद्ध अत्यधिक ऊर्जा वाले हथियारों से लड़ा जाएगा। हॉलीवुड फिल्म स्टार वार्स के हथियारों की तरह भारत भी ऐसे हथियार बनाने जा रहा है जिसके हमले से पड़ोसी दुश्मन देश कांपेंगे। भारत पर हमला करने से पहले ही उनके पसीने छूट जाएंगे। आइए जानते हैं भविष्य में बनने वाले इन भारतीय हथियारों के बारे में...

डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) भी देश के लिए लेजर से हमला करने वाले हथियार बना रहा है। इन हथियारों को डायरेक्ट एनर्जी वेपन (Direct Energy Weapon - DEW) कहते हैं। इनके अलावा ऐसे हथियार भी बनाए जा रहे हैं जो माइक्रोवेव किरणें छोड़कर दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक, रेडियो सिस्टम, संचार सिस्टम आदि को नष्ट कर देंगे। संचार की कमी और कमांड न दे पाने की स्थिति में दुश्मन बेहद कमजोर हो जाता है। इससे उसपर हमला करना आसान हो जाता है। 

DEW में हाई एनर्जी लेजर (High Energy Laser) और हाई पावर माइक्रोवेव्स (High Power Microwaves) शामिल हैं। इन हथियारों को बनाने के लिए भारत सरकार ने एक राष्ट्रीय स्तर का प्रोग्राम बनाया है। इसमें अलग-अलग तरह के DEW हथियार होंगे। जिनकी क्षमता 100 किलोवॉट पावर की होगी। यानी ये हथियार देश पर दुश्मन की तरफ से आने वाली किसी भी छोटी मिसाइल या फाइटर जेट या ड्रोन को आसमान में नष्ट कर देंगे। 

इस प्रोजेक्ट को नाम दिया गया है 'काली' बीम। यह लेजर बीम हमले में न तो आवाज होती है न ही किसी तरह धूम-धड़ाका। यह चुपचाप अपने दुश्मन टारगेट में छेद कर देती है या फिर उसे जलाकर राख कर देती है। इन हथियारों को पूरा होने में कितना समय लगेगा, ये बता पाना मुश्किल है। पिछले दिनों भारत ने दो एंटी ड्रोन DEW सिस्टम बनाए थे। इनकी टारगेट रेंज एक से दो किलोमीटर है। हालांकि, ये स्वदेशी हथियार यूएस, रूस, चीन, जर्मनी, इजरायल की तुलना में अभी बेहद छोटे हैं। इनकी मदद से एक से ज्यादा ड्रोन, वाहन या नावों को नष्ट किया जा सकता है। 

डीआरडीओ ने भविष्य की जरूरतों को देखते हुए अगले 10 साल की योजना तैयार की है। पहले फेज में ऐसे हथियारों की रेंज को 6-8 किलोमीटर, फिर दूसरे फेज में 20 किलोमीटरतक बढ़ाने की तैयारी है। इन हथियारों की खासियत है कि इनसे दुश्मन का बचना मुश्किल है। ये बेहद सटीक निशाना लगाते हैं। अन्य हथियारों की तुलना में इनकी ऑपरेशनल कॉस्ट कम होती है। एक साथ हमला करने वाले कई टारगेट्स को अकेले एक लेजर हथियार संभाल सकता है। अगर बिजली की सप्लाई सही से मिल रही है तो इसे कई बार उपयोग किया जा सकता है। 

अमेरिका ने कई साल पहले 33 किलोवॉट के लेजर गन से ड्रोन्स मार गिराए थे। अमेरिका के पास 300 से 500 किलोवॉट तक के डायरेक्ट एनर्जी वेपन बनाए हैं, जो क्रूज मिसाइलों पर भी हमला कर सकते हैं। भारतीय सेनाओं के लिए पहले फेज में 20 हाई पावर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेपन सिस्टम की जरूरत होगी। ये 6-8 किलोमीटर रेंज के होंगे। दूसरे फेज में 15 किलोमीटर रेंज वाले हाई पावर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेपन सिस्टम की जरूरत पड़ेगी। 

डायरेक्ट एनर्जी वेपंस एक ही जगह पर तैनात करके आप कई किलोमीटर दूर तक हमला या बचाव कर सकते हैं। इससे निकलने वाली किरणें चाहे वो लेजर हो या इलेक्ट्रोमैग्निक किरणें या फिर सब-एटॉमिक पार्टिकल्स या फिर माइक्रोवेव किरणें, ये दुश्मन को पल भर में चित कर देती हैं। इनके निकलने से लेकर हिट करने तक कोई आवाज या धमाका नहीं होता। इसलिए दुश्मन को इनके हमले का पता नहीं चलता। भारतीय सेना को एक मिसाइल को नष्ट करने के लिए कम से कम 500 किलोवॉट का लेजर हथियार चाहिए। 

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।