Rare Earth Minerals: चीन को झटका: रेयर अर्थ पर भारत का बड़ा दांव, चिली और पेरू से होगी मेगा डील!

Rare Earth Minerals - चीन को झटका: रेयर अर्थ पर भारत का बड़ा दांव, चिली और पेरू से होगी मेगा डील!
| Updated on: 19-Oct-2025 08:40 PM IST
भारत जल्द ही रेयर अर्थ मेटेरियल की सप्लाई के लिए चिली और पेरू के साथ महत्वपूर्ण व्यापार समझौते को अंतिम रूप दे सकता है. यह कदम चीन पर दुर्लभ खनिजों के लिए भारत की निर्भरता को कम करेगा और ड्रैगन की निर्यात पाबंदियों को बेअसर कर देगा, जिसे चीन एक भू-राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करता है. केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को एसोचैम (ASSOCHAM) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बताया कि भारत दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से कई रणनीतिक कदम उठा रहा है. इन कदमों में चिली और पेरू के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत करना, देश के भीतर खनिजों की खोज को बढ़ावा देना और स्टार्टअप्स को रीसाइक्लिंग व प्रोसेसिंग के काम में शामिल करना शामिल है. मंत्री ने घरेलू कंपनियों से अपनी सप्लाई चेन को विविध बनाने और एक-दूसरे का सहयोग करने का भी आग्रह किया, जैसा कि जापान और कोरिया की कंपनियां करती हैं, ताकि व्यापार को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की बढ़ती प्रवृत्ति का मुकाबला किया जा सके.

चीन की चाल उसी पर भारी

गोयल ने स्पष्ट किया कि सरकार अब ऑस्ट्रेलिया, चिली और पेरू जैसे देशों से दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति सुरक्षित करने की कोशिश कर रही है, क्योंकि इन देशों के पास इन महत्वपूर्ण खनिजों का बड़ा भंडार है और यह पहल ऐसे समय में हो रही है जब मुख्य आपूर्तिकर्ता चीन ने निर्यात पर पाबंदियां लगाई हुई हैं, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं प्रभावित हो रही हैं. भारत की एक टीम जल्द ही चिली और पेरू के साथ अगले दौर की व्यापार वार्ता के लिए रवाना होगी. भारत पहले ही ऑस्ट्रेलिया के साथ एक व्यापार समझौता लागू कर चुका है, जो इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

घरेलू उत्पादन और रीसाइक्लिंग पर जोर

मंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत अपने देश में भी दुर्लभ खनिजों की खोज बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है और इसके अतिरिक्त, उन्होंने बताया कि सरकार स्टार्टअप्स के साथ मिलकर कचरे के रीसाइक्लिंग से दुर्लभ खनिज निकालने की संभावना तलाश रही है. साथ ही, भारत में ही प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने पर भी विचार किया जा रहा है, क्योंकि वर्तमान में ये सुविधाएं मुख्य रूप से एक ही क्षेत्र में केंद्रित हैं. ये कदम भारत को रेयर अर्थ मेटेरियल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.

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