Chiranjeevi Yojana: इंडियन स्टेंट की रेट घटाई, विदेशी की कीमत दोगुनी, ​​​​​​​मेक इन इंडिया को झटका

Chiranjeevi Yojana - इंडियन स्टेंट की रेट घटाई, विदेशी की कीमत दोगुनी, ​​​​​​​मेक इन इंडिया को झटका
| Updated on: 14-Aug-2022 06:08 AM IST
Chiranjeevi Yojana : मेक इन इंडिया के नारे के दौर में स्टेंट निर्माता भारतीय कंपनियों को बड़ा झटका लगा है। सरकार ने प्रदेश में चिरंजीवी योजना के तहत कार्डियो मरीजों को लगाए जा रहे भारतीय कंपनियों के स्टेंट की कीमत 31,600 रुपए से घटाकर 12500 रुपए कर दी है। जबकि मल्टीनेशनल कंपनियों (यूएस एफडीए एप्रुव) के लिए कीमत 23625 रुपए प्रति स्टेंट तय की है। यानी जो कंपनियां यूएसएफडीए एप्रुव होंगी, उन्हें इंश्योरेंस कंपनी प्रति स्टेंट 23625 रुपए देंगी।


रेट में इस बड़े अंतर के कारण सालाना 230 करोड़ का यह कारोबार विदेशी कंपनियों के हाथों में चले जाने का खतरा खड़ा हो गया है। इससे खफा कई निजी अस्पतालों ने शनिवार को एंजियोप्लास्टी ही नहीं की। ऐसे में कार्डियो (हार्ट अटैक और आर्टरी ब्लॉक) से जुड़े मरीजों की चिंता भी बढ़ गई है।


भारतीय कंपनियों का 230 करोड़ से अधिक का कारोबार: प्रदेश में चिरंजीवी योजना के तहत भारतीय कंपनियों के प्रतिमाह 6000 से अधिक स्टेंट लगाए जाते हैं। प्रति स्टेंट 31,600 रुपए कीमत के हिसाब से 19 करोड़ के स्टेंट की मासिक खपत हो रही है। अब कीमत घटने से यह वैल्यू 7 करोड़ रुपए रह गई है। यह कारोबार भी मल्टीनेशनल कंपनियों के पास शिफ्ट होने का खतरा है। क्योंकि माना जा रहा है कि अब ज्यादातर अस्पताल वेे ही स्टेंट लगाएंगे, जिनकी कीमत अधिक है।


बता दें कि सरकार ने जिस दिन किडनी के इलाज का पैकेज बढ़ाया, उसी दिन यह दर घटाई लेकिन सार्वजनिक नहीं की थी। केन्द्र ने दर तय की, डीसीजीआई ने एप्रुव किया था: मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए भारतीय कंपनियों के स्टेंट की दर केंद्र सरकार ने 31600 रुपए तय की थी। गुणवत्ता पर सवाल उठे तो ड्रग कंट्रोलर जरनल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने जांच कर एप्रुव भी किया था। अस्पताल बोले-दोनों की रेट में स्टेंट लगाना संभव नहीं


इन दोनों में से किसी भी कीमत में स्टेंट लगाना संभव नहीं है। क्योंकि रेट पहले ही बहुत कम मिल रही थी। फैसले से पहले क्या केवल सरकारी अस्पतालों या कंपनियों से बात की गई थी? हम सरकार से बात करेंगे। शनिवार को केवल एंजियोग्राफी कर पाए हैं। ज्यादा इमरजेंसी वाले केस में ही एंजियोप्लास्टी की गई। सरकार का क्राइट एरिया यूएसएफडीए ही है तो इंडियन रजिस्टर्ड संस्था बनानी ही नहीं चाहिए। -डॉ. जी. एल. शर्मा, जयपुर हॉस्पिटल, डॉ. प्रकाश चांदवानी, जयपुर हार्ट एंड जनरल हॉस्पिटल, डॉ. संजय शर्मा, अग्रसेन हॉस्पिटल

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।