देश: मौसम पर नहीं संभले तो भयावह होगी भारत की स्थिति, नई रिपोर्ट में खुलासा

देश - मौसम पर नहीं संभले तो भयावह होगी भारत की स्थिति, नई रिपोर्ट में खुलासा
| Updated on: 15-Jun-2020 04:41 PM IST
दिल्ली:  इस सदी के अंत तक भारत का औसत तापमान 4.4 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा। सिर्फ इतना ही नहीं, यहां चलने वाली हीट वेव यानी गर्मी की लहर 3 से 4 गुना ज्यादा हो जाएगी। चक्रवाती तूफानों की संख्या और तीव्रता बढ़ जाएगी। समुद्र का जलस्तर 30 सेंटीमीटर बढ़ जाएगा। ये भयावह खुलासे हुए हैं भारत सरकार के वैज्ञानिक संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटियेरोलॉजी की पहली क्लाइमेट एसेसमेंट रिपोर्ट में।

इस रिपोर्ट का नाम है 'एसेसमेंट ऑफ क्लाइमेट चेंज ओवर द इंडियन रीजन' ये बताता है कि भारत में सबसे गर्म दिन का तापमान 0.63 डिग्री सेल्सियस और सबसे ठंडी रात का तापमान 0.4 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है।

देश के क्लाइमेट की इतनी भयावह स्थिति पिछले 30 सालों में हुई है। यानी 1986 से लेकर 2015 तक। इन सभी आंकड़ों के अनुसार अगले 80 सालों में भारत के औसत तापमान में 4.7 डिग्री से 5.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा।

1901 से लेकर 2018 तक भारत में औसत तापमान में 0.7 डिग्री सेल्यिस की बढ़ोतरी हुई है। उत्तरी हिंद महासागर का जलस्तर 1874 से 2004 के बीच 1।06 से लेकर 1.75 मिलीमीटर बढ़ा है।

इसके अनुसार साल 2100 तक उत्तरी हिंद महासागर का जलस्तर 300 मिलीमीटर यानी 30 सेंटीमीटर बढ़ जाएगा। इस दौराना दुनिया भर के सागरों का जलस्तर 18 सेंटीमीटर बढ़ेगा।

जून से सितंबर तक जो मॉनसून का सीजन रहता है, उसमें 1951 से लेकर 2015 के बीच 6 फीसदी की गिरावट आई है। सबसे ज्यादा नुकसान गंगा के मैदानी इलाकों और पश्चिमी घाट को हुआ है।

अगर आप 1951 से 1980 तक समय की तुलना 1981 से 2011 से करें तो पता चलेगा। कि 1981 के बाद अब तक गर्मी और सूखे में 27 फीसदी का इजाफा हुआ है।

पिछले दो दशकों से क्लाइमेट चेंज होने की वजह से मॉनसून के बाद आने वाले चक्रवाती तूफानों की तीव्रता और संख्या बढ़ गई है। उत्तरी हिंद महासागर में चक्रवाती तूफानों के आने की संख्या में बढ़ोतरी होने की भविष्यवाणी इस रिपोर्ट में की गई है।

ये रिपोर्ट बताती है कि 21वीं सदी के अंत तक भारत के औसत तापमान में 55 से 70 फीसदी का इजाफा हो जाएगा। इसकी वजह से इकोसिस्टम, कृषि, साफ पानी स्रोत, ढांचागत विकास की हालत खराब हो जाएगी।

हर एक दशक में गर्म दिनों की संख्या 9।9 की दर से बढ़ी है। वहीं, गर्म रातें में 7.7 प्रति दशक की दर से बढ़ी हैं। 

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।