Indian Population: मैकिन्जी की ताजा डेमोग्राफिक रिपोर्ट और संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉस्पेक्ट्स 2024 के अनुसार, भारत की जनसंख्या में आने वाले दशकों में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिलेंगे। अनुमान है कि भारत की आबादी 2061 में अपने चरम पर पहुंचकर 1.7 अरब हो जाएगी, जिसके बाद इसमें धीरे-धीरे गिरावट शुरू होगी। इसके बावजूद, भारत सदी के अंत तक दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बना रहेगा। संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के मुताबिक, 2100 तक भारत की जनसंख्या 1.5 अरब होगी, जो उस समय चीन की जनसंख्या (63.3 करोड़) से दोगुनी से भी अधिक होगी।
मैकिन्जी की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की प्रजनन दर (फर्टिलिटी रेट) वर्तमान में 1.98 बच्चे प्रति महिला है, जो 2.1 के रिप्लेसमेंट रेट से कम है। यह कम प्रजनन दर जनसंख्या वृद्धि को धीमा कर रही है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट बताती है कि भारत की जनसंख्या 2054 में 1.69 अरब तक पहुंचेगी और 2061 में 1.70 अरब के शिखर पर पहुंचने के बाद, 2100 तक यह घटकर 1.5 अरब पर आ जाएगी। दूसरी ओर, चीन की जनसंख्या 2024 में 1.41 अरब है, जो 2054 तक 1.21 अरब और 2100 तक 63.3 करोड़ तक सिमट जाएगी। चीन की अति-निम्न प्रजनन दर (1.14 बच्चे प्रति महिला) के कारण उसकी जनसंख्या में 2054 तक 20.4 करोड़ और सदी के अंत तक 78.6 करोड़ की कमी आएगी।
मैकिन्जी की रिपोर्ट चेतावनी देती है कि भारत में बुजुर्गों की बढ़ती संख्या अर्थव्यवस्था पर दबाव डालेगी। 2050 तक प्रत्येक बुजुर्ग के पीछे केवल 4.6 कामकाजी लोग होंगे, जो वर्तमान में 10 हैं। 2100 तक यह अनुपात और घटकर 1.9 हो जाएगा, जो आज जापान की स्थिति जैसा है। इससे सरकारी खजाने और परिवारों पर बुजुर्गों की देखभाल का बोझ बढ़ेगा।
1997 से 2023 तक भारत की युवा आबादी ने प्रति व्यक्ति जीडीपी में प्रतिवर्ष 0.7 फीसदी की वृद्धि में योगदान दिया। हालांकि, 2050 तक यह योगदान घटकर 0.2 फीसदी रह जाएगा, जिससे आर्थिक विकास पर असर पड़ सकता है।
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि भारत महिलाओं की श्रम शक्ति में भागीदारी बढ़ाकर जनसांख्यिकीय चुनौतियों से निपट सकता है। वर्तमान में 20-49 वर्ष की आयु में केवल 29% महिलाएं श्रम शक्ति में शामिल हैं, जबकि अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं में यह आंकड़ा 50-70% है। महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने से न केवल आर्थिक विकास को बल मिलेगा, बल्कि जनसंख्या की उम्र बढ़ने की चुनौती से भी निपटा जा सकेगा।
भारत की वैश्विक खपत में हिस्सेदारी 2024 में 9% से बढ़कर 2050 में 16% हो जाएगी। यह भारत के बढ़ते वैश्विक महत्व को दर्शाता है। भारत की युवा जनसंख्या संरचना (2024 में औसत आयु 28.4 वर्ष) इसे चीन (औसत आयु 39.6 वर्ष) की तुलना में अधिक गतिशील बनाती है। हालांकि, 2100 तक भारत की औसत आयु 47.8 वर्ष और चीन की 60.7 वर्ष हो जाएगी।
भारत के पास अपनी जनसांख्यिकीय ताकत को आर्थिक शक्ति में बदलने का सुनहरा अवसर है। विशेषज्ञों का मानना है कि निम्नलिखित कदम भारत को वैश्विक मंच पर सशक्त स्थिति में ला सकते हैं:
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं जनसंख्या की उत्पादकता बढ़ाएंगी।
महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर: महिलाओं की श्रम शक्ति में भागीदारी बढ़ाने के लिए नीतिगत सुधार और सामाजिक बदलाव जरूरी हैं।
टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन: नई तकनीकों को अपनाने से भारत उत्पादकता और प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि कर सकता है।