IndiGo Crisis: इंडिगो संकट सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, CJI के घर पर तत्काल सुनवाई की मांग

IndiGo Crisis - इंडिगो संकट सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, CJI के घर पर तत्काल सुनवाई की मांग
| Updated on: 06-Dec-2025 09:49 AM IST
इंडिगो एयरलाइन के परिचालन में जारी गंभीर संकट अब देश की सर्वोच्च अदालत, सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। इस अभूतपूर्व स्थिति को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई की मांग पर त्वरित कार्रवाई की है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने व्यक्तिगत रूप से इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए याचिकाकर्ता के वकील को अपने आवास पर बुलाया है, ताकि इस गंभीर मुद्दे पर आज ही एक विशेष पीठ का गठन किया जा सके और सुनवाई शुरू की जा सके और यह कदम इंडिगो द्वारा लगातार चौथे दिन भी बड़ी संख्या में उड़ानें रद्द किए जाने और हजारों यात्रियों को हो रही भारी परेशानी के मद्देनजर उठाया गया है, जिसने देश भर में हवाई यात्रा को अस्त-व्यस्त कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट का तत्काल और अभूतपूर्व हस्तक्षेप

इंडिगो एयरलाइन के संकट ने देश भर में हवाई यात्रा को बाधित कर। दिया है, जिससे यात्रियों को अभूतपूर्व कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसी के चलते सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर। की गई थी, जिसमें इस स्थिति को 'मानवीय संकट' बताया गया था। याचिका में दावा किया गया है कि उड़ानें रद्द होने से यात्रियों को भारी परेशानी हो रही है, जिससे उनके मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। इस याचिका पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता को समझते हुए, CJI सूर्यकांत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अपने आवास पर याचिकाकर्ता के वकील को बुलाया है और यह कदम न्यायिक प्रक्रिया में एक दुर्लभ और महत्वपूर्ण घटना है, जो दर्शाता है कि सर्वोच्च न्यायालय इस संकट को कितनी गंभीरता से ले रहा है। CJI का यह सीधा हस्तक्षेप यह सुनिश्चित करने के लिए है कि प्रभावित नागरिकों को जल्द से जल्द न्याय और राहत मिल सके। वकील का उद्देश्य CJI से आज ही एक विशेष बेंच गठित करने और मामले की सुनवाई शुरू करने का अनुरोध। करना है, ताकि प्रभावित यात्रियों को तत्काल वैकल्पिक यात्रा व्यवस्था और उचित मुआवजा प्रदान करने पर विचार किया जा सके।

संकट का बढ़ता दायरा और यात्रियों पर व्यापक प्रभाव

इंडिगो एयरलाइन का संकट लगातार चौथे दिन भी जारी है, जिससे देश भर के हवाई अड्डों पर अराजकता का माहौल है और एयरलाइन ने अकेले शुक्रवार को एक हजार से अधिक उड़ानें रद्द की थीं, जिससे हजारों यात्री फंसे रह गए। इन रद्दीकरणों के कारण यात्रियों को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कई यात्रियों की महत्वपूर्ण यात्राएं, जैसे व्यापारिक बैठकें, पारिवारिक कार्यक्रम, शादियां, और चिकित्सा नियुक्तियां बाधित हुई हैं। बच्चों और बुजुर्गों को विशेष रूप से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि वे हवाई अड्डों पर घंटों फंसे रहने को मजबूर हैं। कई यात्रियों को अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी है, जिससे उन्हें वित्तीय नुकसान के साथ-साथ भावनात्मक तनाव भी झेलना पड़ रहा है। हवाई यात्रा के विकल्प के रूप में, अन्य विमान कंपनियों ने अचानक अपने किराए बढ़ा दिए हैं, जिससे यात्रियों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ रहा है, और उन्हें मजबूरी में अत्यधिक कीमतें चुकानी पड़ रही है। इसके अलावा, ट्रेनों में भी अचानक भीड़ बढ़ गई है, जिससे रेल यात्रा भी मुश्किल हो गई है और टिकट मिलना लगभग असंभव हो गया है। यह स्थिति न केवल यात्रियों के लिए असुविधाजनक है, बल्कि एक व्यापक मानवीय और आर्थिक संकट। का रूप ले रही है, जिससे देश की परिवहन व्यवस्था पर भी दबाव बढ़ गया है।

DGCA की प्रतिक्रिया और जांच समिति का गठन

विमानन निगरानी संस्था DGCA (नागर विमानन महानिदेशालय) ने शुक्रवार को इंडिगो को कुछ छूट देकर उसके परिचालन को सामान्य करने में मदद करने का प्रयास किया था। इन छूटों का उद्देश्य एयरलाइन को अपनी सेवाओं को बहाल करने और यात्रियों की परेशानी को कम करने में सहायता करना था। हालांकि, इन छूटों के बावजूद, एयरलाइन का कामकाज लगातार बाधित रहा, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि समस्या गहरी है। DGCA ने इस गंभीर स्थिति की व्यापक समीक्षा और आकलन के लिए एक चार सदस्यीय समिति का भी गठन किया है और इस समिति का उद्देश्य इंडिगो की बड़ी संख्या में उड़ानें रद्द होने के कारणों की गहराई से जांच करना है, जिसमें परिचालन संबंधी खामियां, कर्मचारियों की कमी और नियामक अनुपालन जैसे पहलू शामिल हैं। समिति के सदस्यों में संयुक्त महानिदेशक संजय के ब्रम्हाने, उप महानिदेशक अमित गुप्ता, वरिष्ठ उड़ान संचालन निरीक्षक कैप्टन कपिल मांगलिक और उड़ान संचालन निरीक्षक कैप्टन रामपाल जैसे अनुभवी अधिकारी शामिल हैं। यह समिति संकट के मूल कारणों का पता लगाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के। लिए ठोस सिफारिशें प्रस्तुत करेगी, ताकि देश में हवाई यात्रा की विश्वसनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

जनहित याचिका में उठाए गए प्रमुख और गंभीर मुद्दे

सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका में यात्रियों को हो रही भारी परेशानी और उत्पन्न 'मानवीय संकट' पर विशेष जोर दिया गया है। याचिका में दावा किया गया है कि उड़ानें रद्द होने का मुख्य कारण पायलटों के लिए। लागू किए गए नए FDTL (Flight Duty Time Limitations) नियमों की गलत योजना और प्रबंधन है। इन नियमों का उद्देश्य पायलटों की उड़ान ड्यूटी के समय को विनियमित करना और उनकी थकान को कम करना है, लेकिन। एयरलाइन द्वारा इनके अनुपालन में विफलता के कारण पायलटों की कमी हुई, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। याचिका में इसे यात्रियों के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत। स्वतंत्रता का अधिकार) के अधिकारों का उल्लंघन बताया गया है। यह तर्क दिया गया है कि यात्रा का अधिकार, विशेष रूप से जब यह आजीविका, स्वास्थ्य या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ा हो, अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित है और उड़ानें रद्द होने से यात्रियों को न केवल वित्तीय नुकसान हुआ है, बल्कि उन्हें मानसिक तनाव, स्वास्थ्य संबंधी जोखिम और महत्वपूर्ण अवसरों से वंचित होना पड़ा है। याचिकाकर्ता ने प्रभावित यात्रियों के लिए तत्काल वैकल्पिक यात्रा व्यवस्था और उचित मुआवजे की भी मांग की है,। ताकि उन्हें हुए नुकसान की भरपाई की जा सके और भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचा जा सके। इंडिगो संकट से उत्पन्न स्थिति को कम करने और यात्रियों को राहत प्रदान करने के लिए विभिन्न स्तरों पर बहुआयामी प्रयास किए जा रहे हैं। स्पाइसजेट एयरलाइन ने इस संकट को देखते हुए अपनी 100 अतिरिक्त उड़ानें शुरू करने की घोषणा की है, जिससे कुछ हद तक हवाई यात्रा की क्षमता बढ़ेगी और यात्रियों को अधिक विकल्प मिलेंगे। यह कदम हवाई यात्रा बाजार में संतुलन बनाए रखने में मदद करेगा और भारतीय रेलवे ने भी यात्रियों की बढ़ती भीड़ को संभालने के लिए कई विशेष ट्रेनें चलाने का ऐलान किया है, जिससे उन यात्रियों को राहत मिलेगी जो हवाई यात्रा के विकल्प के रूप में ट्रेनों का सहारा ले रहे हैं। इसके अतिरिक्त, 37 ट्रेनों में 116 अतिरिक्त कोच भी लगाए जा रहे हैं, ताकि अधिक यात्रियों को समायोजित किया जा सके और भीड़भाड़ कम हो और नागर विमानन मंत्रालय भी इस स्थिति पर लगातार नजर रख रहा है। मंत्रालय ने 24 घंटे का कंट्रोल रूम स्थापित किया है, जो फ्लाइट ऑपरेशन, अपडेट और किराए पर लगातार निगरानी कर रहा। है, ताकि किसी भी तरह की कालाबाजारी या अनुचित मूल्य वृद्धि को रोका जा सके और यात्रियों को सही जानकारी मिल सके। यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि यात्रियों को पारदर्शी और निष्पक्ष सेवाएं मिलें।

संकट से राहत के लिए किए जा रहे बहुआयामी उपाय

आगे की राह: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय और उसके निहितार्थ

अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में क्या आदेश देता है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय न केवल इंडिगो संकट से प्रभावित हजारों यात्रियों के लिए तत्काल राहत प्रदान कर सकता है, बल्कि भविष्य में ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल भी कायम कर सकता है। यह मामला विमानन कंपनियों की जिम्मेदारी, यात्रियों के अधिकारों और नियामक निकायों की भूमिका पर महत्वपूर्ण प्रकाश डालेगा। सर्वोच्च न्यायालय का फैसला यह निर्धारित करेगा कि क्या एयरलाइंस को ऐसी परिचालन विफलताओं के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा और यात्रियों के अधिकारों की रक्षा कैसे की जाएगी। यह निर्णय देश के विमानन क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, जो भविष्य की नीतियों और उपभोक्ता संरक्षण उपायों को प्रभावित करेगा।

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