IPO Investment: क्या आप हर IPO में लगा रहे बोली? विशेषज्ञ ने दी बड़े नुकसान की चेतावनी

IPO Investment - क्या आप हर IPO में लगा रहे बोली? विशेषज्ञ ने दी बड़े नुकसान की चेतावनी
| Updated on: 08-Nov-2025 12:01 AM IST
चालू वर्ष भारतीय पूंजी बाजार के लिए प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के मामले में एक बेहद सक्रिय और व्यस्त अवधि रहा है। वर्ष के अंतिम महीनों में भी, कंपनियों द्वारा अपने शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने का उत्साह कम नहीं हुआ है, बल्कि यह और तेज हो गया है। अक्टूबर माह में, बाजार ने एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स और टाटा कैपिटल जैसी प्रतिष्ठित और बड़ी कंपनियों के आईपीओ देखे, जिन्होंने निवेशकों का ध्यान अपनी ओर खींचा। इन बड़े नामों के बाद, नवंबर का महीना भी कम व्यस्त नहीं रहा, जिसमें लेंसकार्ट और ग्रो जैसी नई पीढ़ी की कंपनियों ने अपने आईपीओ लॉन्च किए, जिससे निवेशकों के लिए विकल्पों की एक लंबी सूची तैयार हो गई। इस लगातार जारी आईपीओ की बाढ़ ने कई निवेशकों को हर नए अवसर पर बोली लगाने के। लिए प्रेरित किया है, लेकिन विशेषज्ञों ने इस प्रवृत्ति के संभावित जोखिमों के प्रति आगाह किया है।

आईपीओ बाजार में बढ़ती सक्रियता

यह साल आईपीओ के लिहाज से काफी व्यस्त रहा है, और साल के अंत में भी कंपनियों के आईपीओ लॉन्च करने का सिलसिला जारी है और अक्टूबर में एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स और टाटा कैपिटल जैसी बड़ी कंपनियों के आईपीओ आए, जिन्होंने बाजार में काफी हलचल मचाई। इसके बाद, नवंबर में भी लेंसकार्ट और ग्रो जैसे नए जमाने के व्यवसायों के आईपीओ के साथ यह सिलसिला जारी है। यह दिखाता है कि कंपनियां पूंजी जुटाने के लिए प्राथमिक बाजार का भरपूर उपयोग कर रही हैं, जिससे निवेशकों के सामने लगातार नए अवसर आ रहे हैं। हालांकि, इस सक्रियता के बीच, एक महत्वपूर्ण सवाल उठता है: क्या आप हर आईपीओ में बोली लगा रहे हैं और यदि आपका जवाब 'हां' है, तो यह आपके लिए बड़ा नुकसान साबित हो सकता है, जैसा कि बाजार विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है।

विशेषज्ञों की चेतावनी: सावधानी बरतें

फर्स्ट ग्लोबल की फाउंडर देविना मेहरा ने निवेशकों को आईपीओ में बोली लगाने में अत्यधिक सावधानी बरतने की सलाह दी है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि किसी आईपीओ में बड़े निवेशक भारी मात्रा में बोली लगा। रहे हैं, तो इसे खुदरा निवेशकों के लिए सफलता की गारंटी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उनका दशकों का निवेश अनुभव बताता है कि बड़े निवेशकों के कदम हमेशा छोटे निवेशकों के लिए फायदेमंद नहीं होते। मेहरा ने इस बात पर जोर दिया कि कई कंपनियों के आईपीओ में शेयरों की कीमतें वर्तमान में काफी अधिक दिख रही हैं, जो निवेशकों के लिए एक चिंता का विषय होना चाहिए। यह उच्च मूल्यांकन अक्सर भविष्य की कमाई की क्षमता को पहले से ही भुना लेता है, जिससे लिस्टिंग के बाद शेयरों में वृद्धि की गुंजाइश कम हो जाती है।

शेयरों की ऊंची कीमतें और मूल्यांकन

देविना मेहरा ने इस बात पर विशेष ध्यान दिलाया कि बाजार में आ रहे कई आईपीओ में शेयरों की कीमतें उनके वास्तविक मूल्य या भविष्य की संभावनाओं के मुकाबले काफी अधिक प्रतीत हो रही हैं। यह स्थिति निवेशकों के लिए जोखिम भरी हो सकती है, क्योंकि यदि कंपनी का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहता है, तो उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी कंपनी के आईपीओ में शेयरों की कीमतें ज्यादा नहीं हैं और कंपनी का बिजनेस मॉडल आकर्षक है, तो ऐसे इश्यू में शेयर आवंटित होने की संभावना कम रहती है, क्योंकि ऐसे आईपीओ में मांग बहुत अधिक होती है और इसका मतलब है कि अच्छे और उचित मूल्य वाले आईपीओ में अक्सर खुदरा निवेशकों को शेयर मिलना मुश्किल हो जाता है, जबकि महंगे आईपीओ में आवंटन की संभावना अधिक होती है। विशेषज्ञ ने निवेशकों को 'FOMO' यानी 'Fear of Missing Out' (कुछ छूट जाने के डर) की वजह से निवेश नहीं करने की सलाह दी है। FOMO एक मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति है, जिसमें निवेशक दूसरों को देखकर या किसी अवसर के हाथ से निकल जाने के डर से निवेश कर देते हैं, भले ही वे उस निवेश के बारे में पूरी तरह से आश्वस्त न हों और मेहरा ने समझाया कि कई निवेशक सिर्फ इसलिए बोली लगाते हैं क्योंकि वे देखते हैं कि दूसरे लोग भी ऐसा कर रहे हैं, और उन्हें लगता है कि कहीं यह मौका उनके हाथ से निकल न जाए। यह भीड़ का अनुसरण करने वाली मानसिकता अक्सर गलत निवेश निर्णयों की ओर ले जाती है, खासकर जब बाजार में उत्साह का माहौल हो और एक विवेकपूर्ण निवेशक को हमेशा कंपनी के मूल सिद्धांतों, मूल्यांकन और भविष्य की संभावनाओं के आधार पर निर्णय लेना चाहिए, न कि केवल दूसरों की देखा-देखी।

FOMO से बचें: निवेश का सही तरीका

बड़े निवेशक मुनाफा कमा रहे हैं, आप खरीद रहे हैं

फर्स्ट ग्लोबल की फाउंडर ने एक महत्वपूर्ण बिंदु पर प्रकाश डाला: वेंचर कैपिटलिस्ट्स और शुरुआती निवेशक अक्सर आईपीओ में शेयरों की तय कीमतों के मुकाबले काफी कम भाव पर निवेश करते हैं। उन्होंने लेंसकार्ट का उदाहरण दिया, जिसमें अंतिम प्राइवेट फंडिंग राउंड के मुकाबले आईपीओ की वैल्यूएशन 8 गुना थी। इसका मतलब है कि शुरुआती निवेशकों ने बहुत कम कीमत पर निवेश किया था और अब वे आईपीओ के माध्यम से अपने निवेश पर भारी मुनाफा कमा रहे हैं और कई आईपीओ में ऑफर फॉर सेल (OFS) का एक बड़ा हिस्सा शामिल होता है। OFS का सीधा मतलब यह है कि बड़े निवेशक, प्रमोटर या शुरुआती शेयरधारक अपने मौजूदा शेयरों को बेचकर मुनाफा बुक कर रहे हैं, और आप, एक नए निवेशक के रूप में, उन्हीं कीमतों पर उन शेयरों में निवेश करने जा रहे हैं, जिन पर वे मुनाफा कमा रहे हैं। यह स्थिति खुदरा निवेशकों के लिए अनुकूल नहीं होती है, क्योंकि वे अक्सर उच्च मूल्यांकन पर प्रवेश करते हैं।

एंकर निवेशकों पर दबाव

देविना मेहरा ने एंकर निवेशकों की भूमिका पर भी टिप्पणी की। उन्होंने बताया कि कई इन्वेस्टमेंट बैंकर्स बड़े निवेशकों पर आईपीओ में निवेश के लिए दबाव बना सकते हैं। ऐसा इन्वेस्टमेंट बैंकर्स और बड़े निवेशकों के बीच लंबे समय से चले आ रहे संबंधों और व्यावसायिक रिश्तों की वजह से होता है। कई फंड, आईपीओ पेश करने वाली कंपनी के बिजनेस को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त नहीं होने के बावजूद, इन संबंधों के कारण या बाजार में अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए मजबूरी में आईपीओ में निवेश करते हैं और यह स्थिति बाजार में एक गलत धारणा पैदा कर सकती है कि यदि बड़े और प्रतिष्ठित एंकर निवेशक निवेश कर रहे हैं, तो आईपीओ निश्चित रूप से सफल होगा। हालांकि, यह हमेशा सच नहीं होता है, और खुदरा निवेशकों को इस पहलू को ध्यान में रखना चाहिए।

पुराने उदाहरण और सबक

मेहरा ने 2021 के न्यू-एज टेक आईपीओ बूम का उदाहरण दिया, जब कई नई-युग की तकनीकी कंपनियों ने आईपीओ पेश किए थे। उस समय, आईपीओ पेश करने वाली कई कंपनियों के शेयरों की बात। तो छोड़ दीजिए, उनके बिजनेस तक का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। उन्होंने नायका (Nykaa) का उदाहरण दिया, जहां कई कंपनियां आईपीओ पेश करने के दौरान अपने बिजनेस से जुड़े सबसे अच्छे डेटा और भविष्य की उज्ज्वल तस्वीर पेश करती हैं। लेकिन लिस्टिंग के बाद, उनका प्रदर्शन अक्सर खराब होने लगता है, जिससे निवेशकों को निराशा होती है और यह दर्शाता है कि आईपीओ के समय प्रस्तुत की गई जानकारी को हमेशा सावधानी से देखना चाहिए और कंपनी के दीर्घकालिक प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, न कि केवल शुरुआती उत्साह पर।

बाजार का समग्र दृष्टिकोण

हालांकि, देविना मेहरा ने स्टॉक मार्केट में किसी बड़ी गिरावट की आशंका से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि समग्र बाजार में कोई बड़ी गिरावट आने की संभावना नहीं है, लेकिन निवेशकों को अपने इक्विटी एसेट एलोकेशन का ध्यान रखना चाहिए। इसका मतलब है कि उन्हें अपने पोर्टफोलियो में इक्विटी के अनुपात को सावधानी से प्रबंधित करना चाहिए और अत्यधिक जोखिम लेने से बचना चाहिए। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि तीसरी तिमाही से कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ अच्छी रहने की उम्मीद है, जो बाजार के लिए एक सकारात्मक संकेत है। यह दर्शाता है कि जबकि विशिष्ट आईपीओ में सावधानी बरतनी चाहिए, समग्र बाजार की तस्वीर अभी भी। मजबूत बनी हुई है, बशर्ते निवेशक विवेकपूर्ण तरीके से निवेश करें और अपने जोखिम को प्रबंधित करें।

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