India-US Tariff War: क्या अमेरिका एनर्जी सेक्टर में 2023 वाली कहानी दोहराना चाह रहा?

India-US Tariff War - क्या अमेरिका एनर्जी सेक्टर में 2023 वाली कहानी दोहराना चाह रहा?
| Updated on: 29-Aug-2025 10:00 AM IST

India-US Tariff War: दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रंप ने 27 अगस्त 2025 से भारत सहित कई देशों पर 50% टैरिफ लागू करके वैश्विक व्यापार में हड़कंप मचा दिया है। यह टैरिफ, जिसमें 25% अतिरिक्त शुल्क रूस से तेल खरीदने के लिए लगाया गया है, न केवल भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि इसके पीछे अमेरिका की तेल निर्यात बढ़ाने की रणनीति भी साफ नजर आती है। ट्रंप का यह कदम ‘तेल के खेल’ का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें अमेरिका वैश्विक तेल बाजार में अपनी बादशाहत को और मजबूत करना चाहता है।

टैरिफ का मकसद: रूस पर दबाव या अमेरिकी तेल का विस्तार?

ट्रंप प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि भारत पर यह अतिरिक्त टैरिफ रूस से कच्चे तेल की खरीद को कम करने के लिए लगाया गया है। उनका दावा है कि भारत की रूसी तेल खरीद यूक्रेन-रूस युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दे रही है। हालांकि, भारत ने इसे अपनी ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों के लिए जरूरी बताया है। विदेश मंत्रालय ने इस कदम को “अनुचित और अन्यायपूर्ण” करार देते हुए कहा कि भारत अपनी ऊर्जा नीति पर दबाव में बदलाव नहीं करेगा।

लेकिन क्या यह टैरिफ केवल रूस को दबाने का हथियार है? विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे अमेरिका की तेल निर्यात बढ़ाने की महत्वाकांक्षा भी छिपी है। 2023 में अमेरिका का तेल निर्यात रिकॉर्ड 1 करोड़ बैरल प्रतिदिन तक पहुंचा था, लेकिन रूस से सस्ते तेल की खरीद ने यूरोप और एशिया में अमेरिकी तेल की मांग को प्रभावित किया। भारत, जो रूस से अपने तेल आयात का 41% प्राप्त करता है, अमेरिका के लिए एक बड़ा बाजार हो सकता है। टैरिफ के जरिए भारत को अमेरिकी तेल खरीदने के लिए मजबूर करने की कोशिश साफ नजर आती है।

अमेरिका: तेल उत्पादन का बादशाह

दुनिया में तेल भंडार के मामले में अमेरिका दसवें स्थान पर है, फिर भी यह सबसे बड़ा तेल उत्पादक है। शेल ऑयल तकनीक और नए तेल क्षेत्रों की खोज ने अमेरिका को इस मुकाम तक पहुंचाया है। 2020 में अमेरिका पहली बार नेट पेट्रोलियम निर्यातक बना, और 2023 तक इसका निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। नीदरलैंड, चीन, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया जैसे देश इसके प्रमुख खरीदार रहे हैं। यूक्रेन युद्ध के बाद यूरोप द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाने से अमेरिकी तेल निर्यात में तेजी आई, लेकिन भारत और चीन की रूसी तेल खरीद ने इस वृद्धि को प्रभावित किया।

भारत पर टैरिफ का असर

भारत अमेरिका को हर साल लगभग 86.5 अरब डॉलर का सामान निर्यात करता है, जिसमें से 60.2 अरब डॉलर के निर्यात पर यह 50% टैरिफ लागू होगा। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, इससे भारत के निर्यात में 70% तक की गिरावट आ सकती है, जिसका असर कपड़ा, झींगा, रत्न-आभूषण, चमड़ा और कृषि उत्पादों जैसे क्षेत्रों पर पड़ेगा। तमिलनाडु के तिरुपुर, नोएडा और सूरत जैसे औद्योगिक केंद्रों में लाखों नौकरियां खतरे में हैं।

खासकर झींगा निर्यात, जो भारत का 7.4 अरब डॉलर का कारोबार है, बुरी तरह प्रभावित होगा। आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में लाखों किसान इस टैरिफ से नुकसान झेल सकते हैं। इसके अलावा, कपड़ा और चमड़ा उद्योग में वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों को प्रतिस्पर्धी लाभ मिलेगा।

भारत की प्रतिक्रिया और भविष्य की रणनीति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस टैरिफ को “अनुचित” बताते हुए कहा कि भारत अपने किसानों, छोटे उद्योगों और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करेगा। सरकार ने निर्यातकों को समर्थन देने के लिए ‘निर्यात संवर्धन मिशन’ को तेज करने और ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे 40 देशों में वैकल्पिक बाजार तलाशने की योजना बनाई है। नीति आयोग के पूर्व CEO अमिताभ कांत ने सुझाव दिया कि भारत को इस संकट को अवसर में बदलते हुए अपने निर्यात बाजारों में विविधता लानी चाहिए।

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।