ESIC Hospital Jaipur: जयपुर के ESIC अस्पताल में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का आधी रात औचक निरीक्षण, ड्यूटी से गायब मिले डॉक्टर

ESIC Hospital Jaipur - जयपुर के ESIC अस्पताल में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का आधी रात औचक निरीक्षण, ड्यूटी से गायब मिले डॉक्टर
| Updated on: 26-Nov-2025 01:42 PM IST
राजस्थान की राजधानी जयपुर में मंगलवार देर रात उस समय एक अप्रत्याशित और बड़ा घटनाक्रम सामने आया, जब केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने बिना किसी पूर्व सूचना के ईएसआईसी मॉडल अस्पताल का औचक निरीक्षण किया और यह अचानक किया गया दौरा, जो पूरी तरह से गोपनीय रखा गया था और जिसकी भनक अस्पताल प्रशासन को भी नहीं थी, ने अस्पताल की आंतरिक स्वास्थ्य व्यवस्थाओं और प्रशासनिक कार्यप्रणाली की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया। मंत्री मांडविया के इस दौरे ने न केवल अस्पताल प्रशासन में एक गहरा हड़कंप मचा दिया, बल्कि यह भी स्पष्ट रूप से उजागर कर दिया कि मरीजों को किस प्रकार की अव्यवस्थाओं, लापरवाही और स्टाफ की अनुपस्थिति के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आधी रात के इस निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य अस्पताल में वास्तविक स्थिति का जायजा लेना था, खासकर उन घंटों में जब आमतौर पर निगरानी कम होती है और स्टाफ की जवाबदेही पर अक्सर सवाल उठते हैं। इस दौरे ने सरकारी अस्पतालों में व्याप्त ढिलाई की एक गंभीर तस्वीर पेश की, जहां मरीजों की जान जोखिम में डाली जा रही थी।

ड्यूटी से नदारद डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ: एक गंभीर चिंता का विषय

मरीजों और परिजनों की गंभीर शिकायतें: लापरवाही की दास्तान

केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया, जिनके साथ राजस्थान सरकार में मंत्री सुमित गोदारा भी मौजूद थे, ने सीधे अस्पताल के विभिन्न वार्डों, गहन चिकित्सा इकाइयों (ICU) और इमरजेंसी यूनिट का रुख किया। उनका लक्ष्य था कि वे बिना किसी पूर्व सूचना के अस्पताल के कामकाज का सीधा अवलोकन कर सकें और यह देख सकें कि रात के समय मरीजों को कितनी प्रभावी ढंग से देखभाल मिल रही है। निरीक्षण के दौरान, जो दृश्य सामने आया वह अत्यंत चिंताजनक और अस्वीकार्य था। वार्डों और इमरजेंसी यूनिट में कई जगहों पर ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ अपनी जिम्मेदारियों से नदारद मिले। यह स्थिति विशेष रूप से गंभीर थी क्योंकि प्राथमिक जांच में यह भी पता चला कि एक-दो नहीं, बल्कि कई महत्वपूर्ण डॉक्टर और सहायक स्टाफ अपनी ड्यूटी से अनुपस्थित थे। इस व्यापक अनुपस्थिति का सीधा और गंभीर असर मरीजों की देखभाल पर पड़ रहा था, जिससे उनकी स्थिति और भी बिगड़ सकती थी और उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता से वंचित रहना पड़ रहा था और अस्पताल के कई हिस्सों में अव्यवस्था साफ दिखाई दे रही थी, दवाइयों और उपकरणों का सही प्रबंधन नहीं था, जो मरीजों के लिए एक बड़ी परेशानी का सबब बन रही थी और उनकी सुरक्षा पर सवाल खड़े कर रही थी। अपने गहन निरीक्षण के दौरान, केंद्रीय मंत्री मांडविया ने केवल अस्पताल के बुनियादी ढांचे और स्टाफ की उपस्थिति का ही जायजा नहीं लिया, बल्कि उन्होंने मानवीय पहलू पर भी ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने मौके पर मौजूद मरीजों और उनके परिजनों से भी सीधा संवाद स्थापित किया, उनकी समस्याओं को सुना और उनकी चिंताओं को समझा और यह संवाद अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हुआ, क्योंकि इसने अस्पताल की वास्तविक कमियों और स्टाफ की लापरवाही को उजागर किया। मरीजों के परिजनों ने डॉक्टरों और स्टाफ की अनुपस्थिति को लेकर कई गंभीर शिकायतें साझा कीं और उन्होंने मंत्री को बताया कि देर रात डॉक्टरों का उपलब्ध न होना और इलाज में घोर लापरवाही उनकी सबसे बड़ी चिंता है। परिजनों ने शिकायत की कि स्टाफ अक्सर नदारद रहता है, जिससे गंभीर मरीजों को तत्काल सहायता नहीं मिल पाती है, जिससे उनकी जान को खतरा हो सकता है और उन्हें असहनीय पीड़ा से गुजरना पड़ता है। उन्होंने यह भी बताया कि कई बार स्टाफ का रवैया भी उदासीन होता है। मंत्री मांडविया ने इन सभी शिकायतों को अत्यंत गंभीरता से सुना और मौके पर मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों को। तत्काल व्यवस्था सुधारने के लिए कड़े निर्देश दिए, ताकि मरीजों को उचित और समय पर उपचार मिल सके।

प्रशासनिक ढिलाई और उसकी कीमत: जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़

केंद्रीय मंत्री के इस औचक निरीक्षण ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जयपुर जैसे प्रमुख शहरों के सरकारी अस्पतालों में भी प्रशासनिक ढिलाई अपने चरम पर है। यह केवल एक अस्पताल की बात नहीं है, बल्कि यह सार्वजनिक। स्वास्थ्य प्रणाली में व्याप्त एक बड़ी समस्या की ओर इशारा करता है। इस ढिलाई का सीधा और सबसे बड़ा खामियाजा आम मरीज को भुगतना पड़ रहा है, जिन्हें उचित समय पर चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पा रही है, जिससे उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है और कई बार उनकी जान भी जा सकती है और यह स्थिति न केवल मरीजों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में जनता के विश्वास को भी गंभीर रूप से कमजोर करती है। अस्पताल प्रशासन की यह लापरवाही दर्शाती है कि नियमित निगरानी और जवाबदेही की कमी है, जिसके कारण स्टाफ अपनी जिम्मेदारियों से विमुख हो रहा है और मरीजों की सेवा को प्राथमिकता नहीं दे रहा है और यह स्थिति तत्काल सुधारात्मक उपायों की मांग करती है ताकि जनता को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।

मंत्री की सख्त चेतावनी और भविष्य की कार्रवाई: जवाबदेही का संदेश

निरीक्षण के बाद, केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने अस्पताल प्रशासन को कड़े शब्दों में। चेतावनी दी, जिसमें उन्होंने स्थिति की गंभीरता और भविष्य में अपेक्षित सुधारों पर जोर दिया। उन्होंने स्पष्ट रूप से निर्देश दिए कि व्यवस्थाओं में तत्काल और प्रभावी सुधार लाया जाए, जिसमें स्टाफ। की उपस्थिति सुनिश्चित करना, मरीजों की देखभाल में सुधार और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना शामिल है। मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी कि ड्यूटी से नदारद रहने वाले स्टाफ के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक। कार्रवाई की जाएगी, जिसमें निलंबन, वेतन कटौती या अन्य कानूनी प्रक्रियाएं शामिल हो सकती हैं। इस चेतावनी का उद्देश्य अस्पताल प्रशासन में जवाबदेही सुनिश्चित करना और यह संदेश देना था कि मरीजों की सेवा में किसी भी प्रकार की कोताही स्वीकार्य नहीं होगी। यह कदम सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाने और जनता के प्रति जवाबदेही स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।

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