China News: 70 साल पुराना पंचशील सिद्धांत आया जिनपिंग को याद, कहा- इससे खत्म होंगे संघर्ष

China News - 70 साल पुराना पंचशील सिद्धांत आया जिनपिंग को याद, कहा- इससे खत्म होंगे संघर्ष
| Updated on: 29-Jun-2024 08:00 AM IST
China News: चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने वर्तमान समय के संघर्षों के अंत के लिए पंचशील के सिद्धांतों की बात की. उन्होंने पश्चिमी देशों के साथ चीन के संघर्षों के बीच ग्लोबल साउथ में अपने देश का प्रभाव बढ़ाने पर जोर दिया. जिनपिंग ने पंचशील के सिद्धांतों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ के अवसर पर यहां एक सम्मेलन में यह बयान दिया. विदेश मंत्रालय के अनुसार पंचशील के सिद्धांतों को पहली बार 29 अप्रैल, 1954 को तिब्बत क्षेत्र के बीच व्यापार और संबंध को लेकर चीन-भारत के बीच हुए समझौते में शामिल किया गया था. चीन में इसे शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांत जबकि भारत में पंचशील का सिद्धांत कहा जाता है.

पंचशील के सिद्धांतों पर सहमति

तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और चीन के प्रधानमंत्री चाऊ एनलाई जब सीमा मुद्दे का समाधान खोजने में विफल रहे थे, तब उन्होंने पंचशील के सिद्धांतों पर सहमति जताई थी. जिनपिंग ने कहाकि पांच सिद्धांतों ने समय की मांग को पूरा किया और इनकी शुरुआत एक ऐतिहासिक घटनाक्रम थी.

क्या है ये सिद्धांत

अतीत में चीनी नेतृत्व ने पहली बार पांच सिद्धांतों यानी एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान, गैर-आक्रामकता, एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना, समानता और पारस्परिक लाभ, तथा शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व’ को संपूर्णता के साथ स्पेसिफाइड किया था.

चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने चीन-भारत और चीन-म्यामां संयुक्त वक्तव्यों में पांच सिद्धांतों को शामिल किया था. इन वक्तव्यों में पांच सिद्धांतों को द्विपक्षीय संबंधों के लिए बुनियादी मानदंड बनाने का आह्वान किया गया था.

एशिया में हुई पंचशील सिद्धांतों की शुरुआत

इस सम्मेलन में श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे समेत चीन के करीबी देशों के नेता और अधिकारी शरीक हुए. जिनपिंग ने अपने संबोधन में कहा कि पंचशील सिद्धांतों की शुरुआत एशिया में हुई, लेकिन जल्द ही ये विश्व मंच पर छा गए. उन्होंने कहा कि 1955 में बांडुंग सम्मेलन में 20 से अधिक एशियाई और अफ्रीकी देशों ने भाग लिया था. उन्होंने कहा कि 1960 के दशक में उभरे गुटनिरपेक्ष आंदोलन ने भी इन सिद्धांतों को मार्गदर्शक सिद्धांत के तौर पर अपनाया.

चीन का भारत के साथ संघर्ष

अमेरिका और यूरोपीय संघ से बढ़ती रणनीतिक प्रतिस्पर्धा का सामना करते हुए हाल के वर्षों में एशियाई, अफ्रीकी और अमेरिकी देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने की जुगत में लगे चीन का भारत और अन्य विकासशील देशों के साथ संघर्ष हुआ है. इन देशों को मोटे तौर पर ग्लोबल साउथ कहा जाता है. जिनपिंग ने कहा कि चीन ग्लोबल साउथ-साउथ सहयोग को बेहतर ढंग से समर्थन देने के लिए ग्लोबल साउथ अनुसंधान केंद्र की स्थापना करेगा.

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