जॉली एलएलबी 3 ओटीटी रिलीज़: अक्षय कुमार और अरशद वारसी अब नेटफ्लिक्स पर मचाएंगे धमाल

जॉली एलएलबी 3 ओटीटी रिलीज़ - अक्षय कुमार और अरशद वारसी अब नेटफ्लिक्स पर मचाएंगे धमाल
| Updated on: 13-Nov-2025 07:34 PM IST
जॉली एलएलबी 3 सिनेमाघरों में अपनी शानदार सफलता के बाद अब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर धूम मचाने के लिए तैयार है और अक्षय कुमार और अरशद वारसी अभिनीत यह बहुप्रतीक्षित कोर्टरूम ड्रामा फिल्म 19 सितंबर, 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी और इसे समीक्षकों और दर्शकों दोनों से भरपूर प्यार मिला था। फिल्म की कहानी, दमदार अभिनय और सामाजिक संदेश ने दर्शकों के दिलों में जगह बनाई। अब, हफ्तों के इंतजार के बाद, स्ट्रीमिंग दिग्गज नेटफ्लिक्स ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की है कि उसने फिल्म के डिजिटल स्ट्रीमिंग अधिकार हासिल कर लिए हैं, जिससे यह फिल्म दुनिया भर के दर्शकों के लिए उपलब्ध हो जाएगी।

नेटफ्लिक्स पर जॉली एलएलबी 3 का आगमन

नेटफ्लिक्स ने "जॉली एलएलबी 3" की ओटीटी रिलीज़ की घोषणा एक अनोखे और आकर्षक तरीके से की। उन्होंने अक्षय कुमार और अरशद वारसी को वकील के वेश में दिखाते हुए एक विशेष पोस्टर जारी किया, जिसने प्रशंसकों के बीच उत्साह बढ़ा दिया। इस पोस्टर के साथ एक कैप्शन भी था, जिसमें लिखा था, "माई लॉर्ड, जॉली बनने की इजाज़त है क्योंकि तारीख़ मिल गई है! 14 नवंबर को नेटफ्लिक्स पर जॉली एलएलबी 3 देखिए और " यह घोषणा न केवल फिल्म की डिजिटल रिलीज़ की तारीख का खुलासा करती है, बल्कि फ्रैंचाइज़ी के सिग्नेचर ह्यूमर और कोर्टरूम ड्रामा की झलक भी देती है। 14 नवंबर को फिल्म का प्रीमियर नेटफ्लिक्स पर होगा, जिससे दर्शक अपने घरों में आराम से इस कानूनी लड़ाई का आनंद ले सकेंगे।

सामाजिक मुद्दे पर आधारित कहानी

"जॉली एलएलबी 3" फ्रैंचाइज़ी की परंपरा को आगे बढ़ाती है, जो हमेशा सामाजिक मुद्दों को उजागर करती है और इस बार, फिल्म 2011 के भट्टा और पारसौल भूमि विरोध प्रदर्शनों से प्रेरित है, जिसने भारत में भूमि अधिग्रहण विवादों पर राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया था। फिल्म की कहानी एक गंभीर सामाजिक समस्या को दर्शाती है, जहां शक्तिशाली व्यावसायिक हित आम लोगों की जमीन और आजीविका को खतरे में डालते हैं। यह फिल्म दिखाती है कि कैसे भूमि अधिग्रहण के मुद्दे किसानों और ग्रामीणों के जीवन को प्रभावित करते। हैं, जिससे अक्सर दुखद परिणाम सामने आते हैं, जैसे कि फिल्म में एक किसान की आत्महत्या का मामला। यह कहानी दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है और न्याय प्रणाली की भूमिका पर सवाल उठाती है।

दो जॉली वकीलों का टकराव और मिलन

फिल्म की केंद्रीय कहानी दो वकीलों, जगदीश "जॉली" त्यागी (अरशद वारसी) और जगदीश्वर "जॉली" मिश्रा (अक्षय कुमार) के इर्द-गिर्द घूमती है और वे एक विवादित भूमि मामले में एक-दूसरे के विरोधी पक्षों में खड़े होते हैं। कहानी तब शुरू होती है जब एक महिला अपने गांव को "बीकानेर-से-बोस्टन" परियोजना के लिए जबरन अधिग्रहित किए जाने के बाद मुकदमा दायर करती है, जिसके परिणामस्वरूप एक किसान आत्महत्या कर लेता है। शुरुआत में, दोनों जॉली अदालत में एक-दूसरे से भिड़ते हैं, अपनी-अपनी दलीलों। और कानूनी दांव-पेच से एक-दूसरे को मात देने की कोशिश करते हैं। उनकी प्रतिद्वंद्विता हास्य और तीखी बहस से भरी होती है, जो दर्शकों को बांधे रखती है। हालांकि, जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ता है, उन्हें धीरे-धीरे एहसास होता है कि उनकी असली लड़ाई एक-दूसरे के खिलाफ नहीं है। बल्कि, उन्हें एक बड़े और अधिक खतरनाक दुश्मन का सामना करना पड़ रहा है: व्यापारी हरिभाई खेतान। खेतान एक ऐसा व्यक्ति है जो अपने व्यावसायिक हितों के लिए लोगों के जीवन और घरों को खतरे में डालने से नहीं हिचकिचाता और यह एहसास दोनों वकीलों को एक साथ लाता है, और वे अपनी व्यक्तिगत प्रतिद्वंद्विता को भुलाकर न्याय की लड़ाई के लिए एकजुट हो जाते हैं। यह मोड़ फिल्म का भावनात्मक केंद्र बन जाता है, जहां दो अलग-अलग पृष्ठभूमि के वकील एक साझा उद्देश्य के लिए हाथ मिलाते हैं।

कलाकारों का दमदार प्रदर्शन

"जॉली एलएलबी 3" में अक्षय कुमार एडवोकेट जगदीश्वर मिश्रा के रूप में अपनी भूमिका को दोहराते हैं, जो एक अनुभवी और न्यायप्रिय वकील हैं। अरशद वारसी एडवोकेट जगदीश "जॉली" त्यागी के रूप में वापसी करते हैं, जो अपने अनोखे अंदाज और तीखी बुद्धि के लिए जाने जाते हैं। इन दोनों दिग्गजों का आमना-सामना और फिर साथ आना फिल्म का मुख्य आकर्षण है। सौरभ शुक्ला एक बार फिर जज सुंदर लाल त्रिपाठी के रूप में अपनी यादगार भूमिका में हैं, जो अपनी हास्यपूर्ण लेकिन गंभीर टिप्पणियों से अदालत के माहौल को जीवंत करते हैं। हुमा कुरैशी पुष्पा पांडे मिश्रा की भूमिका में हैं, जबकि अमृता राव संध्या त्यागी के रूप में वापसी करती हैं, जो फिल्म में भावनात्मक गहराई जोड़ती हैं।

सहायक कलाकारों की भूमिका

फिल्म की सफलता में सहायक कलाकारों का भी महत्वपूर्ण योगदान है। राम कपूर एडवोकेट विक्रम रे चौधरी के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो कानूनी लड़ाई में एक और आयाम जोड़ते हैं। डॉ और मिलिंद देसाई के रूप में अविजित दत्त, रघुनाथ भारद्वाज के रूप में सुशील पांडे, वर्षा सोलंकी के रूप में सारा हाशमी और विधायक इकबाल सिंह शेखावत के रूप में रमन अत्रे जैसे कलाकार अपनी-अपनी भूमिकाओं में जान फूंकते हैं। इन सभी कलाकारों का सामूहिक प्रयास फिल्म को एक विश्वसनीय और मनोरंजक। कोर्टरूम ड्रामा बनाता है, जो दर्शकों को अंत तक बांधे रखता है।

न्याय की लड़ाई और भावनात्मक केंद्र

"जॉली एलएलबी 3" सिर्फ एक कानूनी ड्रामा नहीं है, बल्कि यह न्याय, नैतिकता और मानवीय मूल्यों की कहानी है। फिल्म का भावनात्मक केंद्र तब उभरता है जब दोनों जॉली वकील यह महसूस करते हैं कि उनकी लड़ाई व्यक्तिगत अहंकार से कहीं बढ़कर है। उन्हें यह समझना होता है कि असली दुश्मन वह व्यक्ति है जो आम लोगों के अधिकारों का हनन कर रहा है। हरिभाई खेतान के खिलाफ उनकी एकजुटता, गरीबों और बेसहारा लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह फिल्म दिखाती है कि कैसे विपरीत परिस्थितियों में भी, सही के लिए लड़ने की इच्छा लोगों को एक साथ ला सकती है, और कैसे न्याय की जीत के लिए व्यक्तिगत मतभेदों को भुलाया जा सकता है। यह एक ऐसी कहानी है जो दर्शकों को प्रेरित करती है और उन्हें न्याय प्रणाली में विश्वास बनाए रखने का संदेश देती है।

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