Arvind Kejriwal News: केजरीवाल हुए सीएम की कुर्सी जाते ही बेघर, राघव चड्ढा ने केंद्र से मांगा घर

Arvind Kejriwal News - केजरीवाल हुए सीएम की कुर्सी जाते ही बेघर, राघव चड्ढा ने केंद्र से मांगा घर
| Updated on: 20-Sep-2024 06:20 PM IST
Arvind Kejriwal News: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जब सीएम की कुर्सी छोड़ने का निर्णय लिया, तो यह केवल राजनीतिक परिवर्तन नहीं था, बल्कि उनके लिए एक नया जीवन की शुरुआत का संकेत भी था। इस स्थिति में उन्हें मुख्यमंत्री आवास भी खाली करना होगा, जिससे उनके रहने के ठिकाने की चिंता उत्पन्न हो गई है। आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने हाल ही में यह बात सामने रखी कि केजरीवाल के पास खुद का कोई घर नहीं है, और इसके लिए केंद्र सरकार से सहायता की मांग की है।

राघव चड्ढा की मांग

राघव चड्ढा ने कहा कि केजरीवाल का इस्तीफा यह दर्शाता है कि उन्हें पद की लालसा नहीं है, और उन्होंने नैतिकता के कारण यह कदम उठाया। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि दिल्ली के साधारण पार्षद भी अपने कार्यकाल में घर और गाड़ी बना लेते हैं, जबकि केजरीवाल, जो 10 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहे, के पास खुद का घर नहीं है।

चड्ढा ने केंद्र सरकार से अपील की है कि केजरीवाल को एक सरकारी आवास दिया जाए, क्योंकि अन्य राष्ट्रीय पार्टियों के अध्यक्षों को भी इस तरह की सुविधा मिलती है। उन्होंने आश्वासन दिया कि वे इस संबंध में शहरी विकास मंत्रालय को एक पत्र लिखने की योजना बना रहे हैं।

हकीकत का पर्दाफाश

हालांकि राघव चड्ढा का यह दावा कि केजरीवाल के पास रहने के लिए कोई ठिकाना नहीं है, सच्चाई से परे है। केजरीवाल के चुनावी हलफनामे के अनुसार, उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल के नाम पर गुरुग्राम के सेक्टर 78 में एक फ्लैट है, जिसे उन्होंने 2010 में खरीदा था। इसके अतिरिक्त, गाजियाबाद के इंदिरापुरम में उनके नाम पर जमीन है, जिसे उन्होंने 1998 में खरीदी थी। इन तथ्यों से यह स्पष्ट होता है कि केजरीवाल के पास आवास का विकल्प मौजूद है, भले ही वह मुख्यमंत्री आवास न हो।

निष्कर्ष

इस स्थिति ने दिल्ली की राजनीतिक परिदृश्य में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या अरविंद केजरीवाल वास्तव में आवास की आवश्यकता महसूस कर रहे हैं, या यह एक राजनीतिक रणनीति है? राघव चड्ढा की अपील के माध्यम से एक बार फिर यह स्पष्ट होता है कि राजनीति में नैतिकता और व्यक्तिगत जीवन का क्या महत्व है। राजनीतिक दलों को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए, ताकि ऐसी परिस्थितियों में नेताओं को उचित समर्थन मिल सके।

इस सभी घटनाक्रमों ने यह भी साबित किया है कि राजनीति में हर कदम की योजना और उसके पीछे की सोच को समझना आवश्यक है। केवल बयानबाजी से आगे बढ़कर, वास्तविकता को समझने की आवश्यकता है।

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