Lok Sabha Elections: नहीं चाहिए मायावती को गठबंधन का साथ, भतीजे आकाश के कंधे पर रखा हाथ

Lok Sabha Elections - नहीं चाहिए मायावती को गठबंधन का साथ, भतीजे आकाश के कंधे पर रखा हाथ
| Updated on: 23-Aug-2023 02:26 PM IST
Lok Sabha Elections: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए बसपा प्रमुख मायावती ने किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं करने का फैसला किया है. मायावती ‘एकला चलो’ की राह पर चलने को पूरी तरह से कायम हैं और उन्होंने 2024 में बिना किसी गठबंधन के ही उतरने का निर्णय कर लिया है. लखनऊ में आज बुधवार को हुई बैठक में मायावती के भाई आनंद कुमार और भतीजे आकाश आनंद ने भी शिरकत किया. इस दौरान मायावती ने भतीजे के कंधे पर हाथ रखकर सियासी संदेश भी दे दिया है.

खास बात यह है कि आकाश आनंद लखनऊ की बैठक में शिरकत करने के लिए राजस्थान की यात्रा को छोड़कर शामिल हुए थे. आकाश आनंद इन दिनों राजस्थान में बसपा को जिताने के लिए पूरे दमखम के साथ लगे हुए हैं.

गठबंधन से फायदा कम नुकसान ज्यादा

पिछले आम चुनाव (2019) में उनकी पार्टी बीएसपी ने समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के साथ चुनावी तालमेल किया था. जबकि 2014 के चुनाव में बीएसपी का खाता तक नहीं खुला था. लेकिन गठबंधन में चुनाव लड़ने पर 2019 में बीएसपी के 10 सांसद चुने गए. हालांकि अदालत से सजा मिलने के बाद गाजीपुर से लोकसभा सांसद अफजल अंसारी की संसद सदस्यता चली गई.

लखनऊ में बीएसपी नेताओं की बैठक में मायावती ने खुलासा किया कि गठबंधन करने से उन्हें फायदा के बदले नुकसान ही होता है. पार्टी प्रमुख ने कहा कि दूसरी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने से बीएसपी का वोट दूसरी पार्टी में ट्रांसफर हो जाता है. लेकिन गठबंधन वाली पार्टी का वोट उनकी पार्टी के पक्ष में ट्रांसफर नहीं होता है. जिसके कारण बीएसपी के कार्यकर्ताओं और नेताओं का मनोबल टूट जाता है. इसीलिए इस बार 2024 के चुनाव के लिए उन्होंने सत्ता पक्ष और विपक्षी एकता वाले गठबंधन से बराबर की दूरी बनाए रखने का फैसला किया है.

पिछले कुछ दिनों से इस बात की अटकलें लगाई जा रही थीं कि मायावती विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA की तरफ आ सकती हैं. ये भी कहा जा रहा था कि कांग्रेस और बीएसपी के कुछ नेता इस गठजोड़ पर आपसी बातचीत भी करने लगे थे. हाल में ही यूपी कांग्रेस अध्यक्ष पद से ब्रजलाल खाबरी को हटाए जाने के बाद ये चर्चा और तेज हो गई थी. ये कहा जा रहा था कि मायावती को खुश करने के लिए खाबरी को हटाया गया है. कांग्रेस में आने से पहले खाबरी बीएसपी में ही थे.

पार्टी के कई नेता थे गठबंधन के पक्ष में

कभी मायावती के बेहद करीबी रहे नसीरुद्दीन सिद्दीकी को भी कांग्रेस में कोई अहम जिम्मेदारी नहीं देने के पीछे भी यही वजह बताई जा रही थी. बीएसपी के कई मुस्लिम नेता भी कांग्रेस से गठबंधन करने के पक्ष में थे. पर बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने इस तरह की खबरों पर विराम लगा दिया है. मायावती ने किसी भी तरह के गठबंधन का चैप्टर क्लोज कर दिया है. वैसे राजनीति में संभावनाएं कभी खत्म नहीं होती हैं.

लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर मायावती ने आज लखनऊ में बीएसपी नेताओं की मीटिंग बुलाई थी. इस बैठक में पार्टी के कॉर्डिनेटर से लेकर जिला अध्यक्षों तक को बुलाया गया था. लेकिन पश्चिमी यूपी के सबसे ताकतवर मुस्लिम नेता इमरान मसूद को नहीं बुलाया गया. बताया जाता है कि वे भी कांग्रेस से गठबंधन करने की वकालत कर रहे थे. पार्टी की तरफ से उनके मीडिया में बयान देने पर भी रोक है.

मायावती ने भतीजे को बुलाकर दिया आशीर्वाद

यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं. मायावती ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. यूपी में इस बार बीजेपी की अगुवाई वाला एनडीए होगा तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के नेतृत्व में INDIA गठबंधन. मायावती इस बार दलित मुस्लिम के सामाजिक फॉर्मूले पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं.

अखिलेश यादव अपनी कट्टर विरोधी मायावती पर बीजेपी की बी टीम होने का आरोप लगाते रहे हैं. आज की बैठक में बीएसपी अध्यक्ष ने बीजेपी और कांग्रेस की जमकर आलोचना की. उन्होंने कहा कि बीजेपी की लोकप्रियता तेजी से घट रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि बीजेपी राज में लोग परेशान हैं. मायावती ने कहा कि कांग्रेस की कथनी और करनी में जमीन-आसमान का फर्क है. कांग्रेस के उन्होंने दलित और पिछड़ा विरोधी पार्टी बताया. आज की बैठक में मायावती के अलावा सबसे अधिक चर्चा उनके भतीजे आकाश आनंद की रही. पार्टी के नेशनल कॉर्डिनेटर आकाश को अपने पास बुला कर मायावती ने सबके सामने आशीर्वाद भी दिया.

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