Siberia Gas Pipeline Deal: US को ऊर्जा के क्षेत्र में खुली चुनौती, चीन-रूस ने साइन की गैस डील

Siberia Gas Pipeline Deal - US को ऊर्जा के क्षेत्र में खुली चुनौती, चीन-रूस ने साइन की गैस डील
| Updated on: 03-Sep-2025 10:30 AM IST

Siberia Gas Pipeline Deal: चीन और रूस ने हाल के वर्षों में अपनी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करते हुए अमेरिका के नेतृत्व वाली वैश्विक व्यवस्था और उसके द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों व टैरिफ को चुनौती देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट के दौरान दोनों देशों ने पावर ऑफ साइबेरिया 2 गैस पाइपलाइन के निर्माण के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता न केवल दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों को और गहरा करेगा, बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजार में उनकी स्थिति को भी मजबूत करेगा।

पावर ऑफ साइबेरिया 2: एक नया ऊर्जा गलियारा

गैजप्रोम के प्रमुख एलेक्सी मिलर ने बीजिंग में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई उच्च-स्तरीय वार्ता के बाद इस समझौते की घोषणा की। इस त्रिपक्षीय वार्ता में मंगोलिया के नेता खुरेलसुख उखना भी शामिल थे, क्योंकि मंगोलिया इस पाइपलाइन के लिए एक महत्वपूर्ण ट्रांजिट पॉइंट के रूप में कार्य करेगा।

मिलर के अनुसार, पावर ऑफ साइबेरिया 2 पाइपलाइन पूरी होने पर रूस से मंगोलिया होते हुए चीन तक प्रतिवर्ष 50 अरब घन मीटर प्राकृतिक गैस का परिवहन करेगी। यह समझौता 30 वर्षों तक गैस आपूर्ति को सुनिश्चित करता है, जो दोनों देशों के लिए ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिहाज से महत्वपूर्ण है। यह ध्यान देने योग्य है कि चीन पहले से ही रूस के तेल का सबसे बड़ा खरीदार है, और यह नया समझौता दोनों देशों के बीच ऊर्जा सहयोग को और बढ़ाएगा।

वैश्विक व्यवस्था के लिए वैकल्पिक दृष्टिकोण

इस हफ्ते, चीन और रूस ने संयुक्त रूप से अमेरिका के नेतृत्व वाली वैश्विक व्यवस्था के विकल्प का प्रस्ताव रखा। यह प्रस्ताव बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को बढ़ावा देने की उनकी साझा महत्वाकांक्षा को दर्शाता है, जिसमें पश्चिमी देशों का एकछत्र प्रभुत्व कम हो। दोनों देशों का मानना है कि मौजूदा वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक ढांचा उनके हितों को पूरी तरह से प्रतिबिंबित नहीं करता, और इसलिए वे एक ऐसी व्यवस्था की वकालत कर रहे हैं जो अधिक समावेशी और उनके लिए अनुकूल हो।

रूस के लिए आर्थिक राहत

यूक्रेन पर रूस के सैन्य अभियान के बाद, पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए, जिसके परिणामस्वरूप रूस को यूरोपीय ऊर्जा बाजारों में भारी नुकसान हुआ। इस संदर्भ में, पावर ऑफ साइबेरिया 2 जैसे समझौते रूस के लिए आर्थिक जीवन रेखा के रूप में काम करेंगे। चीन के साथ बढ़ता ऊर्जा व्यापार न केवल रूस को आर्थिक स्थिरता प्रदान करेगा, बल्कि पश्चिमी प्रतिबंधों के प्रभाव को कम करने में भी मदद करेगा।

दूसरी ओर, पश्चिमी देशों ने लंबे समय से चीन पर आरोप लगाया है कि वह यूक्रेन संकट में रूस को आर्थिक और रणनीतिक समर्थन दे रहा है। यह नया समझौता इस आलोचना को और हवा दे सकता है, क्योंकि यह दोनों देशों के बीच गहरे आर्थिक एकीकरण का संकेत देता है।

भविष्य की संभावनाएं

पावर ऑफ साइबेरिया 2 पाइपलाइन और अन्य संयुक्त परियोजनाएं चीन और रूस के बीच बढ़ते सहयोग का प्रतीक हैं। यह साझेदारी न केवल ऊर्जा क्षेत्र तक सीमित है, बल्कि व्यापार, प्रौद्योगिकी, और रक्षा जैसे क्षेत्रों में भी विस्तार कर रही है। दोनों देशों का लक्ष्य न केवल पश्चिमी प्रतिबंधों का मुकाबला करना है, बल्कि वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को और मजबूत करना भी है।

इस समझौते का प्रभाव क्षेत्रीय और वैश्विक ऊर्जा बाजारों पर भी पड़ेगा। मंगोलिया जैसे देशों के लिए, जो इस परियोजना में ट्रांजिट हब की भूमिका निभाएंगे, यह आर्थिक अवसरों का एक नया द्वार खोलेगा। साथ ही, यह परियोजना वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाने में भी योगदान देगी।

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