Talha Anjum: नेपाल कॉन्सर्ट में पाकिस्तानी रैपर तल्हा अंजुम ने लहराया तिरंगा, कहा 'कला की कोई सीमा नहीं'
Talha Anjum - नेपाल कॉन्सर्ट में पाकिस्तानी रैपर तल्हा अंजुम ने लहराया तिरंगा, कहा 'कला की कोई सीमा नहीं'
काठमांडू, नेपाल में एक संगीत कार्यक्रम के दौरान एक अप्रत्याशित घटना ने पाकिस्तानी रैपर तल्हा अंजुम को सुर्खियों में ला दिया है। अपने लाइव प्रदर्शन के बीच, अंजुम ने भारतीय तिरंगा झंडा लहराया और उसे पूरे शो के दौरान अपने कंधों पर लपेटे रखा, जिससे दर्शकों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हलचल मच गई। यह घटना तेजी से वायरल हो गई, जिससे कला, राष्ट्रीयता और सीमाओं पर बहस छिड़ गई।
कॉन्सर्ट में हुई घटना का विस्तृत विवरण
यह घटना तब हुई जब तल्हा अंजुम, जो पाकिस्तान के एक प्रसिद्ध रैपर हैं, भारतीय गली गैंग के रैपर नैजी के लिए अपना डिस ट्रैक 'कौन तल्हा' परफॉर्म कर रहे थे और संगीत की धुन और भीड़ के उत्साह के बीच, किसी ने दर्शकों में से उनकी ओर भारतीय झंडा फेंका। अंजुम ने बिना अपनी लय तोड़े, एक ही झटके में तिरंगा पकड़ा। उन्होंने उसे गर्व से लहराया और फिर उसे अपने चारों ओर लपेट लिया, जिससे मंच पर एक शक्तिशाली और प्रतीकात्मक क्षण बन गया। इस दृश्य को तुरंत रिकॉर्ड कर लिया गया और कुछ ही समय में यह। वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो गया, जिससे ऑनलाइन दुनिया में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आने लगीं।तल्हा अंजुम की प्रतिक्रिया और उनका दृढ़ रुख
वीडियो के इंटरनेट पर आने के कुछ घंटों बाद, तल्हा अंजुम ने X (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी चुप्पी तोड़ी और अपने कृत्य का बचाव किया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में लिखा, 'मेरे दिल में नफरत के लिए कोई जगह नहीं है। मेरी कला की कोई सीमा नहीं है। अगर भारत का झंडा फहराने से कोई विवाद होता है, तो होने दो. मैं ऐसा फिर करूंगा.. और मीडिया, युद्ध भड़काने वाली सरकारों और उनके प्रोपेगैंडा की कभी परवाह नहीं करूंगा। उर्दू रैप हमेशा सीमाहीन रहा है और रहेगा। ' यह बयान उनके इस विश्वास को दर्शाता है कि कला को राजनीतिक या भौगोलिक सीमाओं से नहीं बांधा जा सकता और उन्होंने स्पष्ट रूप से उन लोगों को चुनौती दी जो इस घटना को विवाद का विषय बनाना चाहते थे, यह दोहराते हुए कि उनका इरादा सद्भाव और कलात्मक अभिव्यक्ति का था।ऑनलाइन प्रतिक्रियाएं और सार्वजनिक बहस
तल्हा अंजुम के इस बयान पर X यूजर्स बंटे हुए थे और कुछ लोगों ने उनके इस कदम का समर्थन किया और कहा कि कला वास्तव में सीमाओं से परे है। एक प्रशंसक ने टिप्पणी की, 'कोई बात नहीं दोस्त जो करना है करो और किसी भी देश का झंडा फहराने से तुम पाकिस्तान विरोधी नहीं बन जाओगे। हम हमेशा तुम्हारा सपोर्ट करेंगे। ' यह टिप्पणी अंजुम के कलात्मक स्वतंत्रता के विचार के साथ प्रतिध्वनित होती है। हालांकि, दूसरों ने उनके इरादों पर सवाल उठाया, यह सुझाव देते हुए कि वह भारतीय प्रशंसकों को प्रभावित करने या अधिक ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहे थे। एक अन्य यूज़र ने व्यंग्यात्मक रूप से लिखा, 'व्यूज नहीं आ रहे क्या भाई। ' यह प्रतिक्रिया दर्शाती है कि कैसे ऑनलाइन दुनिया में किसी भी सार्वजनिक कृत्य को अक्सर विभिन्न कोणों से देखा जाता है, जिसमें कभी-कभी संदेह भी शामिल होता है।
**कौन हैं पाकिस्तानी रैपर तल्हा अंजुम?
तल्हा अंजुम पाकिस्तान के एक मशहूर रैपर, लिरिसिस्ट और हिप-हॉप आर्टिस्ट हैं। उन्हें उर्दू रैप में क्रांति लाने के लिए जाना जाता है, उन्होंने इस शैली को पाकिस्तान और भारत दोनों में युवा दर्शकों के बीच लोकप्रिय बनाया है। उनके कुछ सबसे प्रसिद्ध ट्रैक में 'बर्गर-ए-कराची', 'मैला मजनूं' और 'लाम साईं चौरा' शामिल हैं और अंजुम ने अपनी अनूठी शैली और शक्तिशाली गीतों के माध्यम से एक महत्वपूर्ण प्रशंसक आधार बनाया है। उनकी लोकप्रियता सीमाओं से परे है, और उनके संगीत को अक्सर दोनों देशों के युवाओं द्वारा सराहा जाता है। यह घटना उनकी कलात्मक पहचान और उनके संगीत के माध्यम से साझा सांस्कृतिक अनुभवों को उजागर करती है।कला और राष्ट्रीय पहचान का संगम
तल्हा अंजुम का भारतीय झंडा लहराना केवल एक कॉन्सर्ट का क्षण नहीं था, बल्कि यह कला और राष्ट्रीय पहचान के बीच जटिल संबंधों पर एक टिप्पणी थी। उनका यह कार्य इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे कलाकार अक्सर राजनीतिक विभाजन को पार कर सकते हैं और साझा मानवीय अनुभवों के माध्यम से लोगों को जोड़ सकते हैं। उनका बयान कि 'उर्दू रैप हमेशा सीमाहीन रहा है और रहेगा' इस विचार को पुष्ट करता है कि संगीत और कलात्मक अभिव्यक्ति में लोगों को एक साथ लाने की शक्ति है, भले ही राजनीतिक माहौल कुछ भी हो। यह घटना सांस्कृतिक आदान-प्रदान और कला की सार्वभौमिक भाषा पर एक महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म देती है, जो यह दर्शाती है कि कैसे कलाकार अपने मंच का उपयोग शांति और एकता के संदेश को बढ़ावा देने के लिए कर सकते हैं।
यह घटना एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करती है कि कला अक्सर राजनीतिक सीमाओं को पार कर जाती है, जिससे लोगों के बीच संवाद और समझ को बढ़ावा मिलता है। तल्हा अंजुम का कार्य, चाहे वह विवादित हो या प्रशंसित, निश्चित रूप से कलात्मक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक सद्भाव पर एक महत्वपूर्ण बहस छेड़ गया है।