PUNJAB: मुख्यमंत्री के वेतन से ज्यादा कई पूर्व विधायकों की पेंशन, अधिकारियों की गलती से खजाने को लगा 192 करोड़ का चूना

PUNJAB - मुख्यमंत्री के वेतन से ज्यादा कई पूर्व विधायकों की पेंशन, अधिकारियों की गलती से खजाने को लगा 192 करोड़ का चूना
| Updated on: 26-Mar-2022 04:43 PM IST
पंजाब के कई पूर्व विधायक पेंशन के रूप में हर महीने मुख्यमंत्री के वेतन से अधिक की राशि ले रहे हैं। नियमों के अनुसार विधायक को पहले कार्यकाल के लिए 75 हजार रुपये और उसके बाद हर अन्य कार्यकाल के लिए 50 हजार रुपये पेंशन का प्रावधान है। विधानसभा के रिकॉर्ड के मुताबिक इस समय राज्य के 275 पूर्व विधायक अपने अलग-अलग कार्यकाल के हिसाब से पेंशन ले रहे हैं। इसमें राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत एक दर्जन पूर्व विधायक शामिल हैं जिन्हें कार्यकाल के हिसाब से 5-6 पेंशन मिल रहीं हैं। 

पंजाब में मुख्यमंत्री का मासिक वेतन (भत्तों समेत) डेढ़ लाख रुपये बनता है। वहीं, प्रदेश के पूर्व विधायकों में पांच बार मु्ख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल इस समय 11 पेंशन के हकदार हैं और उन्हें पेंशन की कुल राशि 5,76,150 रुपये मिलती थी। हालांकि हाल ही में उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर पेंशन न लेने की बात कही है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्ठल, पूर्व मंत्री मनप्रीत सिंह बादल, लाल सिंह और परमिंदर सिंह ढींढसा समेत सूबे के कई पूर्व विधायक ऐसे हैं जिन्हें उनके कार्यकाल के हिसाब से 5-6 पेंशन मिलती हैं। इसकी कुल रकम 2,75,550 रुपये से 3,25,650 रुपये बनती है।

अफसरों ने कर दी नियमों में गड़बड़

पंजाब राज्य विधान मंडल सदस्य (पेंशन व मेडिकल सुविधा) एक्ट 1977 और पंजाब राज्य विधान मंडल सदस्य (पेंशन व मेडिकल सुविधा) एक्ट 1984 में संशोधन के साथ पंजाब एक्ट नंबर 30 ऑफ 2016 के तहत नोटिफिकेशन जारी करके ऐसा प्रावधान कर दिया गया कि पूर्व विधायक को उनके पहले कार्यकाल के लिए पेंशन के रूप में 15000 रुपये और अगली प्रत्येक टर्म के लिए 10000 रुपये से आगाज होगा। इस रकम में पहले 50 फीसदी डीए मर्ज होगा और उसके बाद बनने वाली कुल रकम में फिर से 234 फीसदी महंगाई भत्ता जुड़ जाएगा। इस तरह पूर्व विधायकों को जबरदस्त लाभ हुआ, क्योंकि 15000 + 7500 (50 फीसदी डीए)= 22500 रुपये रकम बनी। 22500+52650 (234 फीसदी डीए) रुपये यानी कुल 75150 रुपये पेंशन बनती हैं। 

इसी गणित के आधार पर सूबे के 275 पूर्व विधायकों को वर्ष 2017 से हर साल 37 करोड़ और पांच वर्ष में 186 करोड़ रुपये पेंशन के तौर पर दिए गए लेकिन जिन एक्ट का हवाला देते हुए अफसरों ने यह पेंशन तय की, ऐसा कोई प्रावधान किसी भी एक्ट में था ही नहीं। सूबे की अकाली-भाजपा सरकार ने अक्तूबर 2016 में पूर्व विधायकों की पेंशन को पहले कार्यकाल में 15000 रुपये और बाद के कार्यकाल के लिए 10-10 हजार रुपये का प्रावधान करते हुए साफ कर दिया था कि इस राशि में महंगाई भत्ता अन्य सरकारी मुलाजिमों को मिलने वाले महंगाई भत्ते के अनुसार ही जुड़ेगा। 

अगर इस तरीके से पेंशन तैयार होती तो 15000 रुपये और 28 फीसदी डीए को मिलाकर 19200 रुपये ही पूर्व विधायक को मिलते। लेकिन अफसरों द्वारा की गई गड़बड़ी का नतीजा यह हुआ कि पूर्व विधायकों को 19200 रुपये की जगह 75150 रुपये पेंशन मिलती रही। इस तरह पांच साल के दौरान सरकारी खजाने से लगभग 192 करोड़ रुपये अधिक निकाल लिए गए। 

आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल और मुख्यमंत्री भगवंत मान स्पष्ट कर चुके हैं कि किसी भी कीमत पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं होगा। इस मामले की जांच कराई जाएगी और दोषी अफसरों को बख्शा नहीं जाएगा। निर्धारित राशि से ज्यादा दी गई रकम की रिकवरी भी की जाएगी। कुलतार सिंह संधवा, अध्यक्ष पंजाब विधानसभा

पंजाब सरकार को मिला कांग्रेस का साथ

कांग्रेस विधायक और पंजाब के पूर्व शिक्षा मंत्री परगट सिंह ने पूर्व विधायकों को एक ही पेंशन दिए जाने के मुख्यमंत्री भगवंत मान के फैसले का स्वागत किया है। शुक्रवार को उन्होंने अपने ट्वीटर हैंडल पर लिखा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के ‘एक विधायक-एक पेंशन’ फैसले का हम तहेदिल से स्वागत करते हैं। इस तरह के फैसलों से पंजाब के खजाने पर यकीनन बोझ घटेगा। 

बतौर विरोधी पक्ष हम हमेशा अच्छे फैसलों का स्वागत करते रहेंगे और गलत फैसलों पर टिका-टिप्पणी करते रहेंगे। पंजाब की भलाई हमारे लिए पहले नंबर पर है। उधर, कांग्रेस विधायक सुखपाल खैरा ने फैसले का स्वागत किया और कहा कि हम इस कदम का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि सूबे के हित में किए जाने वाले हर कदम का स्वागत करेंगे। पंजाब पहले ही कर्ज में डूब चुका है, ऐसे हालात में यह कदम स्वागत योग्य है। खैरा ने कहा कि सरकार अच्छा काम करेगी तो उसका स्वागत होगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब पर जितना कर्ज है और प्रदेश के खर्चे पूरे करने के लिए केवल इतनी कटौती काफी नहीं होगी। शिरोमणि अकाली दल के विधायक मनप्रीत अयाली ने भी भगवंत मान सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है।

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