China: पेंटागन की रिपोर्ट में खुलासा: 2049 तक ग्रेटर चीन बनाने का जिनपिंग का सपना, अरुणाचल भी निशाने पर

China - पेंटागन की रिपोर्ट में खुलासा: 2049 तक ग्रेटर चीन बनाने का जिनपिंग का सपना, अरुणाचल भी निशाने पर
| Updated on: 24-Dec-2025 01:51 PM IST
अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने एक नई रिपोर्ट में चीन की महत्वाकांक्षी योजना 'ग्रेटर चाइना' को लेकर बड़ा खुलासा किया है। यह रिपोर्ट अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई है, जिसमें बताया गया है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 2049 तक एक विशाल 'ग्रेटर चीन' बनाने का सपना देख रहे हैं। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए चीन ने अपने मूल हितों की सूची का विस्तार किया है, जिसमें अब भारत के अरुणाचल प्रदेश को भी शामिल कर लिया गया है। यह कदम भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि यह क्षेत्र भारत का। अभिन्न अंग है और चीन का यह दावा क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा पैदा करता है।

ग्रेटर चाइना का लक्ष्य और विस्तारित हित

पेंटागन की रिपोर्ट के अनुसार, चीन का मानना है कि वह ताइवान, दक्षिण चीन सागर, जापान के साथ सेनकाकू द्वीप और अब भारत के अरुणाचल प्रदेश जैसे क्षेत्रों को अपने नियंत्रण में लाए बिना 2049 तक एक शक्तिशाली और 'ग्रेटर चाइना' नहीं बना सकता। बीजिंग का स्पष्ट रुख है कि इन इलाकों पर उसका दावा अंतिम है और इस पर किसी भी तरह की बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है। चीन की यह सोच इन क्षेत्रों को लेकर उसके बेहद सख्त रुख को दर्शाती है, जिससे वह पीछे हटने को तैयार नहीं है। यह विस्तारवादी नीति चीन को बार-बार भारत और अन्य पड़ोसी देशों के साथ सीमा और क्षेत्रीय विवादों में उलझाती है और अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन का यह नवीनतम दावा उसकी इसी बड़ी योजना का एक हिस्सा माना जा रहा है।

चीन के तीन गैर-समझौता योग्य हित

रिपोर्ट में चीन के तीन ऐसे 'कोर इंटरेस्ट्स' का भी। उल्लेख किया गया है, जिन पर वह कोई समझौता नहीं करेगा। पहला, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) का नियंत्रण और उसकी वैधता। दूसरा, देश का आर्थिक विकास और स्थिरता। तीसरा, क्षेत्रीय दावों की रक्षा और उनका विस्तार। चीन इन तीनों में से किसी भी चुनौती को सीधे अपनी सत्ता और वैधता पर खतरा मानता है और पेंटागन की रिपोर्ट बताती है कि CCP हांगकांग, शिनजियांग, तिब्बत और ताइवान में उठने वाली विरोधी आवाज़ों को अलगाववादी करार देती है और उन्हें विदेशी ताकतों से प्रेरित बताती है। चीन के अनुसार, ये आवाज़ें उसकी सत्ता के लिए अस्वीकार्य खतरा हैं और वह इन्हें दबाने के लिए हर संभव प्रयास करता है।

भारत-चीन सीमा पर तनाव और अविश्वास

रिपोर्ट में भारत और चीन के बीच सीमा पर मौजूदा स्थिति का भी विश्लेषण किया गया है। अक्टूबर 2024 में भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बचे हुए टकराव वाले इलाकों से पीछे हटने पर सहमति बनी थी। इसके बाद ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र। मोदी की मुलाकात हुई, जिससे संबंधों में कुछ नरमी आने की उम्मीद जगी। इस मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच मासिक उच्च-स्तरीय बातचीत, सीधी उड़ानें, वीजा सुविधा और अकादमिक व मीडिया एक्सचेंज पर चर्चा शुरू हुई। ये कदम दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माने जा रहे थे।

चीन की मंशा और भारत की सतर्कता

हालांकि, पेंटागन का मानना है कि चीन LAC पर तनाव कम करके भारत-अमेरिका रिश्तों को गहराने से रोकना चाहता है। चीन की यह रणनीति भारत को अमेरिका के करीब जाने से रोकने और क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने की है। वहीं, भारत चीन की मंशा को लेकर अब भी अत्यधिक सतर्क है। रिपोर्ट स्पष्ट रूप से कहती है कि दोनों देशों के बीच आपसी अविश्वास और पुराने विवादों के चलते भारत-चीन रिश्तों में सीमित ही सुधार संभव है। सीमा विवाद, अरुणाचल प्रदेश पर चीन का दावा और अन्य क्षेत्रीय मुद्दे दोनों देशों के बीच गहरे अविश्वास का कारण बने हुए हैं, जिससे दीर्घकालिक और स्थायी शांति स्थापित करना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। भारत अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और चीन। के किसी भी विस्तारवादी कदम का दृढ़ता से मुकाबला करने के लिए तैयार है।

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