राजस्थान में सियासी ड्रामा LIVE: राज्यपाल से मिला भाजपा का डेलिगेशन

राजस्थान में सियासी ड्रामा LIVE - राज्यपाल से मिला भाजपा का डेलिगेशन
| Updated on: 25-Jul-2020 07:27 PM IST
  • मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सुबह विधायक दल की बैठक में कहा- पीएम आवास के सामने धरना देना पड़े तो दिल्ली जाएंगे
  • राज्यपाल ने कहा- सरकार के पास बहुमत है तो विश्वास मत के लिए सत्र बुलाने का क्या मतलब है?
  • गहलोत सत्र बुलाने पर अड़े, कहा- राज्यपाल केंद्र सरकार के कहने पर ऐसा कर रहे हैं


राजस्थान में सियासी घटनाक्रम का आज 16वां दिन है। शाम को भाजपा के 13 सदस्यों का दल राज्यपाल कलराज मिश्र से मिला। हालांकि, बताया गया कि यह डेलिगेशन राज्य में कोरोना के हालात पर चर्चा करने के लिए पहुंचा था। इस मुलाकात के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा- राज्य के मुखिया ये चेतावनी देते हैं कि 8 करोड़ जनता राज्यपाल को घेर लेगी। यह गलत है। यह बयान उन्हें (मुख्यमंत्री गहलोत को) आईपीसी की धारा 124 के तहत सजा दिला सकता है।

इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायक दल की बैठक में फिर भाजपा पर हमला बोला। उन्होंने कहा, 'सरकार गिराने की भाजपा की साजिश को कामयाब नहीं होने देंगे। जरूरत पड़ी तो राष्ट्रपति के पास जाएंगे। अगर इससे भी बात नहीं बनी तो हम प्रधानमंत्री आवास के सामने प्रदर्शन करेंगे।' उनकी इस बात का विधायकों ने हाथ उठाकर समर्थन किया।

सीएम गहलोत फिर राज्यपाल से मिल सकते हैं
इस बीच खबर है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी आज राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलेंगे। इस दौरान वे विधानसभा सत्र के लिए नया प्रस्ताव देंगे और राज्यपाल की 6 आपत्तियों का जवाब देंगे। पहले दोनों के बीच शाम 4 बजे मिलने की खबर आई थी। गहलोत ने आज सुबह मिलने का वक्त मांगा था।

दरअसल, दोनों के बीच सत्र बुलाने को लेकर तकरार बढ़ गई है। मुख्यमंत्री सोमवार को सत्र बुलाना चाहते हैं, लेकिन राज्यपाल ने कोरोना महामारी का हवाला देकर इनकार कर दिया था। कल रात मुख्यमंत्री को भेजे लेटर में सत्र को लेकर आपत्तियां जताई थीं।

कल रात तीन घंटे कैबिनेट बैठक की थी

मुख्यमंत्री गहलोत विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने पर अड़े हैं। उन्होंने शुक्रवार देर रात 1 बजे तक कैबिनेट की बैठक की। तीन घंटे चली बैठक में राज्यपाल कलराज मिश्र की आपत्तियों पर चर्चा की गई। क्या फैसला लिया गया। इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है। इससे पहले दोपहर को मुख्यमंत्री और विधायकों ने 5 घंटे राजभवन में धरना दिया था। 27 साल पहले मुख्यमंत्री भेरौसिंह शेखावत ने ऐसा किया था। 1993 में वे राजभवन में धरने पर बैठ गए थे।

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