राजा मानसिंह हत्याकांड: दोषी पूर्व पुलिस अधिकारी कान सिंह भाटी का निधन

राजा मानसिंह हत्याकांड - दोषी पूर्व पुलिस अधिकारी कान सिंह भाटी का निधन
| Updated on: 12-Sep-2020 07:59 PM IST

चर्चित राजा मानसिंह हत्याकांड में दोषी पूर्व पुलिस अधिकारी कान सिंह भाटी (82) का शनिवार को जयपुर में निधन हो गया। वह मथुरा जेल में सजा काट रहे थे। तबीयत खराब होने पर 4 दिन पहले उन्हें जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। इसी साल 22 जुलाई को ही पूर्व डीएसपी कान सिंह समेत 11 पुलिसवालों को राजा मानसिंह हत्याकांड में मथुरा की कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई थी। पोस्टमार्टम के बाद अब उनका शव बीकानेर ले जाया जाएगा।

21 फरवरी 1985 को भरतपुर के राजा मानसिंह का राजस्थान के डीग में एनकाउंटर कर दिया गया था। 1990 में यह मामला राजस्थान से बाहर मथुरा में ट्रांसफर कर दिया गया था। इस एनकाउंटर में 35 साल बाद कोर्ट का फैसला आया था।

राजा मान सिंह एनकाउंटर की कहानी

इस चर्चित एनकाउंटर की कहानी 20 फरवरी 1985 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर की डीग में हुई सभा से शुरू हुई थी। इस दिन डीग में माथुर की जनसभा थी। माथुर के सामने डीग से राज मान सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे। बताते हैं कि माथुर के समर्थक कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने डीग के किले पर लगा झंडा उतारकर कांग्रेस का झंडा लगा दिया था।

इस हरकत से मानसिंह खफा हो गए और अपनी जीप से माथुर की सभा में जा पहुंचे। माथुर जिस हेलिकॉप्टर से आए थे, मान सिंह ने उसे अपनी जीप से टक्कर मार दी। इस मामले में मान सिंह के खिलाफ पुलिस केस दर्ज कर लिया गया। अगले ही दिन डीएसपी कान सिंह ने डीग के बाजार में राजा मान सिंह को रुकने का इशारा किया। लेकिन, मान सिंह अपनी जीप बैक करने लगे। इसी दौरान पुलिसवालों ने फायरिंग कर दी।

फायरिंग में राजा मानसिंह, उनके साथी सुमेर सिंह हरि सिंह की मौत हो गई थी। इस एनकाउंटर के बाद मान सिंह के दामाद विजय सिंह ने डीग थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। 28 फरवरी 1985 को इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। सीबीआई ने 14 पुलिसकर्मियों के खिलाफ जयपुर कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी। 1990 में इस मामले को राजस्थान के बाहर मथुरा कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया।

एनकाउंटर के बाद सीएम को देना पड़ा था इस्तीफा

राजा मानसिंह के एनकाउंटर के बाद राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर को इस्तीफा देना पड़ा था। भरतपुर जिले में यह पहला ऐसा मामला था, जिसकी जांच सीबीआई ने की थी। इतना ही नहीं, इस मुकदमे की सुनवाई के लिए राजस्थान सरकार ने राजा मानसिंह हत्याकांड के नाम से स्पेशल कोर्ट बनाई थी। लेकिन 3 साल के बाद इस कोर्ट से मुकदमा उत्तर प्रदेश के मथुरा में ट्रांसफर हो गया।

1952 में पहली बार विधायक चुने गए थे मान सिंह

राजा मानसिंह का जन्म 5 दिसंबर, 1921 को भरतपुर रियासत में हुआ था। सन 1928-42 तक उन्होंने इंग्लैंड में शिक्षा ग्रहण कर इंजीनियर की डिग्री प्राप्त की। वे चार भाई महाराजा ब्रजेंद्र सिंह, राजा मान सिंह, गिरेन्द्र सिंह और गिर्राज सरन सिंह (बच्चू सिंह) थे। वर्ष 1946-47 में वे भरतपुर रियासत के मंत्री बने। 1952 में पहली बार हुए चुनाव में निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए। इसके बाद 1984 तक लगातार सात बार निर्दलीय विधायक रहे।

कबाड़ हो गए सबूत

राजा मानसिंह को वेपंस करियर यानी जोंगा खासा पसंद था। वे इसी में सवारी करते थे। घटना के बाद पुलिस ने इसे जब्त किया था। मालखाने में यह जोंगा, अब कबाड़ में तब्दील हो गया है

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