राजस्थान की राजनीति में भूचाल: सीएम भजनलाल शर्मा और 'ब्राह्मण लॉबी' पर भड़के लोग, सोशल मीडिया पर बढ़ी नाराजगी

राजस्थान की राजनीति में भूचाल - सीएम भजनलाल शर्मा और 'ब्राह्मण लॉबी' पर भड़के लोग, सोशल मीडिया पर बढ़ी नाराजगी
| Updated on: 07-Oct-2025 07:01 PM IST

राजस्थान की राजनीति में नया मोड़: सीएम भजनलाल शर्मा और 'ब्राह्मण लॉबी' पर जनता का पलटवार

जयपुर, 7 अक्टूबर — राजस्थान की राजनीति में रविवार रात से एक नया तूफ़ान खड़ा हो गया है। चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर के खिलाफ चलाए जा रहे पत्रकारों के। अभियान के बीच अब जनता का रुख पूरी तरह बदल गया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर आम नागरिक और कई गैर-ब्राह्मण समुदायों के लोग मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और उनके समर्थन में खड़ी ब्राह्मण पत्रकार लॉबी के खिलाफ मुखर दिखाई दे रहे हैं।

'पर्ची मुख्यमंत्री' पर गहराया विरोध

राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, जिन्हें विरोधी गुट और जनता अब “पर्ची मुख्यमंत्री” के नाम से पुकारने लगे हैं, खुद विवादों के घेरे में आ गए हैं। जनता का आरोप है कि मुख्यमंत्री की छवि बचाने के लिए कुछ तथाकथित “पूजनीय। लॉबी” और पत्रकार मिलकर चिकित्सा मंत्री खींवसर के खिलाफ एकतरफा अभियान चला रहे हैं। लोगों ने सोशल मीडिया पर सवाल उठाए हैं तब सिर्फ एक ही मंत्री को क्यों निशाना बनाया जा रहा है?

जनता का पलटवार: 'पत्रकारों ने समाज तोड़ने की कोशिश की'

कल तक जो पत्रकार सोशल मीडिया पर #ResignGajendraSinghKhinvsar। ट्रेंड करा रहे थे, आज उन्हीं के खिलाफ पूरे राजस्थान की जनता एकजुट दिखाई दे रही है। अब सोशल मीडिया पर #ResignBhajanLalSharma और #BrahminLobbyExposed जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। कई यूजर्स ने आरोप लगाया है कि कुछ ब्राह्मण समाज से जुड़े पत्रकार अपने समाज के मुख्यमंत्री की छवि बचाने के लिए जानबूझकर खींवसर के खिलाफ माहौल बना रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “जब मुख्यमंत्री खुद अपने पद का भार ठीक से नहीं उठा पा रहे, तो बलि का बकरा एक मंत्री को क्यों बनाया जा रहा है? ”


राजनीतिक विश्लेषकों की राय

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की साख को बचाने के लिए जिस तरह एक वर्गीय लॉबी सक्रिय हुई है, उससे जनता में गहरी नाराज़गी है। यह मामला अब केवल मंत्री बनाम पत्रकार नहीं रहा, बल्कि सरकार की निष्पक्षता और जातीय संतुलन का मुद्दा बन गया है। एक वरिष्ठ विश्लेषक ने कहा, “अगर मुख्यमंत्री इस मामले पर जल्द। स्पष्टीकरण नहीं देते, तो यह प्रकरण उनके नेतृत्व पर सवाल खड़ा करेगा। जनता यह मानने लगी है कि वे पर्ची से नहीं, जनता की नब्ज से चुने गए होते तो ऐसे हालात नहीं बनते।

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