Amit Shah News: नेहरू ने वंदे मातरम् के टुकड़े किए, देश भी बंट गया… राज्यसभा में बोले अमित शाह

Amit Shah News - नेहरू ने वंदे मातरम् के टुकड़े किए, देश भी बंट गया… राज्यसभा में बोले अमित शाह
| Updated on: 09-Dec-2025 01:58 PM IST
राज्यसभा में मंगलवार को राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने के अवसर पर एक विशेष चर्चा का आयोजन किया गया। इस महत्वपूर्ण चर्चा की शुरुआत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की, जिन्होंने वंदे मातरम् की ऐतिहासिक और वर्तमान प्रासंगिकता पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह राष्ट्रीय गीत मां भारती के प्रति समर्पण और भक्ति का भाव जगाता है, जो देश के हर नागरिक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

चर्चा का उद्देश्य और महत्व

गृह मंत्री अमित शाह ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि हम सब वंदे मातरम् के यशोगान के लिए यहां एकत्रित हुए हैं। इस चर्चा का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश के किशोर, युवा और आने वाली पीढ़ियां वंदे मातरम् के अमूल्य योगदान को समझ सकें और उन्होंने इस पल को ऐतिहासिक बताया और कहा कि हम सब सौभाग्यशाली हैं कि हमें इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनने का अवसर मिल रहा है। शाह ने इस बात पर भी जोर दिया कि वंदे मातरम् के प्रति समर्पण की आवश्यकता तब भी थी जब यह गीत बना था, आजादी के आंदोलन के दौरान भी थी, आज भी है और 2047 में जब एक महान भारत की रचना होगी, तब भी यह प्रासंगिक रहेगी।

विपक्षी आलोचना का जवाब

अमित शाह ने लोकसभा में कुछ सदस्यों द्वारा वंदे मातरम् पर चर्चा की आवश्यकता पर उठाए गए सवालों का भी जवाब दिया और उन्होंने कहा कि कल मैंने देखा कि कांग्रेस के कई सदस्य वंदे मातरम् की चर्चा को एक राजनीतिक हथकंडा या मुद्दों से ध्यान भटकाने का हथियार मान रहे थे। इस पर शाह ने स्पष्ट किया कि सरकार किसी भी मुद्दे पर चर्चा करने से नहीं डरती और न ही संसद का बहिष्कार करती है और उन्होंने कहा कि अगर संसद का बहिष्कार न किया जाए और सदन को चलने दिया जाए, तो सभी मुद्दों पर चर्चा होगी। उन्होंने दृढ़ता से कहा कि सरकार न तो डरती है और न ही उसके पास कुछ छिपाने को है, और वह किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है।

वंदे मातरम्: समर्पण और भक्ति का प्रतीक

गृह मंत्री ने वंदे मातरम् को एक अमर कृति बताया, जो मां भारती के प्रति समर्पण, भक्ति और कर्तव्य का भाव जागृत करती है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को यह समझ नहीं आ रहा है कि आज वंदे मातरम् पर चर्चा क्यों हो रही है, उन्हें अपनी समझ को नए सिरे से समझने की जरूरत है। शाह ने दोहराया कि यह गीत केवल एक साहित्यिक रचना नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चेतना का एक शक्तिशाली प्रतीक है जो हर भारतीय के हृदय में राष्ट्रप्रेम की भावना को प्रज्वलित करता है। यह गीत हमें अपनी मातृभूमि के प्रति अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की याद दिलाता है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और प्रेरणास्रोत

अमित शाह ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि वंदे मातरम् के रचनाकार बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय भले ही बंगाल में पैदा हुए हों और इस गीत की रचना आनंदमठ में हुई हो, जिसका पृष्ठभूमि भी बंगाल ही था, लेकिन यह गीत केवल बंगाल या देश तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में जहां भी आजादी के दीवाने थे, उन्होंने इसका गुणगान किया और शाह ने एक मार्मिक उदाहरण देते हुए कहा कि जब सरहद पर एक जवान अपने प्राण त्यागता है, तो उसकी जुबान पर अंतिम शब्द अक्सर वंदे मातरम् ही होता है, जो इस गीत की सार्वभौमिक अपील और गहरे भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाता है। गृह मंत्री ने बताया कि 7 नवंबर, 1875 को बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय जी की वंदे मातरम् रचना पहली बार सार्वजनिक हुई।

आरंभ में कुछ लोगों को यह एक उत्कृष्ट साहित्यिक कृति लगी, लेकिन देखते ही देखते यह गीत देशभक्ति, त्याग और राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक बन गया, जिसने भारत के आजादी के आंदोलन का मार्ग प्रशस्त किया और वंदे मातरम् मां भारती को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करने का नारा बना, आजादी के उद्घोष का नारा था, आजादी के संग्राम का प्रेरणास्रोत था और शहीदों के लिए अंतिम बलिदान देते समय अगले जन्म में भी भारत में ही जन्म लेकर फिर से मां भारती के लिए बलिदान देने की प्रेरणा बना था।

राष्ट्र की आत्मा को जगाने वाला मंत्र

शाह ने अपने संबोधन में कहा कि वंदे मातरम् ने उस। राष्ट्र को जागृत किया जो अपनी दिव्य शक्ति को भूल चुका था। इस गीत ने राष्ट्र की आत्मा को जगाने का महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने महर्षि अरविन्द के कथन का भी उल्लेख किया, जिन्होंने कहा था, “वंदे मातरम्, भारत के पुनर्जन्म का मंत्र है। ” यह दर्शाता है कि वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि एक ऐसा उद्घोष है जिसने भारत को उसकी सुप्त शक्ति का स्मरण कराया और उसे स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरित किया। यह गीत आज भी देशवासियों को एकजुट करने और राष्ट्र के प्रति उनके कर्तव्यों को याद दिलाने का कार्य करता है।

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