Bihar Elections 2025: राकेश सिन्हा के दो जगह वोट पर सियासी बवाल: दिल्ली के बाद बिहार में मतदान से उठे सवाल

Bihar Elections 2025 - राकेश सिन्हा के दो जगह वोट पर सियासी बवाल: दिल्ली के बाद बिहार में मतदान से उठे सवाल
| Updated on: 06-Nov-2025 07:02 PM IST
भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राज्यसभा सांसद राकेश कुमार सिन्हा एक बड़े राजनीतिक विवाद के केंद्र में आ गए हैं. उन पर आरोप है कि उन्होंने 10 महीने के भीतर दो अलग-अलग राज्यों – दिल्ली और बिहार – में मतदान किया है. इस खुलासे ने विपक्षी दलों को भाजपा और चुनाव आयोग पर हमला करने का एक नया अवसर दे दिया है, जिससे देश की चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं और यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब विपक्ष पहले से ही चुनाव आयोग और सत्तारूढ़ दल पर 'फर्जी तरीके से वोट चोरी' का आरोप लगा रहा है।

मामले की पृष्ठभूमि और राकेश सिन्हा का मतदान

राकेश कुमार सिन्हा, जो बिहार के बेगूसराय जिले के मूल निवासी हैं, ने 6 नवंबर, 2025 को अपने पैतृक गांव मनसेरपुर (बेगूसराय) में मतदान किया। उन्होंने इस संबंध में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी साझा किया, जिसमें उन्होंने लिखा, 'अपने पैतृक गांव मनसेरपुर (बेगूसराय) में अपना मतदान किया और यह गांव साहेबपुर कमाल विधानसभा के अधीन है। ' इस विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने सतानंद सम्बुधा को उम्मीदवार बनाया है, जबकि एनडीए की तरफ से यह सीट चिराग पासवान की पार्टी (एलजेपी-आर) के खाते में गई है, जिसने सुरेंद्र कुमार को मैदान में उतारा है। हालांकि, इस पोस्ट के तुरंत बाद ही कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने उनके पुराने पोस्ट को सामने लाना शुरू कर दिया, जिससे यह विवाद गहरा गया।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी मतदान

इसी साल की शुरुआत में, फरवरी 2025 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान भी राकेश कुमार सिन्हा ने मतदान किया था। उस समय उन्होंने दिल्ली की द्वारका सीट पर अपना वोट डाला था। उनके द्वारा साझा की गई तस्वीरें और पोस्ट इस बात की पुष्टि करते हैं कि उन्होंने दिल्ली में भी अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। दो अलग-अलग राज्यों में, एक ही व्यक्ति द्वारा इतनी कम अवधि में मतदान करना, जनप्रतिनिधित्व कानून के स्पष्ट उल्लंघन का संकेत देता है, जिसने विपक्ष को इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने का मौका दिया है और यह स्थिति चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और मतदाता सूची के प्रबंधन पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है।

विपक्ष का तीखा हमला और चुनाव आयोग पर सवाल

राकेश सिन्हा के दोहरी मतदान के मामले ने विपक्ष को तुरंत सक्रिय कर दिया। कांग्रेस सोशल मीडिया डिपार्टमेंट की चेयरमैन सुप्रिया श्रीनेते ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सवाल पूछा, 'BJP नेता राकेश सिन्हा ने फरवरी 2025 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में वोट दिया। नवंबर 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव में वोट डाला। यह कौन सी योजना के तहत हो रहा है भाई? ' दिल्ली आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख सौरभ भारद्वाज ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी। भारद्वाज ने अपने पोस्ट में लिखा, 'भाजपा के राज्य सभा सांसद और सबको संस्कार सिखाने वाली RSS के विचारक। राकेश सिंहा जी ने दिल्ली विधान सभा चुनाव में वोट डाला और आज बिहार चुनाव में भी वोट डाला। ' उन्होंने आगे कहा कि सिन्हा दिल्ली यूनिवर्सिटी के मोतीलाल नेहरू कॉलेज में पढ़ाते हैं, इसलिए वे बिहार का पता चाह कर भी नहीं दिखा सकते। भारद्वाज ने भाजपा सरकार पर 'खुल्लम खुल्ला चोरी' करने का आरोप लगाया, जिससे यह मुद्दा और भी गरमा गया है। राजद और कांग्रेस दोनों ने सीधे तौर पर चुनाव आयोग पर निशाना साधा है, यह आरोप लगाते हुए कि आयोग इस तरह की अनियमितताओं को रोकने में विफल रहा है।

जनप्रतिनिधित्व कानून और मतदाता सूची के नियम

भारत में मतदान के नियमों को जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 में विस्तार से बताया गया है। इस कानून के अनुच्छेद-17 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोई भी नागरिक एक साथ दो राज्यों की मतदाता सूची में पंजीकृत नहीं रह सकता है। इसका सीधा अर्थ यह है कि एक व्यक्ति एक साथ दो राज्यों में मतदान नहीं कर सकता है। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है कि प्रत्येक नागरिक केवल एक ही स्थान से अपने मताधिकार का प्रयोग करे और चुनावी प्रक्रिया की अखंडता बनी रहे। चुनाव आयोग का यह प्राथमिक कर्तव्य है कि वह मतदाता सूचियों से डुप्लीकेट एंट्री को हटाए और यह सुनिश्चित करे कि कोई भी व्यक्ति एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत न हो।

चुनाव आयोग की भूमिका और संभावित कार्रवाई

जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत, यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत होता है या दो स्थानों पर मतदान करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है। चुनाव आयोग ऐसे मतदाताओं पर 'डुप्लीकेट एंट्री' के तहत कार्रवाई कर सकता है। हालांकि, इस पूरे मसले पर न तो राकेश सिन्हा ने और न ही चुनाव आयोग ने अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया दी है और चुनाव आयोग की चुप्पी विपक्ष के आरोपों को और बल दे रही है, जिससे जनता के बीच चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को लेकर संदेह बढ़ रहा है। यह मामला चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली और मतदाता सूची के अद्यतन की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े करता है, खासकर ऐसे समय में जब चुनावी पारदर्शिता पर पहले से ही बहस छिड़ी हुई है।

सियासी घमासान और आगामी प्रभाव

राकेश सिन्हा का यह मामला बिहार चुनाव 2025 के बीच एक बड़ा सियासी मुद्दा बन गया है। विपक्ष इसे भाजपा पर हमला करने और चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है और इस विवाद से न केवल राकेश सिन्हा की छवि पर असर पड़ेगा, बल्कि यह भाजपा और चुनाव आयोग के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन गया है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग इस मामले पर क्या प्रतिक्रिया देता है और क्या राकेश सिन्हा के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाती है और यह घटना भारतीय चुनावी प्रणाली में सुधारों और मतदाता सूची के अधिक कठोर प्रबंधन की आवश्यकता को रेखांकित करती है, ताकि भविष्य में इस तरह के विवादों से बचा जा सके और चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता बनी रहे।

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