नहीं रहे पासवान: छह प्रधानमंत्रियों के साथ काम कर चुके भारतीय राजनीति के मौसम वैज्ञानिक नेता रामविलास पासवान का निधन

नहीं रहे पासवान - छह प्रधानमंत्रियों के साथ काम कर चुके भारतीय राजनीति के मौसम वैज्ञानिक नेता रामविलास पासवान का निधन
| Updated on: 08-Oct-2020 09:47 PM IST
नई दिल्ली | भारत में केन्द्रीय राजनीति के मौसम वैज्ञानिक नाम से मशहूर कैबिनेट मिनिस्टर रामविलास पासवान का निधन हो गया है। उनके बेटे चिराग पासवान ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी। पीएम मोदी ने ट्वीट करके कहा है कि मैंने अपना दोस्त खो दिया है। 74 वर्षीय पासवान बीते कुछ समय से बीमार थे और दिल्ली के एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में भर्ती थे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा है कि देश ने एक दूरदर्शी नेता खो दिया है। वे दलितों की आवाज थे और उन्होंने हाशिये पर धकेल दिए गए लोगों की लड़ाई लड़ी। रामविलास पासवान संसद के सबसे अधिक सक्रिय और सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले मेंबर रहे। 

रामविलास पासवान 11 सितंबर को अस्पताल में भर्ती हुए थे। एम्स में 2 अक्टूबर की रात को उनकी हार्ट सर्जरी की गई थी। यह पासवान की दूसरी हार्ट सर्जरी थी। इससे पहले भी उनकी एक बायपास सर्जरी हो चुकी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चिराग पासवान को फोन कर केंद्रीय मंत्री के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी। पासवान देश के छह प्रधानमंत्रियों के साथ काम करने का अनूठा रिकार्ड भी रखते है।

राहुल गांधी ने ट्वीट किया रामविलास पासवान जी के असमय निधन का समाचार दुखद है। ग़रीब-दलित वर्ग ने आज अपनी एक बुलंद राजनैतिक आवाज़ खो दी।

चिराग ने किया भावुक ट्वीट

पिता के निधन के बाद चिराग ने पिता के साथ अपने बचपन की फोटो के साथ एक भावुक ट्वीट किया। उन्होंने लिखा- पापा अब आप इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन मुझे पता है, आप जहां भी हैं, हमेशा मेरे साथ हैं। Miss you Papa...

चिराग के लिए कठिन समय

पासवान की पार्टी लोजपा ने बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ने का फैसला किया है। और, पार्टी के मुखिया रामविलास पासवान चले गए। बीते दो महीने से चिराग अपने पिता के साथ ही रहे। जब से बिहार चुनावों की गहमागहमी शुरू हुई, तब भी चिराग पिता के पास दिल्ली में मौजूद रहे। जब पासवान की तबियत बिगड़नी शुरू हुई, उसके बाद से चिराग किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम में नहीं गए। एक बार दिल्ली के महावीर मंदिर गए। चुनावी सरगर्मी के बावजूद उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा नहीं लिया। इंटरव्यू नहीं दिया और ना मीडिया में बयानबाजी की। लगातार अस्पताल और घर के बीच ही दौड़ते रहे। पार्टी की अहम बैठकों में भी केवल मौजूदगी के लिए पहुंचे। सोशल मीडिया के जरिए समर्थकों को पिता की बीमारी और स्वास्थ्य के बारे में जानकारी भी देते रहे।

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