Rohini Acharya: बिहार चुनाव में हार के बाद लालू परिवार में कलह: रोहिणी आचार्य ने घर छोड़ा, तेजस्वी पर लगाए गंभीर आरोप

Rohini Acharya - बिहार चुनाव में हार के बाद लालू परिवार में कलह: रोहिणी आचार्य ने घर छोड़ा, तेजस्वी पर लगाए गंभीर आरोप
| Updated on: 16-Nov-2025 12:56 PM IST
बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद)। और लालू प्रसाद यादव के परिवार में आंतरिक कलह खुलकर सामने आ गई है। चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद, लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने अपने घर को छोड़ दिया, जिससे राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया और उनके इस कदम ने न केवल परिवार के भीतर चल रहे तनाव को उजागर किया, बल्कि पार्टी के भविष्य को लेकर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं। रोहिणी आचार्य ने अपने घर से निकलने के बाद मीडिया के सामने आकर कई चौंकाने वाले बयान दिए, जिससे लालू परिवार की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।

तेजस्वी यादव पर गंभीर आरोप

रोहिणी आचार्य ने अपने भाई और राजद के प्रमुख नेता तेजस्वी यादव पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें उन्हीं लोगों ने घर से निकाला है, और अब उनका कोई परिवार नहीं है। यह बयान सीधे तौर पर तेजस्वी यादव और परिवार के अन्य सदस्यों की ओर इशारा करता है, जो पार्टी और परिवार के मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और रोहिणी के इन आरोपों ने न केवल परिवार के भीतर की दरार को गहरा किया है, बल्कि यह भी संकेत दिया है कि बिहार चुनाव में मिली हार के बाद परिवार के सदस्यों के बीच जिम्मेदारियों और भविष्य की रणनीति को लेकर गंभीर मतभेद हैं। उनके बयान से यह भी स्पष्ट होता है कि परिवार के भीतर कुछ ऐसे मुद्दे हैं। जिन पर खुलकर बात नहीं की जा रही है, और अब वे सार्वजनिक हो रहे हैं।

'संजय-रमीज' का नाम लेने पर परेशानी

अपने बयानों के दौरान, रोहिणी आचार्य ने 'संजय-रमीज' नाम के व्यक्तियों का उल्लेख किया और कहा कि इन नामों को लेने पर उन्हें परेशान किया जाता है और हालांकि, उन्होंने इन व्यक्तियों की पहचान या उनकी भूमिका के बारे में विस्तार से नहीं बताया, लेकिन उनके इस बयान ने कई अटकलों को जन्म दिया है। यह संभव है कि 'संजय-रमीज' पार्टी के भीतर के ऐसे व्यक्ति हों जो किसी विशेष गुट से जुड़े हों या जिनके पास महत्वपूर्ण प्रभाव हो, और उनके नाम का उल्लेख करने से रोहिणी को आंतरिक रूप से दबाव का सामना करना पड़ रहा हो। यह भी हो सकता है कि ये नाम किसी ऐसे विवाद से जुड़े हों जो परिवार या पार्टी के भीतर चल रहा हो, और रोहिणी इस मुद्दे को सार्वजनिक मंच पर लाना चाहती हों। इस रहस्यमय उल्लेख ने मामले को और अधिक जटिल बना दिया है और जांच की मांग करता है।

परिवार द्वारा बेदखल किए जाने का दर्द

रोहिणी आचार्य ने भावुक होकर कहा कि उनका कोई परिवार नहीं है और उन्हें उन्हीं लोगों ने परिवार से निकाला है। यह बयान उनके गहरे भावनात्मक आघात और परिवार के भीतर महसूस की गई अलगाव की भावना को दर्शाता है और एक ऐसे परिवार में जहां राजनीतिक विरासत और पारिवारिक संबंध गहरे जुड़े हुए हैं, वहां इस तरह का बयान देना एक बड़ी बात है। उन्होंने यह भी कहा कि परिवार के सदस्य जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते हैं, खासकर बिहार चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद। यह आरोप सीधे तौर पर पार्टी के नेतृत्व और निर्णय लेने वाले प्रमुख सदस्यों पर है, जो चुनाव परिणामों की जिम्मेदारी लेने से कतरा रहे हैं। रोहिणी का यह दर्दनाक बयान परिवार के भीतर के संबंधों की नाजुकता और राजनीतिक दबावों के कारण उत्पन्न हुई दरार को दर्शाता है।

पार्टी के खराब प्रदर्शन पर सवाल

बिहार विधानसभा चुनाव में राजद को मिली हार के बाद, रोहिणी आचार्य ने पार्टी के प्रदर्शन पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, "सारी दुनिया सवाल कर रही है कि पार्टी का ऐसा हाल क्यों हुआ है? " यह बयान न केवल पार्टी के भीतर की निराशा को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि रोहिणी आचार्य पार्टी की वर्तमान स्थिति से असंतुष्ट हैं। उनका मानना है कि पार्टी के खराब प्रदर्शन के पीछे कुछ गंभीर कारण हैं जिनकी जांच होनी चाहिए और जिनकी जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। यह सवाल सीधे तौर पर पार्टी के नेतृत्व और उसकी रणनीतियों पर है, खासकर जब तेजस्वी यादव ने चुनाव में पार्टी का नेतृत्व किया था। रोहिणी के इन सवालों ने पार्टी के भीतर आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता को रेखांकित किया है और यह संकेत दिया है कि यदि इन मुद्दों का समाधान नहीं किया गया, तो भविष्य में और भी अधिक आंतरिक कलह देखने को मिल सकती है।

रोहिणी आचार्य ने राजनीति छोड़ने की बात भी कही है, जो उनके। वर्तमान मानसिक स्थिति और परिवार के भीतर के तनाव को दर्शाती है। उनका यह बयान कि 'मेरा कोई परिवार नहीं है' और 'उन्होंने ही मुझे परिवार। से निकाला है' यह स्पष्ट करता है कि वह वर्तमान परिस्थितियों से कितनी आहत हैं। यदि रोहिणी आचार्य वास्तव में राजनीति छोड़ देती हैं, तो यह लालू परिवार के लिए एक और झटका होगा, क्योंकि यह परिवार की एकता और एकजुटता पर सवाल उठाएगा। उनके इस कदम से पार्टी के भीतर भी एक संदेश जाएगा कि। परिवार के सदस्य भी पार्टी की दिशा और नेतृत्व से संतुष्ट नहीं हैं। यह घटना लालू परिवार और राजद के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है, जहां उन्हें न केवल बाहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि अब आंतरिक कलह भी सार्वजनिक हो गई है, जिससे पार्टी की छवि और भविष्य पर गहरा असर पड़ सकता है।

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