India-Russia Relation: 10 लाख भारतीयों को रूस देगा रोजगार, साल के अंत तक है आवेदन का मौका!

India-Russia Relation - 10 लाख भारतीयों को रूस देगा रोजगार, साल के अंत तक है आवेदन का मौका!
| Updated on: 10-Jul-2025 03:20 PM IST

India-Russia Relation: रूस में मजदूरों की कमी को दूर करने के लिए एक अभूतपूर्व फैसला लिया गया है। यूक्रेन युद्ध के कारण रूस में पुरुष कामगारों की कमी और औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिकों की किल्लत को देखते हुए, रूस ने 2025 के अंत तक भारत से 10 लाख कामगारों को बुलाने की योजना बनाई है। उराल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रमुख आंद्रेई बेसेदिन ने बताया कि भारत के साथ इस संबंध में समझौता हो चुका है। उनके भारतीय सहयोगियों ने पुष्टि की है कि 10 लाख भारतीय मजदूर 2025 तक रूस, खासकर स्वेर्दलोव्स्क क्षेत्र, में पहुंच जाएंगे। इसके साथ ही, भारतीय कामगारों की सहायता के लिए स्वेर्दलोव्स्क की राजधानी येकातेरिनबर्ग में एक नया भारतीय दूतावास खोला जाएगा।

स्वेर्दलोव्स्क में भारतीय मजदूरों का योगदान

स्वेर्दलोव्स्क क्षेत्र रूस का एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र है, जहां धातु और मशीनरी से जुड़ी फैक्ट्रियों में कामगारों की भारी कमी है। बेसेदिन के अनुसार, यूक्रेन युद्ध में रूसी पुरुषों की तैनाती और युवाओं का फैक्ट्रियों में काम करने से दूरी बनाना इस कमी का प्रमुख कारण है। ऐसे में भारत के मेहनती और कुशल मजदूर इस खाई को भर सकते हैं। येकातेरिनबर्ग, ट्रांस-साइबेरियन रेलवे के माध्यम से यूरोप और एशिया को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण लॉजिस्टिक्स हब बन रहा है। साथ ही, यह शहर आर्कटिक विकास में भी अहम भूमिका निभा रहा है। भारतीय मजदूरों को यहां धातु और मशीनरी उद्योगों में बड़े अवसर मिलेंगे।

ठंड और खानपान की चुनौतियां

येकातेरिनबर्ग का मौसम भारतीय मजदूरों के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकता है। गर्मियों में तापमान 24 डिग्री सेल्सियस तक रहता है, लेकिन सर्दियों में यह -17 डिग्री तक गिर जाता है। अक्टूबर से अप्रैल तक बर्फ की मोटी चादर बिछी रहती है। अधिकांश भारतीय मजदूर मध्य पूर्व के गर्म मौसम में काम करने के अभ्यस्त हैं, इसलिए रूस की कड़ाके की ठंड उनके लिए नई चुनौती होगी। इसके अलावा, शाकाहारी भोजन पसंद करने वाले मजदूरों के लिए खाने की व्यवस्था भी मुश्किल हो सकती है। हालांकि, भारतीय और अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों के गर्म कपड़े रूस में आसानी से उपलब्ध हैं, जो ठंड से कुछ राहत दे सकते हैं।

भारत के अलावा अन्य देशों से भी मजदूर

रूस केवल भारत पर निर्भर नहीं है। बेसेदिन ने बताया कि श्रीलंका और उत्तर कोरिया से भी कामगार लाने की योजना है। उन्होंने उत्तर कोरियाई मजदूरों की मेहनत की तारीफ की, लेकिन भारतीय और श्रीलंकाई मजदूरों को रूस के माहौल में ढलने में समय लग सकता है। रूस को पहले से ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे पूर्व सोवियत देशों के मजदूरों के साथ काम करने का अनुभव है, जो रूसी भाषा और संस्कृति से परिचित हैं। दक्षिण एशियाई मजदूरों के साथ काम का अनुभव न होने के कारण शुरुआत में कुछ चुनौतियां आ सकती हैं।

पायलट प्रोजेक्ट और ट्रेनिंग की शुरुआत

रूस ने भारतीय मजदूरों को परखने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। मॉस्को की सैमोल्योत ग्रुप नामक कंपनी ने भारतीय निर्माण श्रमिकों को नियुक्त करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। सेंट पीटर्सबर्ग में अब तक 4,000 भारतीयों ने नौकरियों के लिए आवेदन किया है। मॉस्को और कैलिनिनग्राद में कुछ निर्माण स्थलों पर भारतीय मजदूर पहले से ही काम कर रहे हैं। रूस के उद्योगपतियों और व्यवसायियों की यूनियन ने भारत में ट्रेनिंग स्कूल खोलने का प्रस्ताव रखा है, ताकि मजदूरों को रूसी उद्योगों की जरूरतों के अनुसार प्रशिक्षित किया जा सके। रूस के शिक्षा मंत्री सर्गेई क्रावत्सोव ने इस योजना का समर्थन किया है और विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर इसे लागू करने की बात कही है।

भारत-रूस संबंधों को मिलेगा बल

यह कदम भारत और रूस के संबंधों को और मजबूत करेगा। भारत पहले से ही रूस के तेल, गैस, दवा और आईटी क्षेत्रों में निवेश कर रहा है। भारतीय मजदूरों का रूस जाना न केवल वहां की श्रमिक कमी को पूरा करेगा, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था को भी लाभ पहुंचाएगा। मजदूरों की कमाई से भारत की रेमिटेंस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। भारत सरकार भी इस प्रक्रिया में सक्रिय है और अपने नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए रूसी अधिकारियों के साथ समन्वय कर रही है।

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