Luna 25 Mission: रूस का लूना-25 फंसा संकट में, टेक्निकल खामी का शिकार हुआ !

Luna 25 Mission - रूस का लूना-25 फंसा संकट में, टेक्निकल खामी का शिकार हुआ !
| Updated on: 20-Aug-2023 12:17 AM IST
Luna 25 Mission: रूस के मून मिशन लूना-25 में लैंडिंग से पहले तकनीकी खामी आ गई है. रूस की स्पेस एजेंसी रोस्कोमोस ने बताया कि शनिवार को चंद्रमा पर लैंड करने से पहले लूना-25 मिशन की जांच के दौरान ‘इमरजेंसी’ के बारे में पता चला. रोस्कोमोस ने बताया कि स्थानीय समय के मुताबिक, दोपहर 2.10 बजे लूना को ऑर्बिट में भेजने के लिए थ्रस्ट किया गया. इस दौरान ऑटोमैटिक स्टेशन पर इमरजेंसी हालात पैदा हुए. इस वजह से मिशन का मैन्यूवर नहीं हो पाया.

रोस्कोमोस ने बताया कि लूना-25 स्पेसक्राफ्ट ने लैंडिंग के लिए ऑर्बिट में जाने से पहले ‘असामान्य स्थिति’ का सामना किया. लूना-25 स्पेसक्राफ्ट सोमवार को चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड करने वाला है. चंद्रमा के इस हिस्से की ज्यादा जांच नहीं हुई है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस जगह बड़ी मात्रा में पानी बर्फ के रूप में जमा है. इसके अलावा यहां कई कीमती धातु भी मौजूद हैं. रूस लूना-25 मिशन के जरिए 47 साल बाद एक बार फिर से चांद पर लौट रहा है.

खराबी की हो रही जांच

रूसी स्पेस एजेंसी ने एक बयान जारी कर कहा, ‘ऑपरेशन के दौरान ऑटोमैटिक स्टेशन पर असामान्य हालात पैदा हुए. इस वजह से स्पेसिफाइड पैरामीटर के मुताबिक मैन्युवर नहीं हो पाया.’ इसमें बताया गया कि स्पेशलिस्ट लोग फिलहाल हालात का विश्लेषण कर रहे हैं. स्पेस एजेंसी की तरफ से इसके अलावा कोई और जानकारी नहीं दी गई है. लूना-25 मिशन को 11 अगस्त को लॉन्च किया गया. अगर सबकुछ ठीक रहता है, तो स्पेसक्राफ्ट 22 अगस्त को चांद पर लैंड करेगा.

लूना-25 ने खीचीं क्रेटर की तस्वीर

रोस्कोमोस ने इससे पहले बताया कि लूना-25 स्पेसक्राफ्ट से पहले रिजल्ट उन्हें मिल चुके हैं और उनका विश्लेषण किया जा रहा है. स्पेसक्राफ्ट ने चंद्रमा के जीमान क्रेटर की तस्वीर भी खीचीं, जिसे स्पेस एजेंसी की तरफ से जारी किया गया. रोस्कोमोस ने बताया कि चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्द्ध में मौजूद ये तीसरा सबसे गहरा क्रेटर है. इसका व्यास 190 किलोमीटर है, जबकि इसकी गहराई आठ किलोमीटर है.

स्पेस एजेंसी ने बताया कि अब तक हासिल हुए डेटा से चंद्रमा की मिट्टी में रासायनिक तत्वों के बारे में जानकारी मिली है. लूना-25 मिशन बुधवार को चंद्रमा के ऑर्बिट में एंटर किया. 1976 के बाद पहली बार किसी रूसी स्पेसक्राफ्ट ने ऐसा किया है.

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