गुर्जर आरक्षण: भरतपुर में धारा-144 लागू, शांति व्यवस्था बिगाड़ने वालों पर रासुका लगाने का आदेश

गुर्जर आरक्षण - भरतपुर में धारा-144 लागू, शांति व्यवस्था बिगाड़ने वालों पर रासुका लगाने का आदेश
| Updated on: 31-Oct-2020 03:41 PM IST

बैकलॉग एवं प्रक्रियाधीन भर्तियों में 5 प्रतिशत आरक्षण समेत 6 सूत्रीय मांगों को लेकर 1 नवंबर से गुर्जर समाज ने आंदोलन की चेतावनी दी है। इसके चलते अब आरक्षण आंदोलन को लेकर प्रशासन भी अलर्ट नजर रहा। भरतपुर में धारा 144 लागू कर दी गई है। वहीं, भरतपुर जिले के बयाना में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। पुलिस बल की कंपनियां बयाना पहुंच रही हैं। वहीं, इस बीच गुर्जर नेताओं के दल और सरकार के बीच जयपुर में बातचीत भी होनी है।

भरतपुर के बयाना में जीआरपी के 50 और आरपीएफ के 150 जवान पहुंच चुके हैं। बयाना, रूपवास, बैर, भुसावर और जेन तहसीलों में इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गई है। शांति व्यवस्था को प्रभावित करने वाले लोगों पर रासुका लगाने के आदेश दिए गए हैं। भरतपुर, धौलपुर, दौसा, करौली, सवाई माधोपुर, टोंक, बूंदी, झालावाड़ कलेक्टर्स को गृह विभाग द्वारा आदेश दिए गए हैं।

गुर्जर आरक्षण आंदोलन 2020: कब-कब, क्या हुआ

  • मलारनाडूंगर में गुर्जर समाज की बैठक हुई। इसमें 17 अक्टूबर को महापंचायत करने का निर्णय लिया गया था
  • अक्टूबर में हिंडौन स्थित कर्नल बैसला के निवास पर गुर्जर समाज के प्रमुख लोगों की बैठक में महापंचायत का स्थान परिवर्तन करते हुए 17 अक्टूबर को पीलूपुरा के अड्डा गांव में करने का निर्णय लिया गया।
  • गुर्जरों की ओर से आंदोलन के लिए महापंचायत को लेकर वार्ता का न्यौता लेकर 16 अक्टूबर की रात कर्नल बैंसला के घर आए थे आईएएस नीरज के पवन।
  • 17 अक्टूबर को अड्डा गांव में हुई महापंचायत में कर्नल बैसला ने रबी फसल में व्यस्तता के कारण लोगों की राय जानने के बाद सरकार को फिर से दिया था 15 दिन का अल्टीमेटम, एक नवंबर को प्रदेश जाम करने की दी थी चेतावनी
  • 27 अक्टूबर को सरकार से वार्ता का न्यौता लेकर आए आईएएस नीरज के पवन सहित चार अधिकारियों ने की थी कर्नल बैंसला से मुलाकात, लेकिन वार्ता का प्रस्ताव ठुकराया।
  • 28 अक्टूबर मोरोली में 36 गांव के पंच-पटेलों की बैठक कर 1 नवंबर को पीलूपुरा शहीद स्थल पर अधिकाधिक लोगों के जुटने का आह्वान कर आंदोलन करने का निर्णय लिया गया।

क्या है रासुका कानून

ये कानून राष्ट्रीय सुरक्षा में बाधा डालने वालों पर नकेल डालने के लिए हैं। अर्थात, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980 देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित एक कानून है। सरकार को लगता कि कोई व्यक्ति कानून-व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में बाधा खड़ी कर रहा है तो वह उसे एनएसए के तहत गिरफ्तार करने का आदेश दे सकती है। अगर उसे लगे कि वह व्यक्ति आवश्यक सेवा की आपूर्ति में बाधा बन रहा है तो वह उसे भी इस कानून में गिरफ्तार करवा सकती है। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून NSA 23 सितंबर, 1980 को इंदिरा गांधी की सरकार के कार्यकाल में अस्तित्व में आया था।

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।