Paetongtarn Shinawatra: थाईलैंड की निलंबित PM शिनवात्रा निकलीं सियासी खिलाड़ी, खेला ये दांव

Paetongtarn Shinawatra - थाईलैंड की निलंबित PM शिनवात्रा निकलीं सियासी खिलाड़ी, खेला ये दांव
| Updated on: 03-Jul-2025 03:20 PM IST

Paetongtarn Shinawatra: थाईलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री पैटोंगतर्न शिनावात्रा भले ही अपना पीएम पद गंवा चुकी हों, लेकिन सत्ता के शतरंज में उनकी चालें अभी खत्म नहीं हुई हैं। गुरुवार को उन्होंने नए कैबिनेट मंत्रियों के साथ संस्कृति मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब वह कंबोडियाई नेता के साथ विवादास्पद बातचीत को लेकर एक गंभीर एथिक्स जांच का सामना कर रही हैं। यह घटनाक्रम थाईलैंड की राजनीति में एक नया मोड़ लाता है, जहां सत्ता, नैतिकता और जनता की नजरों का तालमेल चर्चा का केंद्र बना हुआ है।

विवाद की जड़: कंबोडिया से बातचीत

पैटोंगतर्न के खिलाफ विवाद तब शुरू हुआ, जब मई में थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा पर तनावपूर्ण झड़प हुई। इस झड़प में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हो गई, जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया। इसी बीच, पैटोंगतर्न और कंबोडिया के पूर्व नेता हून सेन के बीच हुई एक फोन कॉल लीक हो गई। इस कॉल में पैटोंगतर्न ने कंबोडिया के साथ सुलह की कोशिश की थी, लेकिन थाई जनता ने इसे राष्ट्रीय हितों के साथ समझौता और कमजोरी के रूप में देखा।

लीक्ड कॉल में पैटोंगतर्न की बातचीत को कई लोगों ने थाईलैंड की संप्रभुता और साख को नुकसान पहुंचाने वाला माना। इसके बाद उनके खिलाफ एथिक्स उल्लंघन की याचिका दायर की गई, जिसमें उन पर राष्ट्रीय हितों की अनदेखी का आरोप लगाया गया। यह मामला थाईलैंड की संवैधानिक अदालत में पहुंचा, जिसने सर्वसम्मति से इसे सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया और 7-2 के वोट से उन्हें तत्काल प्रभाव से प्रधानमंत्री पद से निलंबित कर दिया।

सस्पेंशन से संस्कृति मंत्रालय तक

मंगलवार को पैटोंगतर्न को प्रधानमंत्री पद से सस्पेंड कर दिया गया, लेकिन उसी दिन थाई राजा महा वजिरालोंगकोर्न ने नई कैबिनेट को मंजूरी दी, जिसमें पैटोंगतर्न को संस्कृति मंत्री के रूप में शामिल किया गया। यह कदम उनके लिए एक रणनीतिक वापसी का संकेत देता है, भले ही यह पहले जैसी ताकतवर भूमिका न हो। थाईलैंड में संस्कृति मंत्रालय को कला, विरासत और सांस्कृतिक संरक्षण की जिम्मेदारी दी जाती है, लेकिन यह रक्षा, विदेश नीति या आर्थिक मामलों जैसे प्रभावशाली मंत्रालयों की तुलना में सीमित अधिकारों वाला माना जाता है।

पैटोंगतर्न का यह नया रोल उनके लिए एक तरह का "सॉफ्ट लैंडिंग" है। यह उन्हें सरकार में बनाए रखता है, लेकिन उनकी शक्ति और प्रभाव को काफी हद तक सीमित करता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह नियुक्ति उनके समर्थकों को यह संदेश देती है कि वह अभी भी सत्ता के दायरे में हैं, जबकि उनके विरोधियों के लिए यह एक संकेत है कि उनकी ताकत अब पहले जैसी नहीं रही।

शपथ समारोह और सवालों से दूरी

गुरुवार को पैटोंगतर्न मुस्कुराते हुए गवर्नमेंट हाउस पहुंचीं और नई कैबिनेट के साथ शपथ ली। इस दौरान कार्यवाहक प्रधानमंत्री सुरिया जुंगरुंगरेंगकित ने कैबिनेट को राजा से औपचारिक अनुमोदन दिलाया। हालांकि, शपथ समारोह के बाद पैटोंगतर्न ने मीडिया के सवालों से दूरी बनाए रखी। उनके इस रवैये ने उन अटकलों को और हवा दी कि वह अपनी स्थिति को लेकर सतर्क हैं और कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रही हैं।

कोर्ट का फैसला: क्या होगा अगला कदम?

संवैधानिक अदालत ने पैटोंगतर्न को 15 दिनों के भीतर एथिक्स उल्लंघन के आरोपों पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले में कोर्ट का फैसला न केवल पैटोंगतर्न के राजनीतिक भविष्य को तय करेगा, बल्कि थाईलैंड की राजनीति में भी व्यापक प्रभाव डालेगा। अगर कोर्ट उनके खिलाफ फैसला सुनाती है, तो उनकी कैबिनेट में मौजूदगी भी खतरे में पड़ सकती है। वहीं, अगर वह इस जांच से बच निकलती हैं, तो यह उनके लिए एक बड़ी राजनीतिक जीत होगी।

थाईलैंड की राजनीति में शिनावात्रा का प्रभाव

पैटोंगतर्न शिनावात्रा थाईलैंड की राजनीति में एक प्रभावशाली नाम रही हैं। उनके परिवार का राजनीतिक इतिहास विवादों और सत्ता के उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। उनके पिता थाकसिन शिनावात्रा भी पूर्व में थाईलैंड के प्रधानमंत्री रह चुके हैं और उनके शासनकाल में भी कई विवाद सामने आए थे। पैटोंगतर्न की यह नई भूमिका उनके परिवार की राजनीतिक विरासत को जीवित रखने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है, भले ही वह अब पहले जैसी ताकतवर स्थिति में न हों।

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