Iran-Israel Conflict: इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष सातवें दिन और अधिक उग्र हो गया है। इस युद्ध की चपेट में अब केवल दोनों देश ही नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति भी आ गई है। पूरी दुनिया में इस संघर्ष को लेकर बेचैनी है, और महाशक्तियां अब खुलकर अपनी भूमिका निभा रही हैं। इसी कड़ी में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से टेलीफोन पर बातचीत की है।
रूसी राष्ट्रपति के सहायक यूरी उशाकोव ने जानकारी दी है कि दोनों नेताओं ने इजरायल के ताजा हमलों पर गहरी चिंता जताई है। पुतिन और जिनपिंग दोनों ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उल्लंघन के रूप में इजरायल की कार्रवाई की निंदा की। बातचीत में यह सहमति बनी कि मध्य पूर्व की स्थिति का समाधान सैन्य बल से नहीं बल्कि कूटनीतिक तरीकों से किया जाना चाहिए। यह बयान इस बात को दर्शाता है कि रूस और चीन इस मसले पर एक समान रुख अपना रहे हैं।
इस रणनीतिक बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने 2 सितंबर को चीन में एक उच्च स्तरीय बैठक करने पर सहमति जताई। यह बैठक रूस-चीन द्विपक्षीय संबंधों को और गहराई देने के उद्देश्य से होगी। इसके साथ ही G7 शिखर सम्मेलन के परिणामों पर भी चर्चा हुई, जिसमें दोनों नेताओं ने सम्मेलन में भाग लेने वाले नेताओं के मतभेदों को लेकर विशेष चिंता व्यक्त की। उशाकोव के अनुसार, यह सम्मेलन यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की के लिए “सबसे असफल” विदेश यात्राओं में से एक साबित हुआ।
इजरायल ने बृहस्पतिवार को ईरान के अराक भारी जल रिएक्टर पर हमला कर दुनिया को चौंका दिया। इस संयंत्र को नुकसान पहुंचा है, हालांकि ईरानी सरकारी टीवी का दावा है कि कोई रेडिएशन रिसाव नहीं हुआ। इजरायल ने हमले से पहले ही चेतावनी दी थी और लोगों को क्षेत्र खाली करने को कहा था। इससे पहले भी इजरायल ने ईरान के कई गुप्त परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमले किए हैं।
इजरायली हमले के जवाब में ईरान ने भी जबरदस्त पलटवार किया। बृहस्पतिवार को ईरान ने इजरायल के चार शहरों – तेल अवीव, बीर्शेबा, रमत गान और होलोन – पर मिसाइल हमले किए। सबसे गंभीर हमला तेल अवीव में हुआ, जहां हाईराइज इमारतों को भारी नुकसान पहुंचा। रिपोर्ट के अनुसार, सात मिसाइलें अलग-अलग इलाकों में गिरीं। बीर्शेबा में एक मिसाइल एक अस्पताल पर गिरी, जबकि ईरान ने इजरायली स्टॉक एक्सचेंज को उड़ाने का भी दावा किया है।
इजरायल-ईरान युद्ध अब एक क्षेत्रीय संघर्ष नहीं रहा। इसमें रूस, चीन, अमेरिका और अन्य वैश्विक ताकतें कूटनीतिक या वैचारिक रूप से शामिल हो चुकी हैं। यह टकराव न केवल पश्चिम एशिया बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी बड़ा खतरा बनता जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों से उम्मीद की जा रही है कि वे जल्द ही स्थिति को नियंत्रित करने के लिए ठोस पहल करें।