Trump-Netanyahu Meeting: नेतन्याहू से मुलाकात पर ट्रंप की तारीफ: 'गलत प्रधानमंत्री होता तो इजराइल नहीं बचता'

Trump-Netanyahu Meeting - नेतन्याहू से मुलाकात पर ट्रंप की तारीफ: 'गलत प्रधानमंत्री होता तो इजराइल नहीं बचता'
| Updated on: 30-Dec-2025 07:55 AM IST
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फ्लोरिडा के मार-ए-लागो में. इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की. इस मुलाकात के दौरान, ट्रंप ने नेतन्याहू के नेतृत्व के प्रति अपना मजबूत समर्थन व्यक्त किया और इजराइल के अस्तित्व के लिए उनके महत्व पर जोर दिया. ट्रंप ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर इजराइल के पास 'गलत प्रधानमंत्री' होता, तो इजराइल का अस्तित्व ही नहीं होता और यह बयान नेतन्याहू के प्रति उनके गहरे सम्मान और उनके नेतृत्व में इजराइल की सुरक्षा को लेकर उनकी दृढ़ आस्था को दर्शाता है. यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब मध्य पूर्व में कई भू-राजनीतिक चुनौतियां बनी हुई हैं, और दोनों नेताओं के बीच यह संवाद क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है. ट्रंप ने इस मुलाकात को एक 'बहुत अच्छा ग्रुप' बताया और कहा कि उन्होंने पहले ही 'काफी प्रोग्रेस' कर ली है, जिससे यह संकेत मिलता है कि चर्चाएं सकारात्मक और फलदायी रही हैं और उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्होंने पहले ही तीन मुश्किलों को सुलझा लिया है, जो उनकी त्वरित निर्णय लेने की क्षमता और कूटनीतिक प्रभाव को दर्शाता है.

नेतन्याहू के नेतृत्व की ट्रंप द्वारा प्रशंसा

यह बैठक फ्लोरिडा के पाम बीच में स्थित डोनाल्ड ट्रंप के मार-ए-लागो क्लब में हुई, जो अक्सर महत्वपूर्ण राजनीतिक वार्ताओं का केंद्र रहा है. इस मुलाकात में दोनों वैश्विक नेताओं ने कई संवेदनशील और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की और इनमें गाजा में सीज़फायर की स्थिति, ईरान से जुड़े खतरे और लेबनानी समूह हिजबुल्लाह की गतिविधियां शामिल थीं. इन विषयों पर बातचीत इजराइल की सुरक्षा चिंताओं को सीधे संबोधित करती है, जो नेतन्याहू के नेतृत्व में इजराइल की विदेश नीति का एक केंद्रीय स्तंभ रहा है. ट्रंप ने इस बैठक को 'बहुत अच्छा ग्रुप' बताते हुए कहा कि उन्होंने पहले ही काफी प्रगति कर ली है, जिससे यह संकेत मिलता है कि दोनों पक्षों के बीच महत्वपूर्ण सहमति बनी है. यह मुलाकात एक दिन पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के साथ ट्रंप की बैठक के बाद हुई थी, जो वैश्विक कूटनीति में ट्रंप की सक्रिय भागीदारी को उजागर करता है.

डोनाल्ड ट्रंप ने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के प्रति अपना अटूट समर्थन और प्रशंसा व्यक्त की. उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि अगर इजराइल के पास गलत प्रधानमंत्री होता, तो इजराइल का अस्तित्व ही नहीं होता. यह बयान नेतन्याहू की नेतृत्व क्षमता और इजराइल की सुरक्षा सुनिश्चित करने में उनकी भूमिका पर ट्रंप के विश्वास को दर्शाता है. ट्रंप ने नेतन्याहू को एक मजबूत और सक्षम नेता के रूप में. प्रस्तुत किया, जो इजराइल को उसके दुश्मनों से बचाने के लिए आवश्यक है. यह प्रशंसा ऐसे समय में आई है जब इजराइल को अपने क्षेत्रीय विरोधियों से लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, और एक मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही है और ट्रंप का यह समर्थन नेतन्याहू के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक बढ़ावा भी माना जा सकता है, जो अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनकी स्थिति को और मजबूत करता है.

तीन मुश्किलों को सुलझाने का दावा

ट्रंप ने मीडिया से बात करते हुए दावा किया कि उनकी करीब पांच मिनट की मीटिंग हुई और उन्होंने पहले ही तीन मुश्किलों को सुलझा लिया है. हालांकि इन 'तीन मुश्किलों' का विस्तृत विवरण नहीं दिया गया, लेकिन यह बयान ट्रंप की कूटनीतिक शैली और त्वरित परिणाम प्राप्त करने की उनकी इच्छा को दर्शाता है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि एक दिन पहले वह यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की से मिले थे, जिससे यह संकेत मिलता है कि ट्रंप विभिन्न वैश्विक संकटों में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं. इन मुश्किलों का समाधान, जैसा कि ट्रंप ने दावा किया, इजराइल और उसके सहयोगियों के लिए. महत्वपूर्ण हो सकता है, खासकर गाजा, ईरान और हिजबुल्लाह से संबंधित मौजूदा तनावों को देखते हुए. यह दावा उनकी कूटनीतिक क्षमता पर उनके आत्मविश्वास को भी दर्शाता है.

गाजा में सीज़फायर और हमास को निहत्था करने की शर्त

ट्रंप और नेतन्याहू के बीच बातचीत के प्रमुख बिंदुओं में से एक गाजा में सीज़फायर की स्थिति थी. ट्रंप ने कहा कि वह इजराइल और हमास के बीच सीज़फायर डील के दूसरे स्टेज में जल्द से जल्द आगे बढ़ना चाहते हैं, लेकिन साथ ही उन्होंने एक महत्वपूर्ण शर्त भी रखी: हमास को निहत्था करना होगा. यह शर्त इजराइल की सुरक्षा चिंताओं को सीधे संबोधित करती है, क्योंकि हमास के पास हथियार होने से क्षेत्र में अस्थिरता बनी रहती है. अक्टूबर में, दोनों पक्ष सीज़फायर पर सहमत हुए थे, जिसके तहत इजराइल गाजा के इलाके से पीछे हट गया था और हमास ने अपने हथियार छोड़कर और शासन की भूमिका छोड़कर सरेंडर कर दिया था और इस पहले स्टेज के सीज़फायर में इजराइल की थोड़ी वापसी, सहायता में बढ़ोतरी और बंधकों के बदले फिलिस्तीनी बंदियों और कैदियों की अदला-बदली शामिल थी. ट्रंप का जोर है कि दूसरे स्टेज में जाने से पहले हमास का पूर्ण निहत्थाकरण आवश्यक है, ताकि भविष्य में किसी भी तरह के संघर्ष की संभावना को कम किया जा सके और इजराइल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. यह मांग एक स्थायी शांति समझौते की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो क्षेत्र में दीर्घकालिक स्थिरता लाने का प्रयास करती है.

ईरान और हिजबुल्लाह पर इजराइल की चिंताएं

बैठक में इजराइल की ईरान और लेबनानी समूह हिजबुल्लाह को लेकर चिंताओं पर भी विस्तार से चर्चा हुई. ये दोनों इजराइल की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण खतरे माने जाते हैं. ईरान का परमाणु कार्यक्रम और क्षेत्र में उसके प्रॉक्सी समूहों का समर्थन, जिसमें हिजबुल्लाह भी शामिल है, इजराइल के लिए लगातार चिंता का विषय रहा है. ट्रंप ने नेतन्याहू के साथ इन मुद्दों पर बातचीत की, जो दर्शाता है कि अमेरिका इन खतरों को गंभीरता से लेता है. पिछले एक साल में, वाशिंगटन ने इजराइल और हमास, इजराइल और ईरान, और इजराइल और लेबनान के बीच कुल तीन सीज़फायर करवाए हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका क्षेत्रीय संघर्षों को कम करने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है. इन वार्ताओं का उद्देश्य इजराइल की सुरक्षा को मजबूत करना और क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना है, जबकि ईरान और हिजबुल्लाह जैसे तत्वों से उत्पन्न होने वाले खतरों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना है. नेतन्याहू के साथ ट्रंप की मुलाकात इन जटिल भू-राजनीतिक चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए एक साझा दृष्टिकोण विकसित करने के महत्व को रेखांकित करती है.

सीज़फायर के पहले चरण की सफलता

अक्टूबर में हुए सीज़फायर के पहले चरण में कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की गई थीं. इस समझौते के तहत, इजराइल गाजा के कुछ इलाकों से पीछे हट गया था, जिससे तनाव कम करने में मदद मिली. इसके अलावा, मानवीय सहायता में बढ़ोतरी की गई, जो गाजा पट्टी में रहने वाले लोगों के लिए अत्यंत आवश्यक थी. सीज़फायर के इस चरण में बंधकों के बदले फिलिस्तीनी बंदियों और कैदियों की. अदला-बदली भी शामिल थी, जो दोनों पक्षों के लिए एक संवेदनशील मुद्दा था. इन कदमों ने संघर्ष को अस्थायी रूप से शांत करने और आगे की बातचीत के लिए एक आधार तैयार करने में मदद की और ट्रंप ने इस प्रगति को स्वीकार किया और अब दूसरे चरण की ओर बढ़ने की इच्छा व्यक्त की, जिसमें हमास के निहत्थाकरण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. यह दर्शाता है कि पहले चरण की सफलता ने भविष्य की वार्ताओं के लिए एक सकारात्मक माहौल बनाया है, लेकिन स्थायी शांति के लिए अभी भी महत्वपूर्ण बाधाएं मौजूद हैं जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है.

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