Trump Tariff War: भारत के अमीरों पर ट्रंप का कहर, दिग्गजों को चुकानी पड़ी भारी कीमत

Trump Tariff War - भारत के अमीरों पर ट्रंप का कहर, दिग्गजों को चुकानी पड़ी भारी कीमत
| Updated on: 14-Apr-2025 04:37 PM IST

Trump Tariff War: डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक टैरिफ नीतियों का असर सिर्फ चीन या यूरोप के अरबपतियों तक ही सीमित नहीं रहा है। इसकी गूंज अब भारत समेत दुनिया भर के बड़े उद्योगपतियों की दौलत में साफ दिखाई देने लगी है। साल 2025 में ट्रंप की वापसी के बाद से वैश्विक व्यापार में अस्थिरता और निवेशकों के बीच चिंता का माहौल बना हुआ है। इसका सीधा असर भारतीय शेयर बाजार और देश के शीर्ष उद्योगपतियों की संपत्ति पर पड़ा है।

2025 में भारत के अरबपतियों की संपत्ति में 30.5 बिलियन डॉलर की गिरावट

साल की शुरुआत से ही भारत के प्रमुख उद्योगपतियों की कुल संपत्ति में करीब 30.5 बिलियन डॉलर (लगभग 2.6 लाख करोड़ रुपये) की गिरावट आई है। यह गिरावट न केवल स्टॉक मार्केट में भारी करेक्शन का संकेत देती है, बल्कि यह दर्शाती है कि भारत भी ट्रंप की नीतियों से अछूता नहीं है।

किस अरबपति को कितना नुकसान?

  • मुकेश अंबानी: भारत के सबसे अमीर व्यक्ति अंबानी की नेटवर्थ में 3.42 बिलियन डॉलर की गिरावट आई है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर स्थिर रहे, लेकिन जियो फाइनेंशियल सर्विसेज में 24% की गिरावट ने नुकसान को बढ़ाया।

  • गौतम अडानी: अडानी की संपत्ति में 6.05 बिलियन डॉलर की गिरावट आई है। अडानी एंटरप्राइजेज जैसे प्रमुख स्टॉक्स में लगभग 9% की गिरावट दर्ज की गई है।

  • शिव नादर: इस साल 10.5 बिलियन डॉलर की सबसे बड़ी गिरावट एचसीएल टेक्नोलॉजीज के फाउंडर शिव नादर को झेलनी पड़ी। आईटी सेक्टर में मंदी और निवेशकों के अस्थिर व्यवहार इसके पीछे प्रमुख कारण रहे।

  • सावित्री जिंदल: जिंदल ग्रुप की चेयरपर्सन सावित्री जिंदल की संपत्ति में 2.4 बिलियन डॉलर की गिरावट दर्ज हुई है।

  • दिलीप सांघवी: फार्मा दिग्गज और सन फार्मा के संस्थापक को इस साल 3.34 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। फार्मास्युटिकल सेक्टर में रेगुलेटरी दबाव और प्रतिस्पर्धा ने प्रदर्शन को कमजोर किया।

  • अजीम प्रेमजी: भले ही प्रेमजी अब सक्रिय रूप से कारोबार से जुड़े नहीं हैं, लेकिन विप्रो के कमजोर प्रदर्शन का असर उनकी संपत्ति पर पड़ा है।

गिरावट की प्रमुख वजहें

  1. विदेशी निवेशकों की बिकवाली: हाई वैल्यूएशन के चलते एफआईआई ने भारतीय शेयरों से दूरी बना ली है, जिससे बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया।

  2. ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी: वैश्विक व्यापार तनाव बढ़ा, जिससे निवेशकों का भरोसा डगमगाया और भारत जैसे उभरते बाजारों में जोखिम बढ़ा।

  3. भूराजनीतिक अनिश्चितता: रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-ताइवान विवाद जैसे मुद्दों ने वैश्विक बाजारों में अस्थिरता को और गहरा किया।

  4. घरेलू आर्थिक चुनौतियां: सुस्त औद्योगिक उत्पादन, ग्रामीण मांग में गिरावट और महंगाई ने भारत की ग्रोथ को प्रभावित किया।

शेयर बाजार में व्यापक गिरावट

  • सेंसेक्स और निफ्टी: अब तक 4.5% की गिरावट।

  • बीएसई मिडकैप: 14% की गिरावट।

  • स्मॉलकैप इंडेक्स: 17% की गिरावट।

आगे की राह

फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटकर 6.6% हो गया है, जो पहले 7% था। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि अगर घरेलू मांग में सुधार होता है, मुद्रास्फीति नियंत्रित होती है और सरकार नीतिगत स्थिरता बनाए रखती है, तो बाजारों में धीरे-धीरे रिकवरी देखी जा सकती है।

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