India-UK Trade Deal: गुरुवार को भारत और ब्रिटेन ने एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए, जिसे व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (CETA) नाम दिया गया है। यह समझौता दोनों देशों के बीच तीन साल की गहन बातचीत का परिणाम है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर की उपस्थिति में लंदन में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता न केवल व्यापार को बढ़ावा देगा, बल्कि दोनों देशों के बीच साझा समृद्धि, निवेश और रोजगार सृजन को भी गति देगा।
इस समझौते का लक्ष्य 2030 तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को 120 अरब डॉलर तक बढ़ाना है। भारतीय निर्यात पर 99% और ब्रिटिश उत्पादों पर 90% शुल्क में कटौती की गई है। इससे दोनों देशों के उपभोक्ताओं को सस्ते और गुणवत्तापूर्ण उत्पाद मिलेंगे। इसके साथ ही, "यूके-भारत विजन 2035" भी लॉन्च किया गया, जो तकनीक, रक्षा, जलवायु, शिक्षा और लोगों के बीच संपर्क को मजबूत करने का रोडमैप है।
95% से अधिक कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों पर शून्य शुल्क: फल, सब्जियां, अनाज, हल्दी, काली मिर्च, इलायची, मैंगो पल्प, अचार और दालें अब बिना शुल्क के ब्रिटेन में निर्यात होंगी।
20% निर्यात वृद्धि की उम्मीद: अगले तीन वर्षों में भारत का कृषि निर्यात 20% बढ़ सकता है, जो 2030 तक 100 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
नई फसलों का निर्यात: कटहल, बाजरा और जैविक जड़ी-बूटियों जैसे उत्पादों को ब्रिटेन के बाजार में नए अवसर मिलेंगे।
मछली पालन को बढ़ावा: आंध्र प्रदेश, ओडिशा, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों को ब्रिटेन के 5.4 अरब डॉलर के समुद्री बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने का मौका मिलेगा।
शुल्क मुक्त निर्यात: झींगे, टूना मछली और फिशमील पर पहले लगने वाला 4.2%-8.5% शुल्क अब समाप्त हो गया है।
बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि: भारत की 2.25% हिस्सेदारी बढ़ने की संभावना है, जिससे मछुआरों की आय में वृद्धि होगी।
शुल्क मुक्त पहुंच: कॉफी, चाय और मसालों का निर्यात बढ़ेगा, विशेष रूप से इंस्टेंट कॉफी को यूरोपीय बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलेगा।
1,143 उत्पाद श्रेणियों पर शून्य शुल्क: रेडीमेड गारमेंट्स, होम टेक्सटाइल, कालीन और हस्तशिल्प को लाभ होगा।
बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि: अगले 1-2 वर्षों में ब्रिटेन में भारत की हिस्सेदारी 5% तक बढ़ सकती है।
18% शुल्क समाप्त: इलेक्ट्रिक मशीनरी, ऑटो पार्ट्स और औद्योगिक मशीनरी पर शुल्क हटाया गया।
निर्यात में दोगुनी वृद्धि: अगले पांच वर्षों में इंजीनियरिंग निर्यात 7.5 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स में वृद्धि: स्मार्टफोन, ऑप्टिकल फाइबर और इन्वर्टर जैसे उत्पादों को शुल्क मुक्त पहुंच मिलेगी।
जेनरिक दवाओं को बढ़ावा: सर्जिकल उपकरण, एक्स-रे मशीन और ईसीजी मशीन जैसे उपकरणों पर शुल्क समाप्त।
निर्यात में वृद्धि: सस्ती भारतीय दवाइयों की मांग ब्रिटेन में बढ़ेगी।
दोगुना निर्यात: वर्तमान 941 मिलियन डॉलर का निर्यात अगले 2-3 वर्षों में दोगुना हो सकता है।
16% शुल्क समाप्त: आगरा, कानपुर, कोल्हापुर और चेन्नई जैसे केंद्रों को लाभ होगा।
बाजार में मांग बढ़ेगी: सस्ते जूते और चमड़ा उत्पादों की मांग बढ़ेगी।
90% उत्पादों पर शुल्क में कटौती: ब्रिटिश उपभोक्ताओं के लिए भारतीय कपड़े, टेक्सटाइल और अन्य उत्पाद सस्ते होंगे।
11 अरब पाउंड का आयात: भारतीय उत्पादों पर शुल्क छूट से ब्रिटिश उपभोक्ताओं और व्यवसायों को लाभ होगा।
नौकरियों का सृजन: हजारों नई नौकरियां पैदा होंगी, जिससे आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
ब्रिटिश उत्पादों पर शुल्क में कमी: औसत आयात शुल्क 15% से घटकर 3% हो जाएगा।
स्कॉच व्हिस्की: 150% शुल्क घटकर 75% और अगले 10 वर्षों में 40% हो जाएगा।
इलेक्ट्रिक वाहन: 110% शुल्क घटकर 10% हो जाएगा (कोटा के अंतर्गत)।
अन्य उत्पाद: कॉस्मेटिक्स, चॉकलेट, बिस्किट, लैम्ब, सैल्मन मछली, सॉफ्ट ड्रिंक्स और चिकित्सा उपकरण सस्ते होंगे।
भारतीय पेशेवरों के लिए अवसर: प्रोजेक्ट विशेषज्ञ, योग प्रशिक्षक, शेफ और संगीतकारों के लिए ब्रिटेन में काम करना आसान होगा।
आईटी पेशेवरों को लाभ: 60,000 से अधिक पेशेवरों को हर साल लाभ होगा।
नवाचार को बढ़ावा: नई तकनीकों और अनुसंधान के लिए सहयोग बढ़ेगा।
कीर स्टारमर ने इस समझौते को ब्रिटेन के लिए एक बड़ी जीत बताया। उन्होंने कहा, "यह समझौता पूरे देश में हजारों नई नौकरियां पैदा करेगा, व्यवसायों के लिए नए अवसर खोलेगा और ब्रिटेन के हर कोने में आर्थिक विकास को गति देगा।"