Diwali on UNESCO List: यूनेस्को ने दीपावली को अमूर्त विश्व धरोहर घोषित किया, पीएम मोदी और सीएम रेखा ने जताई खुशी

Diwali on UNESCO List - यूनेस्को ने दीपावली को अमूर्त विश्व धरोहर घोषित किया, पीएम मोदी और सीएम रेखा ने जताई खुशी
| Updated on: 10-Dec-2025 02:07 PM IST
भारत के सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण सांस्कृतिक उत्सव दीपावली को अब एक प्रतिष्ठित वैश्विक पहचान मिल गई है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने दीपावली को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की अपनी प्रतिष्ठित सूची में आधिकारिक तौर पर शामिल कर लिया है और यह घोषणा भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण का प्रतीक है, क्योंकि दीपावली अब इस विशिष्ट सूची में शामिल होने वाली 16वीं भारतीय परंपरा बन गई है। यह निर्णय भारतीय संस्कृति और परंपराओं की वैश्विक स्वीकृति और महत्व को दर्शाता है, जो देश के लिए गर्व का विषय है।

ऐतिहासिक घोषणा और इसका महत्व

इस महत्वपूर्ण घोषणा को आज दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले से किया गया,। जहाँ यूनेस्को की अंतर सरकारी समिति का 20वां सत्र आयोजित हो रहा है। इस सत्र के दौरान, यूनेस्को ने 10 दिसंबर को दीपावली को अपनी सूची में शामिल करने का निर्णय लिया और यह समावेश केवल एक औपचारिक मान्यता नहीं है, बल्कि यह दीपावली के गहरे सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक मूल्यों को भी उजागर करता है। यह पर्व, जो प्रकाश, ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, अब विश्व मंच पर और भी अधिक प्रमुखता प्राप्त करेगा। यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता और उसकी प्राचीन परंपराओं की निरंतर प्रासंगिकता का प्रमाण है।

प्रधानमंत्री मोदी ने व्यक्त की खुशी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूनेस्को के इस फैसले पर अपनी गहरी खुशी व्यक्त की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर इस खबर को साझा करते हुए लिखा कि। "भारत और विश्व भर के लोग इस खबर से उत्साहित और गौरवान्वित हैं। " प्रधानमंत्री ने दीपावली के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि "हमारे लिए दीपावली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और हमारे जीवन-मूल्यों से गहराई तक जुड़ा हुआ है और यह हमारी सभ्यता की आत्मा है। यह प्रकाश और धर्म का प्रतीक है और " उन्होंने आगे कहा कि यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में दीपावली का शामिल होना इस पर्व को विश्व स्तर पर और भी लोकप्रिय बनाएगा और प्रभु श्रीराम के आदर्श हमें सदा-सदा के लिए मार्गदर्शन देते रहें।

भारत की 16 अमूर्त परंपराएं

दीपावली के इस समावेश के साथ, भारत की कुल 16 परंपराएं अब यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची का हिस्सा बन गई हैं। दीपावली से पहले, भारत की 15 अन्य धरोहरें पहले से ही इस प्रतिष्ठित सूची में अपनी जगह बना चुकी थीं। इन प्रमुख परंपराओं में कुंभ का मेला, योग, वैदिक मंत्रोच्चार की परंपरा, रामलीला (रामायण का पारंपरिक प्रदर्शन), कोलकाता की दुर्गा पूजा, गुजरात का गरबा नृत्य, केरल का मुदियेट्टू (एक अनुष्ठानिक रंगमंच और नृत्य नाटक), छऊ नृत्य, लद्दाख के बौद्ध मठों में बौद्ध मंत्र जाप की हिमालयी परंपरा, नवरोज (पारसी नव वर्ष) और संक्रांति-पोंगल-बैसाखी जैसे विभिन्न त्योहार शामिल हैं। ये सभी परंपराएं भारत की विविध सांस्कृतिक टेपेस्ट्री को दर्शाती हैं। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भी यूनेस्को की इस घोषणा का गर्मजोशी से स्वागत किया है। उन्होंने इसे "विश्व-पटल पर भारतीय संस्कृति का स्वर्णिम अध्याय" बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि "हमारी हजारों वर्ष पुरानी सनातन परंपराओं की दिव्यता और सार्वभौमिकता को सर्वोच्च वैश्विक मंच पर मान्यता मिली है। "

उन्होंने इस क्षण को प्रत्येक भारतीय के लिए गौरव का क्षण बताया और कहा कि यह सम्मान दीपावली के प्रकाश, सद्भाव और मर्यादा जैसे शाश्वत मूल्यों की वैश्विक स्वीकृति का प्रतीक है और मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि दीपावली केवल एक उत्सव नहीं, अपितु वह आध्यात्मिक आलोक है जो सदियों से मानवता को सत्य, आशा और नैतिकता के पथ पर अग्रसर करता आया है। उन्होंने दिल्ली सरकार की ओर से इस ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि यह उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'विकास भी, विरासत भी' के संकल्प को और सशक्त बनाती है। योग, कुंभ, दुर्गा पूजा और गरबा जैसी हमारी सांस्कृतिक धरोहरों के बाद अब दीपावली को मिली यह वैश्विक मान्यता हमारी सांस्कृतिक यात्रा को और उज्ज्वल करती है।

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